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Emergency Black day : लोकतंत्र की लड़ाई में काशीपुर के लोगों ने 127 दिन तक भोगी यातना

Emergency Black day देश में 25 जून 1975 की रात को घोषित आपातकाल के बाद लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई में काशीपुर के लोगों का भी बड़ा योगदान रहा। यहां छोटे नीम पर हुए प्रदर्शन में महेश चंद्र अग्रवाल सुशील कुमार और कृष्ण कुमार अग्रवाल ने अग्रणी भूमिका निभाई।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 09:11 AM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 10:05 AM (IST)
Emergency Black day : लोकतंत्र की लड़ाई में काशीपुर के लोगों ने 127 दिन तक भोगी यातना

जागरण संवाददाता, काशीपुर : Emergency Black day : देश में 25 जून 1975 की रात को घोषित आपातकाल के बाद लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई में काशीपुर के लोगों का भी बड़ा योगदान रहा। तत्कालीन इंदिरा सरकार के फैसले के विरोध में यहां छोटे नीम पर हुए प्रदर्शन में महेश चंद्र अग्रवाल, सुशील कुमार और कृष्ण कुमार अग्रवाल ने अग्रणी भूमिका निभाई। देश विरोधी साजिश रचने के आरोप में 17 जुलाई को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। तकरीबन 127 दिन के कारावास में जेलर द्वारा दी गई यातनाएं भोगने के बाद भी वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए डटे रहे।

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लोकतंत्र सेनानी महेश अग्रवाल बताते हैं कि उनके जैसे कई लोग हफ्ते-हफ्ते बिना खाए जेलों में अपनी लड़ाई लड़ते रहे। वह बताते हैं कि इमरजेंसी के विरोध में उनके जैसे युवाओं ने छोटे नीम और कोतवाली रोड पर प्रदर्शन किया। 17 जुलाई को तत्कालीन कोतवाल राय बहादुर ने दुकान से उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

उनके साथी सुशील अग्रवाल, रामलाल खुराना, लक्ष्मी नारायण एडवोकेट व हरिशंकर अग्रवाल भी गिरफ्तार कर लिए गए। हाथ-पैरों में बेडिय़ां पहनाकर नैनीताल जेल में बंद कर दिया गया। जेल में देश विरोधी साजिश रचने का आरोप स्वीकार करने के लिए पेपर पर हस्ताक्षर कराने का दबाव दिया गया। ऐसा नहीं करने पर तीन दिनों तक यातनाएं दी गई। जेल में ऐसा खाना मिलता, जो गले से नीचे नहीं उतर पाता।

काशीपुर के थे 19 सेनानी

ऊधमसिंह नगर के 21 बंदियों में से 19 काशीपुर के थे। वर्तमान में इनमें से महेश चंद्र अग्रवाल, सुशील कुमार व कृष्ण कुमार अग्रवाल ही जीवित हैं। आपातकाल के खिलाफ जेल गए 18 लोगों का निधन हो चुका है।

सरकार की उपेक्षा से आहत सेनानी

लोकतंत्र सेनानियों को आज भी दर्द है कि उनकी जायज मांगों को स्वीकार नहीं किया जाता है। आज तक प्रमाण पत्र जारी हुआ न परिचय पत्र। आपातकाल के अधिकांश विरोधी आरएसएस के स्वयंसेवक थे, फिर भी सरकार उन्हें तवज्जो नहीं दे रही है, जबकि यूपी सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों के लिए कानून बना दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में भी लोकतंत्र सेनानी परिषद गठित हो, उन्हें उप्र की तर्ज पर सम्मान पत्र मिले। लोकतंत्र सेनानियों का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान से हो और उनकी विधवा व बच्चों को भी पेंशन दी जाए। लोकतंत्र सेनानी महेश चंद्र अग्रवाल ने कहा कि आजीविका चलाने के लिए सेनानियों को कृषि भूमि, पेट्रोल पंप आदि का आवंटन हो और उन्हें रेलवे और रोडवेज आदि में एक सहयोगी समेत यात्रा पास दिया जाए।

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