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पिथौरागढ़ छोटी व बड़ी विद्युत परियोजनाओं का बन रहा हब, जानिए

गढ़वाल में गंगा नदी बेसिन नो प्रोजेक्ट जोन घोषित किए जाने के बाद हाइड्रो उत्पादन के लिए उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने कुमाऊं को प्राथमिकता दी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 07:07 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 07:07 PM (IST)
पिथौरागढ़ छोटी व बड़ी विद्युत परियोजनाओं का बन रहा हब, जानिए
पिथौरागढ़ छोटी व बड़ी विद्युत परियोजनाओं का बन रहा हब, जानिए

पिथौरागढ़, जेएनएन : गढ़वाल में गंगा नदी बेसिन नो प्रोजेक्ट जोन घोषित किए जाने के बाद हाइड्रो उत्पादन के लिए उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने कुमाऊं को प्राथमिकता दी है। जिसके  कवायद में पिथौरागढ़ जिले को छोटी और बड़ी विद्युत परियोजनाओं का हब बनाया जा रहा है। तीन चरणों में बनने वाली कुछ परियोजनाएं एडवांस स्तर पर हैं तो कुछ की डीपीआर तैयार हो चुकी है। लघु जल विद्युत की सबसे बड़ी पांच मेगावॉट की सुङ्क्षरग माइक्रोहाइडिल परियोजना आगामी मार्च माह से उत्पादन करने जा रही है।

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गढ़वाल में गंगा बेसिन को नो प्रोजेक्ट घोषित किए जाने के बाद यूजीवीएन के निदेशक मंडल ने जल विद्युत उत्पादन के लिए कुमाऊं को चुना। कुमाऊं में मात्र पिथौरागढ़ जिला ही जल विद्युत उत्पादन के लिए उपयुक्त मिला। जिसमें सबसे पहले 2013 में आपदा से क्षतिग्रस्त मुनस्यारी की सुरिंग गाड़ परियोजना को चुन कर इसे सुरिंग गाड़ द्वितीय चरण के नाम से नए सिरे से बनाई।  पूर्व की दो हजार किलो वाट की योजना का क्षमता बढ़ा कर पांच मेगावॉट का निर्माण किया गया। इस परियोजना का निर्माण कार्य अंतिम चरण पर है। यूजीवीएन के अनुसार मार्च माह से इस परियोजना में बिजली उत्पादन प्रारंभ हो जाएगा। सरकार की जिले में यह पहली पांच मेगावॉट की जल विद्युत परियोजना होगी। 

यूजीवीएन की अन्य प्रस्तावित बड़े प्रोजेक्ट

120 मेगावॉट की रु पसियाबगड़ परियोजना- मुनस्यारी तहसील में गोरी नदी में बनने वाली परियोजना का बांध लीलम के पास और पावर हाउस धापा के निकट बनेगा। परियोजना की डीपीआर तैयार है। मार्च माह तक डीपीआर की स्वीकृति के बाद , जन सुनवाई और  भूमि अधिग्रहण होगा। नए वित्त वर्ष में प्रोजेक्ट का कार्य प्रारंभ हो जाएगा।

230 मेगावॉट की सेला उर्थिग परियोजना

धारचूला तहसील के दारमा घाटी में धौलीगंगा नदी पर बनने वाली परियोजना के लिए पावर हाउस और बांध स्थल चयनित हो चुका है। स्थल की भूगर्भीय जांच के बाद स्वीकृति मिल चुकी है। नए वित्त वर्ष में इस प्रोजेक्ट का कार्य प्रारंभ होगा। 12-15 मेगावॉट की जिम्बा और पैनागाड़ परियोजनाएं- तहसील बंगापानी  के अंतर्गत जिम्बा गाड़ और पैना गाड़ परियोजनाएं एडवांस स्तर पर हैं। डीपीआर तैयार है। यूजीवीएन के निदेशक मंडल से अनुमति की प्रत्याशा है।

12 मेगावॉट की तांकुल परियोजना

तहसील धारचूला के अंतर्गत 12 मेगावॉट की परियोजना सिमखोला नदी  पर बनेगी। मांगती के पास पावर हाउस बनेगा। यहां पर भूमि संबंधी प्रकरण का निष्पादन हो चुका है। वन भूमि का मामला प्रमुख वन संरक्षक देहरादून में लंबित है। वहां से अनुमति मिलते ही प्रोजेक्ट का कार्य प्रारंभ हो जाएगा। इसके अलावा उरेडा से फिर हस्तांतरित कंच्योती में अब चार मेगावॉट की विद्युत परियोजना बनेगी।

आत्मनिर्भर बनने के लिए यूजीवीएन प्रयासरत

इं. जीएस बुदियाल, उप महाप्रबंधक, यूजीवीएन ने बताया कि विद्युत उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के लिए यूजीवीएन प्रयासरत है। सुरिंग गाड़ में तीन माह बाद उत्पादन शुरू हो जाएगा। एडवांस स्तर की विद्युत परियोजनाओं में नए वित्त्त वर्ष में कार्य प्रारंभ होने के पूर्ण आसार हैं। आने वाले तीन चार वर्षो में प्रदेश को 400 मेगावॉट बिजली मिलने लगेगी।

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