Scholarship Scam in Uttrakhand छात्रवृत्ति घोटाले में एसआइटी ने दर्ज किया एक और मुकदमा
एसआइटी के दारोगा दान सिंह मेहता ने भीमताल थाने में संतोष प्राइवेट आइटीआइ प्रबंधन बिचौलिये व पीएनबी छुटमलपुर के अफसर व कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
हल्द्वानी, जेएनएन : दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में एसआइटी की जांच में अब सहारनपुर के छुटमलपुर स्थित ओम संतोष प्राइवेट आइटीआइ के नाम पर 19 छात्रों की छात्रवृत्ति के 7.84 लाख रुपये हड़पने का खुलासा हुआ है। शुक्रवार को एसआइटी के दारोगा दान सिंह मेहता ने भीमताल थाने में संतोष प्राइवेट आइटीआइ प्रबंधन, बिचौलिये व पीएनबी छुटमलपुर के अफसर व कर्मचारियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेजों से सरकारी धन हड़पने का मुकदमा दर्ज कराया है।
एसएसपी सुनील कुमार मीणा ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर एसआइटी गठित कर दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले की जांच की जा रही है। एसआइटी ने दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले के संबंध में जांच के दौरान समाज कल्याण विभाग नैनीताल से वर्ष 2011-12 से अब तक वितरित दशमोत्तर छात्रवृत्ति का रिकार्ड लिया। इसमें पता चला कि उत्तर प्रदेश के जिला सहारनपुर स्थित ओम संतोष प्राइवेट आइटीआइ छुटमलपुर को जिला समाज कल्याण अधिकारी नैनीताल के कार्यालय से 19 छात्रों की छात्रवृत्ति कुल 7,84,700 रुपये पंजाब नेशनल बैंक फतेहपुर, छुटमलपुर के शाखा प्रबंधक को दी गई थी। इन 19 छात्रों के खाते पंजाब नेशनल बैंक फतेहपुर, छुटमलपुर में ही खोले गए थे। एसआइटी ने छात्रवृत्ति के इन लाभार्थियों का भौतिक सत्यापन किया। जांच में पता चला कि किसी भी लाभार्थी ने आइटीआइ से न तो शिक्षा ग्रहण की है और न ही छात्रवृत्ति ली। एसएसपी ने बताया कि एसआइटी की जांच के बाद ओम संतोष प्राइवेट आइटीआइ के प्रधानाचार्य, बिचौलिये व पंजाब नेशनल बैंक फतेहपुर, छुटमलपुर के अफसर व कर्मचारियों के विरुद्ध भीमताल थाने में धारा 420, 466, 467, 468, 471, 120बी के तहत मुकदमा पंजीकृत कराया गया है।
न डिग्री मिली न छात्रवृत्ति
बैंक की डिटेल के जांच में पाया गया कि समाज कल्याण विभाग नैनीताल ने प्रति छात्र के कथित खाते में 36,000 रुपये के सापेक्ष 5,300 रुपये डाले थे। ये धनराशि छात्रों के खाते से ओम संतोष प्राईवेट लिमिटेड आइटीआइ के खाते में हस्तांतरित हुई थी। कुछ छात्रों ने बताया कि ओम संतोष प्राईवेट आइटीआइ की ओर से वर्ष 2014 में कुछ लोगों ने उनके पास आकर डिग्री व छात्रवृत्ति दिलाने का आश्वासन देकर शैक्षिक दस्तावेज मांगे थे। बाद में न तो डिग्री मिली और न छात्रवृत्ति ली।
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