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    मुलायम ने पिथौरागढ़ को दी थी नैनी सैनी हवाई पट्टी की सौगात, सीमांत में पुख्ता किया था सुरक्षा तंत्र

    By Jagran NewsEdited By: Skand Shukla
    Updated: Mon, 10 Oct 2022 01:06 PM (IST)

    Mulayam Singh Yadav Death पिथौरागढ़ की नैनी सैनी हवाईपट्टी का उद्घाटन मुलायम सिंह यादव के ही कार्यकाल में हुआ था। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता उन्होंने ही की थी। उसी दिन से पिथौरागढ़ को मिनी कश्मीर के नाम से पहचान मिली।

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    मुलायम ने पिथौरागढ़ को दी थी नैनी सैनी हवाई पट्टी की सौगात, सीमांत में पुख्ता किया था सुरक्षा तंत्र

    पिथौरागढ़, ओपी अवस्थी : Mulayam Singh Yadav Death : 1994 के आरक्षण विरोधी आंदोलन से भले ही सीमांत में मुलायम सिंह यादव जनता के दिलों से उतर गए हों, लेकिन सीमांत जिले के लिए उनके कार्य लोग आज भी याद करते हैं।

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    मुलायम शासन काल में सीमांत में चुस्त प्रशासनिक व्यवस्था का जिक्र आज तक भी होता है। पिथौरागढ़ की नैनी सैनी हवाईपट्टी (Naini Saini airstrip) का उद्घाटन उनके ही कार्यकाल में हुआ था। उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता उन्होंने ही की थी। उसी दिन से पिथौरागढ़ को मिनी कश्मीर के नाम से पहचान मिली।

    24 जनवरी 1994 को मुलायम सिंह यादव हवाई पट्टी के उदघाटन के लिए पिथौरागढ़ आए थे। सीमांत में उनका जनता ने जोरदार स्वागत किया था। यह पहला। मौका था जब उत्तर प्रदेश का कोई मुख्यमंत्री सीमांत में दो दिवसीय दौरे पर आया था। इस अवसर पर उन्होंने नैनी सैनी हवाई पट्टी में उद्घाटन सभा में टनकपुर से काली नदी किनारे जौलजीबी तक सड़क निर्माण की घोषणा की थी।

    पिथौरागढ़ जिले में रोप वे, पर्यटन विकास की घोषणाएं मुलायम ने ही की थी। वह अपने साथ विशेषज्ञों को लाए थे। सैन्य क्षेत्र स्थित सभागार में पिथौरागढ़ के पर्यटन विकास के लिए सेमिनार हुआ। विशेषज्ञों ने अपने सुझाव रखे थे। तब मुलायम सिंह ने अपने संबोधन में पिथौरागढ़ को पर्यटन के क्षेत्र में एक मुकाम तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।

    उनकी घोषणा के एक माह के भीतर ही जौलजीबी से काली नदी किनारे सड़क निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ होने लगी। जौलजीबी से तल्लाबगड तक सड़क निर्माण हुआ। टनकपुर से भी कुछ किमी मार्ग बना। आज भी लोग मानते है कि पहाड़ में राज्य आंदोलन नहीं हुआ होता तो तब मुलायम सिंह के मुख्यमंत्री रहते हुए टनकपुर से जौलजीबी तक सड़क निर्माण हो गया होता।

    मुलायम सिंह के शासनकाल में तब जिला योजना की मद बड़ी थी। उस समय उनकी सरकार को उक्रांद का समर्थन था। तत्कालीन डीडीहाट के विधायक उक्रांद के शीर्ष नेता काशी सिंह ऐरी को मुलायम सिंह ने मंत्री बनाने का आमंत्रण दिया था। हालांकि ऐरी ने मंत्री बनने से मना कर दिया था परंतु वह मुलायम सिंह के करीबियों में रहे। जिसके चलते सीमांत में कई विद्यालयों के उच्चीकरण हुए, सड़के बनी।

    जुलाई 1994 के मंडल आरक्षण के विरोध में उपजा आंदोलन जिसे बाद में राज्य आंदोलन कहा जाने लगा उससे मुलायम सिंह लोगो के दिल से उतर गए परंतु उनके सीमांत के लिए किए कार्य आज भी लोग याद करते हैं। उत्तराखंड में लगातार बारिश से हालात जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। मलबा आने से कुमाऊं में दर्जनों सड़कें बंद हैं। भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। नदी नाले उफान पर आ गए हैं।

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