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तेंदुए को ढूंढने में आखिर ड्रोन और डॉग स्कवाड की मदद क्यों नहीं ले रहा है वन विभाग

वन विभाग अकसर दावा करता है कि अवैध खनन और जंगल सुरक्षा में ड्रोन तकनीक से काफी मदद मिलती है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 11:29 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 11:29 AM (IST)
तेंदुए को ढूंढने में आखिर ड्रोन और डॉग स्कवाड की मदद क्यों नहीं ले रहा है वन विभाग

हल्द्वानी, जेएनएन : वन विभाग अकसर दावा करता है कि अवैध खनन और जंगल सुरक्षा में ड्रोन तकनीक से काफी मदद मिलती है। हाथी से लेकर घडिय़ालों की गणना में भी महकमे ने आसमान में उडऩे वाले ड्रोन का सहारा लिया। मगर घायल गुलदार के तलाशने में वह इसका इस्तेमाल करना भूल बैठा है। अफसर पिछले पांच दिन से सिर्फ निचले स्टाफ को ही दौड़ाने में लगे हैं। वहीं, एक्सपर्ट का कहना है कि इस काम में डॉग स्कवायड भी टीमों की मदद कर सकते थे। क्योंकि घायल गुलदार का खून सड़क से लेकर झाडिय़ों व पत्तों तक पर गिरा था। मगर अफसरों ने खास दिलचस्पी नहीं दिखाई।

सोमवार शाम एचएमटी के पास शिकारी विपिन चंद्र के निशाना लगाने पर गोली गुलदार को लगी भी। हालांकि, घायल होने के बावजूद वह जंगल की तरफ फरार हो गया। उसके बाद से टीम जंगल, गुफा और नालों में उसकी तलाश कर रही है लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। वहीं, ड्रोन फोर्स होने के बावजूद अब तक उसका इस्तेमाल न करना भी सवाल खड़े कर रहा है।

दो कुत्ते होने पर पीछे नहीं हटेंगे

माना जाता है कि गुलदार को सामने देख या फिर आसपास मौजूदगी भांपने पर कुत्ते शांत होकर पीछे हटने लगते हैं। इस मामले में मशहूर शिकारी लखपत सिंह रावत का कहना है कि अगर दो ट्रेंड कुत्तों को एक साथ लगाया जाए तो ऐसा नहीं होगा। वो खून के निशानों के आधार पर गुलदार की खोज में मदद कर सकते थे। पुलिस का डॉग स्क्वायड दस्ता फॉरेस्ट के काम आ सकता था।

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