cabinet meeting प्रदेश सरकार के मंत्री अब खुद करेंगे अपने आयकर का भुगतान
कर्ज में डूबे उत्तराखंड में राजस्व बढ़ाना चुनौती है। सरकार लगातार अलग-अलग तरीके से राजस्व वृद्धि के लिए जुटी है।
अल्मोड़ा, जेएनएन : कर्ज में डूबे उत्तराखंड में राजस्व बढ़ाना चुनौती है। सरकार लगातार अलग-अलग तरीके से राजस्व वृद्धि के लिए जुटी है। बुधवार को अल्मोड़ा में आयोजित सीएम त्रिवेंद्र की कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया कि अब मंत्री आयकर भुगतान खुद करेंगे। इसे सरकार वहन नहीं करेगी। 38 साल से चले आ रहे इस मुददे को भी जागरण ने कई बार प्रमुखता से उठाया था।
कैबिनेट के 15 अहम प्रस्तावों में मंत्री वेतन भत्ता और प्रकीर्ण उपबंध संशोधन अधिनियम अध्यादेश भी शामिल था। इस अध्यादेश के तहत मंत्रियों का आयकर सरकार वहन करती है। राज्य बनने के 19 साल में इस विषय पर किसी का ध्यान नहीं गया। अब भाजपा सरकार ने अहम कदम उठाते हुए इस अध्यादेश में संशोधन करने की मंजूरी दे दी है। सरकार के इस निर्णय से राज्य सरकार को राजस्व का लाभ होगा। इस अहम मुददे को दैनिक जागरण ने 14 सितंबर के अंक में प्रमुखता से उठाया था। इसके बाद इस निर्णय के कैबिनेट में मंजूरी मिलने की संभावना भी जताई थी। विधायकों के आयकर के मामले में पूछने पर राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि जब प्रस्ताव आएगा, इस पर भी गंभीरता से विचार किया जाएगा।
1981 में आरंभ की गई थी व्यवस्था
अविभाजित उत्तर प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के समय 1981 में सभी मंत्रियों का आयकर सरकार द्वारा चुकाए जाने की व्यवस्था की गई थी। राज्य बनने से अब तक यह व्यवस्था चल रही थी।
मंत्री को प्रतिमाह 4.40 लाख रूपये वेतन व भत्ते
इसी सरकार ने कुछ समय पहले मंत्रियों व विधायकों के वेतन भत्तों में छह गुना बढ़ोत्तरी की थी। इस आधार पर तंत्रियों को प्रतिमाह 4.40 लाख रूपये प्रतिमाह वेतन व अन्य भत्तों के रूप में मिलता है।
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