सरकारी शिक्षा की डगमग डगर
संवाद सहयोगी, पौड़ी: शिक्षा की बेहतरी के तमाम दावे विभागीय स्तर पर किए जा रहे हैं, लेकिन विद्यालयों में बड़ी तादाद में शिक्षकों के पद खाली हैं। शिक्षकों के अभाव में नौनिहाल बिना पढ़े ही परीक्षा दे रहे हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि राज्य में शिक्षा का स्तर क्या होगा।
सरकारी शिक्षा के कदम डगमगाने की बात हर बार आने वाले बोर्ड परीक्षा के परिणामों से पुख्ता हो रही है। प्रदेश की मेरिट में सरकारी स्कूलों के बिरले छात्र ही शामिल होते हैं। शिक्षकों की कमी इस खामी के लिए काफी हद तक जिम्मेदार है। जनपद के विद्यालयों की स्थिति भी कमोवेश अन्य से इतर नहीं है। यहां भी प्राथमिक से लेकर प्रवक्ता तक सैकड़ों शिक्षकों पद रिक्त हैं। सुगम विद्यालयों में तो हालात कुछ ठीक है, लेकिन ग्रामीण व दूरस्थ स्कूलों का पठन-पाठन शिक्षकों के अभाव में चौपट हो गया है। अभिभावकों का कहना है कि हर बार शिक्षकों की तैनाती की बात होती है, लेकिन फिर ढाक के तीन पात वाली कहावत ही चरितार्थ होती है। जाहिर है जब पढ़ाने वाले ही नहीं होंगे तो नौनिहाल कैसे आगे बढ़ेंगे।
विद्यालय सृजित पद रिक्त
प्राथमिक 3287 196
जूनियर 1065 53
एलटी 2756 662
प्रवक्ता 1607 487
परेशानियां
-लचर प्राथमिक शिक्षा से कमजोर पड़ती नई पीढ़ी की बुनियाद
-अपूर्ण कोर्स में जैसे-तैसे करते हैं कक्षा उतीर्ण
-बोर्ड परीक्षा में फूलते हैं नौनिहालों के हाथ-पांव
-रहस्य ही बने रहते हैं गणित व विज्ञान के सूत्र
-ग्रामीण क्षेत्रों में तो जटिल विषयों में ट्यूशन भी नहीं मिलता
-लचर व्यवस्थाओं के आगे अभिभावक भी लाचार
रिक्त पदों पर तैनाती के प्रयास किए जा रहे हैं। छात्रहित को देखते हुए जिन स्कूलों में ओवर स्टॉफ है, वहां से रिक्त पद वाले स्कूलों में शिक्षकों की भेजा जाएगा।
यशवंत चौधरी, जिला शिक्षा अधिकारी पौड़ी