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कारगिल युद्ध में पिथौरागढ़ जिले के चार जवानों ने दी थी शहादत

कारगिल युद्ध में पिथौरागढ़ जिले के चार जवानों ने शहादत दी थी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 10:24 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 10:27 PM (IST)
कारगिल युद्ध में पिथौरागढ़ जिले के चार जवानों ने दी थी शहादत

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़: पिथौरागढ़ जिला देश में शहादत देने वाले जवानों की संख्या में काफी आगे है। कारगिल युद्ध में भी जिले के चार जवानों ने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया। जिले से किशन सिंह भंडारी, गिरीश सिंह सामंत, कुडंल बेलाल और जवाहर सिंह शहीद हुए है। कारगिल युद्ध के बाइस वर्षो में परिवार इस जख्म से तो उबर गए हैं परंतु शहीदों के नाम पर हुई घोषणाएं अभी अधूरी हैं।

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कारगिल शहीदों में जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर स्थित जजुराली गांव निवासी लांसनायक किशन सिंह भंडारी कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते शहीद हो गए थे। शहादत के समय उनकी पत्नी तनुजा के अलावा दो पुत्रियां और डेढ़ वर्ष का पुत्र था। परिवार को परवरिश देने वाला देश सेवा को समर्पित हो गया था। शहीद की पत्नी तनुजा को अपना जीवन अंधकारमय लग रहा था। बच्चों के भविष्य की खातिर संरक्षक के रू प में ससुर पूर्व सैनिक मान सिंह भंडारी के संरक्षण में शहीद परिवार टूटने के बाद उबर गया। सरकार द्वारा मिली मिली मदद से और अपने प्रयासों इस परिवार ने अपने को उबार लिया।

देवलथल तहसील के क्षेत्र उड़ई गांव निवासी हवलदार गिरीश सिंह सामंत कारगिल युद्ध में अदम्य साहस का परिचय देते हुए शहीद हुए थे। उनकी शहादत के बाद परिवार पर दुखों का पहाड़ आ गया। शहादत के समय शहीद की पुत्री मोनिका और पुत्र अमित इतने छोटे थे जो पिता के शहीद होने का अर्थ भी नहीं समझते थे। परिवार का सहारा छिन गया था। शहीद की पत्नी शांति के समक्ष संतानों की परवरिश और जीवन की कठिन चुनौतियां थी। पति की शहादत के बाद वह कई दिनों तक सदमे में रहीं। बाद में इस वीरागंना ने खुद को संभालते हुए बच्चों की परवरिश कर उच्च शिक्षा दिलाई।

तहसील पिथौरागढ़ के बेलाल गांव निवासी कुंडल सिंह बेलाल मात्र 23 वर्ष की उम्र में देश की रक्षा के लिए शहीद हो गए थे। अभी जीवन शुरू होना था उससे पूर्व ही कुंडल ने देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया। माता कूना देवी और पिता राम सिंह बेलाल पुत्र की शहादत के बाद बुरी तरह टूट गए थे। भाई प्रकाश बेलाल ने जैसे तैसे माता, पिता और परिवार को संभाला। कारगिल युद्ध में शहीद जवाहर सिंह के परिवारजनों ने भी तमाम मुश्किलों के बाद अपने को संभाला।


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