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प्यास न बुझा पाने वाली सरकार को सत्ता में रहने का हक नहीं : इंदिरा हृदयेश

हृदयेश ने कहा कि नैनीताल मुख्यालय समेत हल्द्वानी रामनगर व आसपास के इलाकों के लोग पेयजल के लिए तरस रहे हैं। दुर्भाग्य है कि टैक्स व जल मूल्य देने के बाद भी जनता को निजी टैंकरों से पानी खरीदना पड़ रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 06:28 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 06:28 PM (IST)
प्यास न बुझा पाने वाली सरकार को सत्ता में रहने का हक नहीं : इंदिरा हृदयेश
प्यास न बुझा पाने वाली सरकार को सत्ता में रहने का हक नहीं : इंदिरा हृदयेश

हल्द्वानी, जेएनएन : नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने बढ़ते पेयजल संकट के लिए खराब प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि तराई-भाबर व पर्वतीय इलाकों में पेयजल की उतनी कमी नहीं है, जितनी देखने को मिल रही है। जल संस्थान, स्थानीय प्रशासन व प्रदेश सरकार की खामियों का नतीजा जनता भुगत रही है। आवास विकास स्थित आवास पर पत्रकार वार्ता में डॉ. हृदयेश ने कहा कि नैनीताल मुख्यालय समेत हल्द्वानी, रामनगर व आसपास के इलाकों के लोग पेयजल के लिए तरस रहे हैं। दुर्भाग्य है कि टैक्स व जल मूल्य देने के बाद भी जनता को निजी टैंकरों से पानी खरीदना पड़ रहा है। पानी का व्यापार करने वालों पर प्रशासन का नियंत्रण नहीं है। अखबार पानी के संकट की खबरों से भरे हैं। उन्होंने कहा कि गर्मियों में पेयजल स्रोत सूखने से पानी का संकट गहराता है। ऐसे में शासन-प्रशासन को पानी की उपलब्धता के लिए समय रहते इंतजाम करना चाहिए था। सरकार पर तंज करते हुए उन्होंने कहा कि जो सरकार जनता की प्यास बुझाने में असमर्थ है, उसे पद पर बने रहने का अधिकार नहीं है। प्रदेश व देश में भाजपा की सरकार होने के बावजूद पेयजल संकट से निपटने को ठोस काम नहीं हुए।

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विधायक निधि से बिछाई एक करोड़ की लाइनें

डॉ. हृदयेश ने कहा कि विधायक निधि से उन्होंने एक करोड़ से अधिक की पेयजल लाइनें बिछाई हैं। पुरानी लाइनों को बदला गया है। ऐसे में पानी की समस्या कम होती, लेकिन जिम्मेदार विभाग, प्रशासन बेहतर प्रबंधन से काम नहीं कर पा रहे हैं।

पानी मिला नहीं, सड़कें भी जर्जर हो गईं

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि अमृत योजना के तहत शहर की सड़कों को बुरी तरह खोद दिया गया है। अमृत योजना से किसी को पानी तो मिला नहीं, उल्टा खूबसूरत सड़कों को खराब कर दिया गया। सरकार को जवाब देना चाहिए कि खराब सड़कों को कब व्यवस्थित किया जाएगा।

108 सेवा के कर्मचारियों को छल रही सरकार

सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों से कमजोर लोगों के लिए काम करने वाली 108 सेवा के 717 कर्मचारियों की सेवा खत्म करने की तैयारी के फैसले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने सरकार ने पुराने कर्मचारियों को पुरानी दरों पर काम पर रखने की मांग की है।

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