जौलजीवी में भी बने इनर व नोटिफाइड लाइन
ग्रीमीणों ने चीन और नेपाल सीमा पर वर्ष 1998 से पूर्व की भांति इनर और नोटिफाइड लाइन जौलजीवी बनाने की मांग की।
धारचूला, [जेएनएन]: चीन और नेपाल सीमा पर वर्ष 1998 से पूर्व की भांति इनर और नोटिफाइड लाइन जौलजीवी बनाने की मांग मुखर होने लगी है। इस संबंध में केंद्र सरकार से की गई मांग के परिप्रेक्ष्य में जिलाधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की जौलजीवी में एक बैठक हुई। इसमें जनप्रतिनिधियों ने जौलजीवी में ही इनर और नोटिफाइड लाइन बनाने की मांग रखी।
जिलाधिकारी सी रविशंकर की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में सीमांत के जनप्रतिनिधियों ने कहा कि वर्ष 1998 से पूर्व तक इनर और नोटिफाइड लाइन जौलजीवी में थी। इस क्षेत्र में प्रवेश के लिए बाहरी लोगों को मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी पड़ती थी। एक आंदोलन के बाद इनर और नोटिफाइड लाइन धारचूला से लगभग 55 किमी दूर छियालेख बना दी गई। इससे सामरिक महत्व के इस क्षेत्र में किसी के भी प्रवेश करने में कोई प्रतिबंध नहीं है। भारत, नेपाल और चीन की त्रिकोणात्मक सीमा पर स्थित धारचूला तहसील सामरिक दृष्टि से संवेदनशील है।
इस क्षेत्र में असामाजिक तत्वों के प्रवेश पर भी अब कोई प्रतिबंध नहीं है। धारचूला तहसील के सीमा द्वार जौलजीवी में ही इनर और नोटिफाइड लाइन बनाना आवश्यक है। बैठक में मौजूद सभी जनप्रतिनिधियों ने एक सुर में छियालेख स्थित इनर और नोटिफाइड लाइन एक बार फिर जौलजीवी में ही स्थापित करने की मांग की। जिलाधिकारी सी रविशंकर ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ किसी तरह समझौता नहीं हो सकता है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों की मंशा को सरकार तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।
बैठक में मौजूद जनप्रतिनिधियों में कैलाश रावत, देवकृष्ण फकलियाल, भीम राज नबियाल, शंकुतला दताल, भवान सिंह गुंज्याल, दीवान सिंह गुंज्याल, हरीश गुंज्याल, लीला बंगन्याल सुनील, नारायण सिंह दरियाल जनक बिष्ट, नंदा बिष्ट, बिंदु रौंकली, चंद्र सिंह गंडी, कुंवर धामी, सुरेंद्र नपलच्याल सहित आइटीबीपी, एसएसबी के अधिकारी, एसडीएम आरके पांडेय, सीओ पुलिस सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।
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