Lockdown 4 में उत्तराखंड में कोरोना मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ी, फिर भी घबराने वाली बता नहीं
महाराष्ट्र दिल्ली हरियाणा गुजरात से जैसे-जैसे प्रवासियों को लाने की रफ्तार तेज हुई अचानक से उत्तराखंड में कोरोना का ग्राफ ऊपर चढ़ता गया।
नैनीताल जेएनएन : महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात से जैसे-जैसे प्रवासियों को लाने की रफ्तार तेज हुई, अचानक से उत्तराखंड में कोरोना का ग्राफ ऊपर चढ़ता गया। नैनीताल जिले में 24 अप्रैल के बाद सात मई तक कोरोना का कोई नया केस नहीं मिला था। जबकि कुमाऊं मंडल में एक मई के बाद सात मई तक कोरोना नया केस नहीं मिला। सात मई तक मंडल में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 19 थी और उनमें 13 स्वस्थ हाेने के बाद डिस्चार्ज किए जा चुके थे।
प्रवासी हो रहे संस्थागत क्वारंटाइन
सात मई तक तक पहाड़ के सिर्फ अल्मोड़ा जिले में कोरोना का एक मामला सामने आया था। मंडल के चंपावत, बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले कोरोना से मुक्त थे। लॉकडाउन फोर में कोराेना संक्रमितों का ग्राफ अचानक से बढ़ गया। फिर भी डरने वाली बात नहीं है। क्योंकि जो प्रवासी आ रहे हैं उनकी उन्हें बकायदता संस्थागत क्वारंटाइन कर सैंपल लिए जा रहे हैं और पाॅजिटिव मिलने पर आइसोलेट कर समुचित इलाज किया जा रहा है।
मुंबई से आने वाले संक्रमितों की तादाद अधिक
लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों को प्रदेश सरकार बस और ट्रेनों से ला रही है। महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, गुजरात से बड़ी तादाद में लोग लाए जा रहे हैं। रेड जोन से आने वाले लोगों को संस्थागत क्वारंटाइन किया जा रहा है। जबकि अन्य लोगों को स्वास्थ्य जांच के बाद उन्हें होम क्वारंटाइन के लिए भेज दिया जा रहा है।
96 पॉजिटिव नैनीताल में ट्रेन से आए
21 तरीख को मुंबई से हरिद्वार आई श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सर्वाधिक प्रवासी कुमाऊं मंउल के थे। बीते दिनों तैनीताल जिले के ही 96 लोग जो उस ट्रेन से आए, संक्रमित मिले। वहीं मंडल के अन्य जिलों में भी उस ट्रेस से आने वाले संक्रमित मिले थे। वहीं शुक्रवार को नैनीताल जिले में ही मुंबई से लालकुआं आने वाले 80 पॉजिटिव संक्रमित मिले। वे सब भी संस्थागत क्वारंटाइन थे।
पॉजिटिव लोगों से संक्रमण फैलने का खतरा कम हुआ
कोरोना वायरस शुरुआत से ही अपना स्वरूप बदलता रहा है। अब उत्तराखंड में पॉजिटिव लोगों के संपर्क में आने से संक्रमित होने वालों की तादाद काफी घटी है। नए केस वही सामने आ रहे हैं जो पहले से सकंमित हैं या रेड जोन से आ रहे हैं। ऐसे में संक्रमण फैलने का खतरा कम हो गया है। कुमाऊं मंडल में अब किसी डॉक्टर या अन्य स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित नहीं मिला है, जबकि पॉजिटव मरीजों की संख्या अस्पतालों में तेजी से बढ़ी है। बता दें कि संक्रमितों के लिए कुमाऊं के एकमात्र कोविड-19 अस्पताल सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज को बनाया गया है। इस अस्पताल में अब तक 238 संक्रमित भर्ती किए जा चुके हैं। जबकि कोविड़-19 मरीजों के लिए कुल बेड 260 हैं।
सैंपलों की जांच का भी बढ़ा दबाव
कुमाऊं के छह जिलों से लिए गए कोरोना सैंपल की जांच की सुविधा केवल हल्द्वानी स्थित राजकीय मेडिकल कॉलेज के वायरोलॉजी लैब में है। दो पीसीआर मशीन के सहारे अब तक व्यवस्था चल रही है। यहां रोजाना करीब पांच सौ सैंपल जांच के लिए लाए जाते हैं। जबकि इनमें से दो सौ की ही जांच हो पा रही है। वहीं महाराष्ट्र से लगातार लौट रहे प्रवासी अब मुसीबत साबित हो रहे हैं।
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