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भाजपा जिलाध्यक्ष से तकरार और विधायकों के भाई-भतीजे पर केस करना एसएसपी को महंगा पड़ा

आम लोगों में बेहतर छवि के बाद भी सत्ताधारियों से पंगा एसएसपी बरिंदरजीत सिंह को महंगा पड़ गया। सीएम तक पहुंची शिकायत उनके गुडवर्क पर भारी पड़ी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 12:39 PM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 12:39 PM (IST)
भाजपा जिलाध्यक्ष से तकरार और विधायकों के भाई-भतीजे पर केस करना एसएसपी को महंगा पड़ा

रुद्रपुर, जेएनएन : आम लोगों में बेहतर छवि के बाद भी सत्ताधारियों से पंगा एसएसपी बरिंदरजीत सिंह को महंगा पड़ गया। सीएम तक पहुंची शिकायत उनके गुडवर्क पर भारी पड़ी। उन्हें सेनानायक आइआरबी प्रथम बैलपड़ाव रामनगर की जिम्मेदारी उठानी पड़ी।  

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विवाद की शुरुआत होती है भाजपा के किच्छा विधायक राजेश शुक्ला से। उनके भतीजे पर लॉकडाउन का उल्लंघन का मुकदमा दर्ज होता है। इसके बाद रुद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकराल के छोटे भाई संजय ठुकराल पर पुलिस ने मारपीट का केस दर्ज किया। बुधवार को भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा से भरे ऑफिस में तकरार हो गया। यह सभी मामले एक साथ जब शासन तक पहुंचे तो गुरुवार को तत्काल असर भी दिख गया।  

एक जनवरी 2019 में तत्कालीन एसएसपी सदानंद दाते के तबादले के बाद बङ्क्षरदरजीत ङ्क्षसह ने जिले की कमान संभाली। करीब 18 माह के कार्यकाल में वह अपनी ईमानदारी और बेदाग छवि से आम लोगों में पहचान बना लिए। हालांकि इस बीच वह कुछ नेताओं के निशाने पर भी थे। इसलिए कई बार उनके तबादले की अफवाह भी उड़ी। 

यह सब अभी चल ही रहा था कि बुधवार को भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा से तकरार हो गई। मामला मुख्यमंत्री तक पहुंच गया। संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारी भी सक्रिय हो गए। गुरुवार दोपहर में एसएसपी के तबादले का आदेश जारी हो गया। 

भाजपा जिलाध्यक्ष की बेदाग छवि पड़ी भारी 

भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा की पार्टी और संगठन में बेदाग छवि है। पांच साल के कार्यकाल में उनके नाम पर एक भी विवाद नहीं हुआ। उन्होंने निर्विवाद तरीके से काम किया और पार्टी को कई चुनाव जिताए। उनकी संगठन में गहरी पैठ भी है। बुधवार को एसएसपी से तकरार के बाद जब उन्होंने मुख्यमंत्री को मामले से अवगत कराया तो बेदाग छवि एसएसपी पर भारी पड़ गई।  

सुलभ होकर एसएसपी ने भी आम जन में बनाई थी पैठ

भले ही एसएसपी बङ्क्षरदरजीत ङ्क्षसह अपने कार्यकाल में बेदाग छवि के चलते सत्ताधारियों के निशाने पर रहे हों। पर आम जन के दिलों में उन्होंने अपनी ईमानदार कार्यशैली से जगह बनाई थी। यही कारण है कि गुरुवार को एसएसपी के तबादले की जानकारी पाकर लोग भौचक रह गए। असल तो एसएसपी फरियादियों को ध्यान से सुनते थे और तत्काल मामले का निस्तारण कराते थे। उनके पास जाने के लिए किसी सोर्स की जरूरत नहीं पड़ती थी। फरियादी खुद अपनी समस्या रखते थे। गलत मामले में फंसने पर कई दारोगा व पुलिस कर्मियों को निलंबित तक कर दिया। कई को लाइन हाजिर भी किया। इससे जनता में उनकी बेहतर छवि रही।  

विवाद की जड़  इन बातों से समझे 

केस-1

12 जून को सीपीयू किच्छा रोड पर वाहनों की जांच कर रही थी। इस दौरान बिना हेलमेट पहने बाइक सवार युवक को रोक लिया। कागजात मांगने पर उसने खुद को किच्छा विधायक राजेश शुक्ला का भतीजा बताते हुए हंगामा शुरू कर दिया। कुछ देर बाद विधायक ने मौके पर पहुंचकर मामला शांत कराया। पुलिस ने बाइक का चालान काटने के साथ ही विधायक के भतीजे के खिलाफ लॉकडाउन उल्लंघन का केस भी दर्ज कर लिया।  

केस-2

एक जुलाई को वैशाली कॉलोनी क्षेत्र में लोनिवि सड़क निर्माण कार्य कर रहा था। इस दौरान पार्षद पुत्र वहां पहुंचा और निर्माण कार्य में घटिया सामग्री लगाने का आरोप लगाया। इस पर ठेकेदार ने भाजपा के रुद्रपुर विधायक राजकुमार ठुकराल के छोटे भाई संजय को बुलाया, जहां पार्षद पुत्र सचिन मुंजाल से विधायक के भाई का विवाद हो गया। मामले में पुलिस ने सचिन की शिकायत पर विधायक ठुकराल के भाई के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। हालांकि बाद में दबाव में पुलिस ने विधायक के भाई की शिकायत पर पार्षद पुत्र के खिलाफ भी केस दर्ज किया।  

केस-3

आठ जुलाई को भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोरा जसपुर में नवविवाहिता की मौत के बाद उसके परिजनों के साथ हत्या का मुकदमा दर्ज कराने की सिफारिश लेकर एसएसपी से मिले। इस दौरान एसएसपी ने  मुकदमा दर्ज करने से इन्कार कर दिया, जिसे लेकर भाजपा जिलाध्यक्ष से तकरार हो गई। बाद में भाजपा जिलाध्यक्ष ने मामले से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। 

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