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पहाड़ी क्षेत्रों में बच्चों की चहलकदमी को तरस रहे हैं कर्इ स्कूल

पहाड़ी क्षेत्रों के स्कूल आज बच्चों के लिए तरस रहे हैं। पौड़ी, टिहरी और चमोली में कर्इ ऐसे स्कूल हैं जहां की छात्र संख्या दस से कम है।

By raksha.panthariEdited By: Published: Fri, 03 Nov 2017 04:10 PM (IST)Updated: Fri, 03 Nov 2017 11:06 PM (IST)
पहाड़ी क्षेत्रों में बच्चों की चहलकदमी को तरस रहे हैं कर्इ स्कूल

पौड़ी, [गुरुवेंद्र नेगी]: गढ़वाल मंडल के पहाड़ी पांचों जिलों के अलावा देहरादून, हरिद्वार में 1365 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र संख्या दस से कम है। इन विद्यालयों में छात्र संख्या दस से कम हैं। सबसे ज्यादा खराब स्थिति पौड़ी जनपद में है। यहां 540 सरकारी प्राथमिक विद्यालय संकट में हैं तो टिहरी में भी 304 विद्यालय ऐसे हैं जहां छात्र संख्या दस से कम है। यही हाल चमोली के भी हैं। 

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नया शिक्षा सत्र शुरू होता है तो सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या बढ़ाने के लिए जन-जागरुकता अभियान का दौर भी चलता है। इसके इतर भी देखें तो सरकारी प्राथमिक स्कूलों में सरकार सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील जैसी न जाने कितनी योजनाएं संचालित कर रही हैं लेकिन अपवाद को छोड़ दिया जाए तो सही मायने में सरकार की तमाम कवायद परवान नहीं चढ़ पा रही हैं। सरकारी स्कूलों में सिमटती छात्र संख्या का एक बड़ा कारण ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन भी माना जा रहा हैं, लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर समय-समय पर उठती रही आवाज को नजर अंदाज भी नहीं किया जा सकता है। यदि पलायन ही बड़ा कारण होता तो लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भर्ती न करते। क्योंकि सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या घट रही है और निजी स्कूलों में बढ़ रही है। सच तो यह भी है कि प्रतिस्पर्धाके इस दौर में अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा की बुनियाद पर खड़ा होना देखना चाहता है। 

दस से कम छात्र संख्या वाले विद्यालय 

चमोली------------------------------205 

रुद्रप्रयाग----------------------------75 

पौड़ी---------------------------------540 

टिहरी-------------------------------304 

उत्तरकाशी-------------------------117 

देहरादून----------------------------122 

हरिद्वार----------------------------2 

राजकीय जूनियर हार्इस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष अवतार सिंह रावत का कहना है कि सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या कम होने के पीछे सरकार और विभाग दोनों ही जिम्मेदार हैं। आज हर अभिभावक अपने बच्चों को उच्च स्तर की शिक्षा देना चाहता है जबकि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का पाठ्यक्रम उस स्तर का है ही नहीं। इतना ही नहीं कई बार तो ऐसे लोगों को पाठ्यक्रम तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाती है जो इसकी जानकारी ही नहीं रखते और फिर दोष शिक्षकों को दिया जाता है। 

वहीं गढ़वाल मंडल के प्रारंभिक शिक्षा के अपर शिक्षा निदेशक एसपी खाली ने बताया कि गढ़वाल मंडल में 1365 सरकारी प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र संख्या दस से कम है। इसकी सूची तैयार की गई है। ऐसे स्कूलों के विलीनीकरण के लिए निदेशालय को सूची भेजी जा रही है। रही बात सरकारी विद्यालयों में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तो समय-समय पर निरीक्षण भी किया जाता है और मूल्यांकन भी। आगे भी प्रयास किए जा रहे हैं। मौजूदा समय में यहां 1365 प्राथमिक स्कूल ऐसे हैं जहां छात्र संख्या दस से कम है। 

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