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उधारी के डॉक्टर से चल रहा एसटीएच का रेडियोलॉजी विभाग

कुमाऊं का टर्सरी सेंटर, जहां छह जिलों से मरीज रेफर होकर पहुंचते हैं। ऐसे डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय का रेडियोलॉजी विभाग ही उधार के एक डॉक्टर पर टिका है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 06:26 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 06:26 PM (IST)
उधारी के डॉक्टर से चल रहा एसटीएच का रेडियोलॉजी विभाग
उधारी के डॉक्टर से चल रहा एसटीएच का रेडियोलॉजी विभाग

नैनीताल (जेएनएन) : चुनाव में बदहाल स्वास्थ्य विभाग को दुरुस्त करने के भले ही बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन सत्ता हासिल करने के बाद भी हकीकत जस के तस ही बने रहते हैं। कुमाऊं का टर्सरी सेंटर, जहां छह जिलों से मरीज रेफर होकर पहुंचते हैं। ऐसे डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय का रेडियोलॉजी विभाग ही उधार के एक डॉक्टर पर टिका है। यह स्थिति एक-दो महीने से नहीं, बल्कि कई वर्ष से हैं। इसके बावजूद जीरो टॉलरेंस वाली भाजपा सरकार को बदहाल अस्पताल में भटकते मरीजों की पीड़ा नहीं दिखाई पड़ती है।

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विभाग का हाल पढ़कर चौंक जाएंगे : राजकीय मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित एसटीएच के रेडियोलॉजी विभाग में कम से कम एक प्रोफेसर, दो एसोसिएट प्रोफेसर, दो असिस्टेंट प्रोफेसर और दो सीनियर रेजिडेंट होने चाहिए। जबकि, एक डॉक्टर कार्यरत हैं। यह डॉक्टर भी संविदा पर काम कर रहे हैं। निजी सेंटर संचालित करने वाले रेडियोलॉजिस्ट को जैसे-तैसे इस विभाग में काम करने के लिए राजी किया गया है।

ओपीडी के 15 मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड : एसटीएच में प्रतिदिन 1500 से 2000 मरीज ओपीडी में ही पहुंचते हैं। इनमें से 40 से 70 मरीजों की अल्ट्राासाउंड जांच करानी होती है। कुछ समय पहले तक ओपीडी से पहुंचने वाले 20-25 मरीजों की जांच हो जाया करती थी, लेकिन अब यह संख्या 15 तक निर्धारित कर दी गई है।

तीन महीने की वेटिंग भी बढ़ी : एसटीएच में ओपीडी में दिखाने के बाद मरीज जब अल्ट्रासाउंड के लिए रेडियोलॉजी विभाग में जाता है, तो उसे तीन महीने की डेट दी जाती थी, लेकिन अब मरीजों की संख्या निर्धारित करने की वजह से इंतजार और लंबा हो गया है।

पीजी की पढ़ाई भी हो रही है प्रभावित : डॉक्टर नहीं होने के बावजूद रेडियोलॉजी विभाग में छह डॉक्टर पीजी कर रहे हैं। इन्हें प्रशिक्षित करने के लिए संकाय सदस्य होने चाहिए, लेकिन बिना शिक्षकों के ही पीजी की पढ़ाई कैसे कर रहे होंगे, यह समझ से परे है।

एक रेडियोलॉजिस्ट का किया चयन : एसटीएच के लिए एक रेडियोलॉजिस्ट का चयन हो गया था। संविदा पर नियुक्ति दी जानी थी, लेकिन आचार संहिता लगने के वजह से नियुक्ति पत्र नहीं भेजा जा सका।

इलाज को भटकते हैं साहब : पहाड़पानी से पहुंची राधिका कहती हैं, पेट दर्द का इलाज करने पहुंची। डॉक्टर को दिखाया। उन्होंने अल्ट्रासाउंड करने करने के कह दिया। जब अल्ट्रासाउंड कराने के लिए गई, तो 25 दिन की डेट दे दी गई। महिला का कहना है परेशानी आ आज रही है और 25 दिन तक क्या करूंगी। यही स्थिति बागेश्वर कांडा से पहुंचे रमेश जोशी की है।

अब भी प्रतिदिन 45-46 मरीजों का अल्ट्रासाउंड हो रहा है। प्राथमिकता में भर्ती मरीजों को शामिल किया गया है। कई बार भर्ती मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। ओपीडी में आने वाले सभी मरीजों का अल्ट्रासाउंड तुरंत नहीं हो पा रहा है। इसके लिए रेडियोलॉजिस्टों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

- डॉ. सीपी भैंसोड़ा, प्राचार्य, राजकीय मेडिकल कॉलेज

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