Move to Jagran APP

वीडीओ के बिना पंचर हुआ विकास का पहिया, सरकार की मंशा पर सवाल

प्रदेश में इस समय ग्राम विकास अधिकारियों के 950 पदों के सापेक्ष 655 सेवारत हैं, जबकि 295 रिक्त हैं। सेवारत अधिकारियों की नियुक्ति में तीन जिलों का दबदबा बना हुआ है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 01:41 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 07:54 PM (IST)
वीडीओ के बिना पंचर हुआ विकास का पहिया, सरकार की मंशा पर सवाल

पौड़ी, [मनोहर बिष्ट]: पृथक उत्तराखंड राज्य का गठन पहाड़ की दशा सुधारने के उद्देश्य से किया गया था। सरकार पहाड़ में सुविधाएं देने के भले ही लाख दावे करते हों, लेकिन तस्वीर ठीक इसके उलट है। हाल यह है कि डॉक्टर तो दूर पहाड़ में ग्राम विकास अधिकारियों तक का टोटा है, जो गांव के विकास के लिए जरुरी हैं। ऐसे में सरकार की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।

loksabha election banner

प्रदेश में इस समय ग्राम विकास अधिकारियों के 950 पदों के सापेक्ष 655 सेवारत हैं जबकि 295 रिक्त हैं। सेवारत अधिकारियों की नियुक्ति में तीन जिलों का दबदबा बना हुआ है। आंकड़ों के अनुसार देहरादून में वीडीओ के सृजित 60 पदों में से 57 में अधिकारी तैनात हैं, जबकि सिर्फ तीन पद रिक्त हैं। इसी तरह, हरिद्वार में 60 में से केवल चार पद रिक्त हैं। उधमसिंह नगर में भी सरकार मेहरबान हैं और यहां सृजित 70 पदों में से 63 में अधिकारी तैनात हैं और सिर्फ सात पद रिक्त हैं जबकि पहाड़ में शेष 10 जिलों में आधा से ज्यादा पद रिक्त हैं। 

पौड़ी में 150 में से 61 पद खाली हैं। यह स्थिति तब है जबकि खुद मुख्यमंत्री पौड़ी जिले के हैं। यही नहीं, सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और एनएसए अजित डोभाल तक का रिश्ता पौड़ी से हैं। यही नहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी तक पौड़ी के निवासी हैं, बावजूद इसके अधिकारियों की तैनाती में पौड़ी की उपेक्षा पहाड़ की तस्वीर स्पष्ट करने को काफी है।

पहाड़ से फेरी नजरें, मैदान पर मेहरबान

सरकार ने ग्राम विकास अधिकारियों की नियुक्ति के मामले में पहाड़ी जिलों से नजरें फेरी हुई हैं, जबकि मैदानी जिलों पर मेहरबान हैं। समाजसेवी अनिल स्वामी का कहना है कि ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत के विकास की पहली कड़ी होता है। लेकिन पहाड़ में इन अधिकारियों की नियुक्ति में दोहरा रवैया अपना रही है। 

सरकार की इसी उदासीनता का नतीजा है कि पहाड़ में गांव के गांव खाली होते जा रहे हैं। सरकार जब पहाड़ के गांव स्तर का अधिकारी गांव में नियुक्त नहीं कर पा रही है, तो ब्लाक, जिला व मंडल स्तर की स्थिति स्वत: ही साफ हो जाती है। अपर आयुक्त ग्रामीण विकास विभाग डॉ. आरएस पोखरियाल का कहना है कि ग्राम विकास अधिकारियों के रिक्त 295 पदों पर नियुक्ति का अधियाचन अधीनस्थ चयन आयोग को भेजा गया है। जिन पर जल्द ही नियुक्ति प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पहाड़ में अधिकारियों की कमी को दूर किए जाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। 

10 एबीडीओ की पदोन्नति का भेजा है प्रस्ताव

उत्तराखंड में 95 विकास खंड हैं, जिनमें खंड विकास अधिकारियों की कमी है। इसको देखते हुए ग्रामीण विकास निदेशालय ने 10 एबीडीओ की पदोन्नति खंड विकास अधिकारी पद पर किए जाने का अधियाचन शासन को भेजा है। इससे पहले भी 21 एबीडीओ की बीडीओ पदों पर पदोन्नति हो चुकी है। 

यह है वीडीओ की स्थिति

जनपद          कुल पद       सेवारत        रिक्त

अल्मोड़ा        106             53              53

चंपावत          40              21              19

पिथौरागढ़      80              61              19

नैनीताल        80              67              13

बागेश्वर        34               21              13

पौड़ी            150              89              61

चमोली         90               48              42

रुद्रप्रयाग      30               15              15

टिहरी          90                66             24

उत्तरकाशी   60                38             22

यूएस नगर   70               63               07

हरिद्वार      60                56              04

देहरादून      60                57              03   

यह भी पढ़ें: सीएम ने इन दो जिलों की विधानसभाओं का जाना हाल, दिए ये निर्देश 

यह भी पढ़ें: इतने दिनों में पूरा होगा सौंग नदी पर बांध का निर्माण, जानिए

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में बिजली संकट शुरू, जमकर की जा रही कटौती से लोग परेशान 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.