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ऊधमसिंह नगर में भूजल स्तर सुधारने पर तेजी से हो रहा काम, सीडीओ कर रहे निगरानी

भूजलस्तर के लिए खटीमा व काशीपुर में खास तौर पर विभाग ध्यान दे रहा है। यहां पर सर्वाधिक कार्य योजनाएं संचालित की जा रही हैं। सात ब्लाकों में जो भी नोडल प्रभारी जल संरक्षण के लिए नियुक्त किए गए थे। उनकी रिपोर्ट सीडीओ आशीष भटगई ने मांगी है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Tue, 10 Aug 2021 05:50 PM (IST)Updated: Tue, 10 Aug 2021 05:50 PM (IST)
रिचार्ज पिट, रिचार्ज साफ्ट से लेकर तालाबों का निर्माण कार्य शामिल है।

जागरण संवाददाता,रुद्रपुर : जल संरक्षण के लिए जिले में चल रहे विभागीय प्रयासों को पंख लगने शुरू हो गए हैं। सात ब्लाकों में नोडल अधिकारियों की तरफ से जो कार्य योजना उपलब्ध कराई गई है। उसके अनुसार करीब एक सैकड़ा से अधिक कार्य संचालित किए जा रहे हैं। जिसमेँ रिचार्ज पिट, रिचार्ज साफ्ट से लेकर तालाबों का निर्माण कार्य शामिल है।

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लगातार गिर रहे भूजलस्तर के लिए खटीमा व काशीपुर में खास तौर पर विभाग ध्यान दे रहा है। यहां पर सर्वाधिक कार्य योजनाएं संचालित की जा रही हैं। सात ब्लाकों में जो भी नोडल प्रभारी जल संरक्षण के लिए नियुक्त किए गए थे। उनकी रिपोर्ट सीडीओ आशीष भटगई ने मांगी है। ताकि रिपोर्ट के आधार पर उन बिंदुओं पर खास तौर पर ध्यान दिया जा सके जो बीते कुछ माह पहले आयोजित कार्यशाला में चर्चा में आई थीं। बारिश के दिनों में क्षेत्रवार पौधरोपण, रिचार्ज पिट के साथ ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम उन सरकारी इमारतों में खास तौर पर लगाया जाना है जो अभी निर्माणाधीन हैं।

सीडीओ की तरफ से निर्देश दिए गए हैं कि इसको लगाए जाने के लिए हर स्तर पर मानीटरिंग की जाए। ताकि बारिश के दिनों में जो पानी इधर-उधर बेकार न जाए। एक-एक बूंद जमीन के अंदर जाकर रिचार्ज हो सके। डीडीओ महेश कुमार ने बताया कि किसी ब्लाक को 20 तो किसी में 30 कार्ययोजनाविभाग को मिल गई हैं। जिन ब्लाकों में कार्ययोजना के तहत काम अधूरे हैं उनको जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।

 सीडीओ आशीष भटगई ने बताया कि खटीमा व काशीपुर में जल संरक्षण को खास तौर पर ध्यान दिया जा रहा है। सरकारी इमारतों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम हर हाल में लगाया जाए इसकी कोशिश की जा रही है। नोडल अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह इसको लेकर जो भी शंकाएं हैं उनसे बात कर दूर कर लें। हर हाल में जल संरक्षण के लिए कार्य योजनाएं जमीनी स्तर पर मूर्तरूप में आनी जरूरी हैं।


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