फिरंगियों के अस्तबल में चल रहा खुफिया इकाई का दफ्तर, पढ़ें पूरी खबर
अभिसूचना इकाई का कार्यालय अस्तबल में चल रहा है जहां अंग्रेजों के जमाने में कभी फिरंगी अपने घोड़ों को बांधा करते थे।
By Edited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 02:59 AM (IST)Updated: Mon, 06 Jan 2020 02:39 PM (IST)
कोटद्वार, जेएनएन। क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनाए रखने में जितनी जिम्मेदारी लोगों की है, उससे बड़ी जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की अभिसूचना इकाई की होती है। यह वही विभाग है, जो आमजन के बीच रहकर क्षेत्र में होने वाली घटनाओं की पूर्व सूचना प्रशासन तक पहुंचाता हैं। जिससे पुलिस-प्रशासन के आला अधिकारी घटना को लेकर अलर्ट रह सके, लेकिन कोटद्वार में सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले अभिसूचना इकाई के कर्मियों की निगाहें अपने उस भवन पर भी टिकी रहती हैं, जो कभी भी जमींदोज हो सकता है। दरअसल, आज भी विभाग का कार्यालय अस्तबल में चल रहा है, जहां अंग्रेजों के जमाने में कभी फिरंगी अपने घोड़ों को बांधा करते थे।
सुरक्षा की दृष्टि से कोटद्वार क्षेत्र उत्तराखंड के अति संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल हैं। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे कोटद्वार-भाबर क्षेत्र में जहां आपराधिक वारदातों ग्राफ काफी अधिक है। बस और रेलवे स्टेशन पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में देश के दूसरे प्रदेशों से लोगों का आना-जाना होता है। शहर में कई क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां आपराधिक तत्वों के छिपे होने की संभावनाएं काफी अधिक रहती है और खुफिया तंत्र की निगाहें भी इन क्षेत्रों में लगातार टिकी रहती हैं। कोटद्वार क्षेत्र में अभिसूचना इकाई का कार्यालय अस्तबल में संचालित हो रहा है।
आज भी इस भवन की दीवारों पर घोड़े बांधने के खूंटे देखे जा सकते हैं। बरसात में यह भवन तालाब में तब्दील हो जाता है और कर्मियों की उन आवश्यक दस्तावेजों की सुरक्षा करना काफी मुश्किल हो जाता है, जिनमें क्षेत्र की सुरक्षा से जुड़ी कई अहम जानकारियां शामिल रहती हैं। संसाधनों का भी टोटा अभिसूचना इकाई को शासन से भेजी जाने वाली गोपनीय रिपोर्ट सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण होती है।
पर, कोटद्वार में अभिसूचना सूचना इकाई की गोपनीय रिपोर्ट बाजार में फैक्स मशीनों में मंगवाई और भेजी जाती हैं। दरअसल, इकाई के पास संसाधनों का भारी टोटा है। आज के इस हाईटेक जमाने में इकाई के पास कंप्यूटर और मेल सुविधा छोड़िए, लैंडलाइन फोन तक नहीं। इकाई कर्मी पूरी तरह मुखबिरों के भरोसे रहते हैं, जिन्हें सुविधा शुल्क भी उन्हें अपनी जेब से ही देना पड़ता है।
पुलिस अधीक्षक दिलीप सिंह कुंवर का कहना है कि अभिसूचना इकाई तंत्र की आंख-कान हैं और इकाई कर्मियों को अत्याधुनिक संसाधन से लैस करने की तैयारी जारी है। वर्तमान में जिस जगह इकाई कार्यालय है, वह भूमि पूर्व में पालिका के पास थी, लेकिन अब उसे पुलिस विभाग के नाम कर दिया गया है। इसी भूमि पर अभिसूचना इकाई कार्यालय निर्माण प्रस्तावित है।
Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें