ग्रीन रेलवे स्टेशनों का किया जाए निर्माण
जागरण संवाददाता श्रीनगर गढ़वाल ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण के कारण पहाड़ क
जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल:
ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन निर्माण के कारण पहाड़ के ग्रामीणों की अधिकांश कृषि भूमि रेल लाइन के लिए अधिग्रहित कर ली गई है। कई स्थानों पर ग्रामीणों के सेरे (खेत) भी योजना से प्रभावित हो रहे हैं। हिमालय बचाओ आंदोलन के संयोजक समीर रतूड़ी ने पत्रकारों से बातचीत में ग्रीन रेलवे स्टेशनों के निर्माण की मांग की। साथ ही रेल पटरी के आस-पास ग्रीन बेल्ट विकसित करने के साथ ही स्टेशन का उपयोग सोलर ऊर्जा से करने का सुझाव दिया।
हिमालय बचाओ आंदोलन के संयोजक समीर रतूड़ी ने कहा कि जम्मू कश्मीर, गुजरात, पूर्वी भारत और आंध्र प्रदेश की तर्ज पर पहाड़ में भी ग्रीन रेलवे स्टेशनों का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांवों की पहचान और हरियाली बरकरार रखने के लिए ग्रीन रेलवे स्टेशन एक बेहतर विकल्प है। प्रदूषण रोकने और शुद्ध हवा के लिए पटरी के दोनों ओर और स्टेशन के पास खाली पड़ी जमीन पर पौधे लगाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के मानवाल रेलवे स्टेशन की पहाड़ी क्षेत्र में ग्रीन रेलवे स्टेशन के नाम से खास पहचान भी है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि ग्रीन रेलवे स्टेशन निर्माण से पर्यावरण संरक्षित रहने के साथ ही पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी बनेगा। इससे क्षेत्र के लोगों को रोजगार उपलब्ध होने की संभावनाएं भी विकसित होंगी। कहा कि बगवान, मलेथा और गौचर सहित अन्य क्षेत्रों के जो सेरे (खेत) रेलवे लाइन निर्माण से प्रभावित हो रहे हैं, उन स्थानों पर केंद्र सरकार पर्यावरण बचाने के लिए यह पहल करे। पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ. अरविद दरमोड़ा, देव सिंह नेगी, पूनम कैंतुरा, खेम सिंह चौहान, कविता भी पत्रकार वार्ता में मौजूद थे।