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अब टैक्सियों से पहुंच सकेंगे आदि कैलास और ओम पर्वत तक, गर्बाधार-लिपूलेख मार्ग पर गुंजी व कुटी तक चलेंगी टैक्सियां

चीन सीमा लिपूलेख तक सड़क तैयार होने के बाद अब आदि कैलास और ओम पर्वत तक टैक्सियों से पहुंच सकेंगे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 08:11 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 09:41 AM (IST)
अब टैक्सियों से पहुंच सकेंगे आदि कैलास और ओम पर्वत तक, गर्बाधार-लिपूलेख मार्ग पर गुंजी व कुटी तक चलेंगी टैक्सियां
अब टैक्सियों से पहुंच सकेंगे आदि कैलास और ओम पर्वत तक, गर्बाधार-लिपूलेख मार्ग पर गुंजी व कुटी तक चलेंगी टैक्सियां

धारचूला (पिथौरागढ़) जेएनएन : चीन सीमा लिपूलेख तक सड़क तैयार होने के बाद अब आदि कैलास और ओम पर्वत तक टैक्सियों से पहुंच सकेंगे। इसके लिए शुक्रवार को टैक्सी संचालन के लिए धारचूला में आदि कैलास टैक्सी यूनियन व्यास का गठन भी हो गया। तय हुआ कि इसी यूनियन की टैक्सियां इस मार्ग पर चलेंगी। टैक्सियों के रेट भी तय कर दिए हैं। एक टैक्सी में सात ही सवारियां ही बैठ सकेंगी। अभी तक टैक्सियों की कोई व्यवस्था यहां नहीं थी।

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शुक्रवार को आदि कैलास टैक्सी यूनियन का गठन किया गया। राम सिंह गब्र्याल को टैक्सी यूनियन का अध्यक्ष, योगेश गब्र्याल को महासचिव, रवि गुंज्याल को कोषाध्यक्ष, धर्मेंद्र गुंज्याल और सोनी नपलच्याल को सचिव चुना गया। धीरेंद्र नबियाल और इंद्र सिंह नपलच्याल को संरक्षक बनाया गया है। बैठक में कहा गया कि चीन सीमा तक मार्ग पर टैक्सी संचालन करने लिए गठित यूनियन का उद्देश्य सामरिक महत्व के इस क्षेत्र में पर्यटकों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना है। इस मार्ग पर शराब पीकर टैक्सी चलाने वाले चालक को पांच सौ रु पए का जुर्माना तो पड़ेगा ही, वह मार्ग पर टैक्सी भी नहीं चला सकेगा।

यह तय किया है किराया

चीन सीमा पर अंतिम भारतीय गांव कुटी का धारचूला से किराया 1100 रुपए प्रति सवारी, गुंजी का किराया नौ सौ रुपए, गब्र्याग का किराया 800 रुपए और बूंदी का किराया पांच सौ रुपए प्रति सवारी होगा। कोरोना काल समाप्त होने और सड़क के पक्का होने के बाद किराए में संशोधन किया जाएगा। बैठक में कोतवाल धारचूला विजेंद्र साह, दीवान सिंह पतियाल, मदन गुंज्याल, पूर्व चेयरमैन अशोक नबियाल, हीरा गब्र्याल आदि थे।

जानिए ओम पर्वत के बारे में 

हिंदू धार्मिक मान्यताओं और पुराणों के अनुसार भगवान शिव हिमालय के कैलाश मानसरोवर पर वास करते हैं। लेकिन हिमालय में ओम पर्वत का एक विशेष स्थान है। माना जाता है कि इस जगह भी भगवान शिव का अस्तित्व रहा होगा। यह पर्वत भारत और तिब्बत की सीमा पर आज भी मौजूद है जिस पर हर साल बर्फ से ओम की आकृति बनती है। ओम पर्वत को आदि कैलाश या छोटा कैलाश भी कहा जाता है। इसकी उंचाई  समुद्र तल से 6,191 मीटर (20,312 फीट) है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार हिमालय में कुल आठ जगह ओम की आकृति बनती है, लेकिन अभी तक सिर्फ इसी स्थान की खोज हुई है। इस पर्वत पर बर्फ गिरने से प्राकृतिक रूप से ओम की ध्वनि उत्पन्न होती है। ओम पर्वत तक ट्रैक करके भी पहुंचा जा सकता है।

आदि कैलाश 

समुद्रतल से 6191 मीटर की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश उत्तराखण्ड में तिब्बत सीमा के समीप है और देखने में यह कैलाश की प्रतिकृति ही लगता है। आदि कैलाश जिसे छोटा कैलाश के नाम से भी जाना जाता है, तिब्बत स्थित कैलाश मानसरोवर की प्रतिकृति है। विशेष रूप से इसकी बनावट और भौगोलिक परिस्थितियां इस कैलाश के समकक्ष ही बनाती हैं। प्राकृतिक सुंदरता इस क्षेत्र में पूर्ण रूप से फैली हुई है। शहरी जीवन से ऊबे हुए लोगों को यहां आकर शांति का अनुभव होता है। 

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