फीस वसूली को लेकर अब सर्वोच्च अदालत पहुंचे पब्लिक स्कूल, कोर्ट ने पेंडिंग में रखा
सरकार की सख्ती व हाई कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड के पब्लिक स्कूल फीस वसूली मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। पब्लिक स्कूलों ने मंगलवार को विशेष अनुमति याचिका दायर की है।
नैनीताल, जेएनएन : सरकार की सख्ती व हाई कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड के पब्लिक स्कूल फीस वसूली मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। पब्लिक स्कूलों ने मंगलवार को विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर कर दी। फिलहाल सर्वोच्च अदालत ने इसे पेंडिंग मेें रखा है।
कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन में फीस वसूली के लिए दबाव डालने पर 12 मई को उत्तराखंड हाई कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया था। कोर्ट ने मैसेज, ईमेल, फोन से अभिभावकों पर बच्चों की फीस के लिए दबाव डालने पर रोक लगा दी थी। साथ ही ब्लाक शिक्षा अधिकारियों को नोडल अधिकारी बना दिया है। कोर्ट ने सरकार को फीस मामले मेें अभिभावकों की शिकायत पर नियम के अनुसार कार्रवाई करने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खंडपीठ में वीडियोकांंफ्रेंसिंग के माध्यम से देहरादून निवासी कुंवर जपिंदर सिंह व अधिवक्ता आकाश यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने मामले में साफ कर दिया कि ट्यूशन फीस भी सिर्फ ऑनलाइन शिक्षा लेने वाले छात्रों से ही ली जा सकती है। याचिका में कहा था कि प्राइवेट व सरकारी स्कूल ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर अभिभावकों पर दबाव डाल रहे हैं।
यूकेजी व एलकेजी समेत कक्षा पांच तक के बच्चों से भी ऑनलाइन के नाम पर फीस वसूली की जा रही है। जबकि उनके लिए ऑनलाइन क्लास नहीं लगाई जा रही हैं। याचिका में निजी व सरकारी स्कूलों में कोरोना को लेकर स्थिति साफ होने के बाद ही अभिभावकों से ट्यूशन फीस लेने की अपील की गई थी। जिसके बाद हाईकोर्ट ने उक्त आदेश दिया था।
अब हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन उत्तराखंड, देहरादून ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर दी है। इधर देहरादून के जपिंदर सिंह ने भी सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल कर दी है।
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