खुद को स्वस्थ रखने के लिए एक दिन नहीं खाते हैं नैनीताल जू व रेस्क्यू सेंटर के बाघ-गुलदार
जंगल में हर रोज शिकार की तलाश में कई किमी घूमने वाले बाघ और गुलदार चिडिय़ाघर या रेस्क्यू सेंटर में आने के बाद सप्ताह में एक दिन खाना नहीं खाते। या फिर यूं कहे कि उन्हें फिट रखने के लिए हर गुरुवार को भोजन नहीं दिया जाता।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता: जंगल में हर रोज शिकार की तलाश में कई किमी घूमने वाले बाघ और गुलदार चिडिय़ाघर या रेस्क्यू सेंटर में आने के बाद सप्ताह में एक दिन खाना नहीं खाते। या फिर यूं कहे कि उन्हें फिट रखने के लिए हर गुरुवार को भोजन नहीं दिया जाता। पाचन तंत्र को व्यवस्थित रखने और बेवजह की चर्बी बढऩे के डर से सेंट्रल जू अथोरिटी के हिसाब से यह डाइट चार्ट तैयार किया जाता है। इसके अलावा गुलदार व बाघ को रोजाना कितना भोजन देना है इसका निर्णय चिकित्सक करते हैं। शारीरिक संरचना, उम्र और अन्य बिंदुओं का इसमें खासा ध्यान रखा जाता है।
रानीबाग स्थित रेस्क्यू सेंटर व नैनीताल चिडिय़ाघर में बाघ-गुलदार व अन्य वन्यजीवों को रखा जाता है। जू को जहां परमानेंट ठिकाना माना जाता है। वहीं, रेस्क्यू सेंटर से एक अवधि के बाद शिफ्ट कर दिया जाता है। नैनीताल जू में इस समय सात गुलदार व चार बाघ रखे गए हैं। जबकि रानीबाग रेस्क्यू सेंटर में सिर्फ एक बूढ़ा गुलदार रखा गया। खास बात यह है कि जंगल के इन खूंखार जानवरों से जू व सेंटर में एक दिन की डाइटिंग करवाई जाती है। यानी हर सातवें दिन इन्हें भोजन नहीं दिया जाता। ताकि पाचन तंत्र कमजोर न हो। अफसरों का कहना है कि सेंट्रल जू अथोरिटी के नियम की वजह से ऐसा किया जाता है।
निगरानी में उम्र पांच साल ज्यादा
घने जंगल में शिकार के लिए बाघ व गुलदार को लंबा मूवमेंट करना पड़ता है। संघर्ष भरी जिंदगी होने के कारण जंगल में बाघ की औसत उम्र 15-16 साल व गुलदार की 14-15 साल मानी जाती है। जबकि चिडिय़ाघर व रेस्क्यू सेंटर में उम्र का औसत बढ़कर 20 साल पहुंच जाता है। देखरेख व समय पर भोजन मिलने से वन्यजीव की उम्र बढ़ जाती है।
डाइट चार्ट
जू व चिडिय़ाघर में रखे बाघ व गुलदार की उम्र डेढ़ से 13 साल तक है। बाघ को रोजाना आठ किलो मांस खाने को मिलता है। जबकि बड़े गुलदार को पांच और छोटे को ढाई किलो भोजन चाहिए। पांच दिन गोश्त, छठे दिन मुर्गा या बकरा और गुरुवार को रेस्ट डे होता है।
शाकाहारी व पक्षियों को सात दिन भोजन
नैनीताल चिडिय़ाघर में मोर, मोनाल समेत पक्षियों की 19 प्रजातियां हैं। इसके अलावा हिरण व गोट की प्रजातियां भी मिलेगी। हिरण-गोट को सुबह घास व शाम को चना, चोखर आदि दिया जाता है। इसके अलावा पक्षियों को मुर्गी दाना, बाजरा, सफेद ज्वार, मूंग की दाल व हरा साग मिलता है। डीएफओ नैनीताल टीआर बीजूलाल ने बताया कि केंद्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकरण के नियमों व दिशा निर्देशों के तहत ही डाइट चार्ट तैयार होता है। चिकित्सकों के अलावा विभाग के कर्मचारी भी वन्यजीवों का पूरा ध्यान रखते हैं।