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एनएच-74 मुआवजा घोटाला : पांच किसानों व एक अधिवक्ता को नोटिस NAINITAL NEWS

कोर्ट ने बहुचर्चित एनएच-74 मुआवजा घोटाला मामले में पांच किसानों समेत एक अधिवक्ता को नोटिस जारी कर 30 अगस्त को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 17 Aug 2019 07:16 PM (IST)Updated: Sat, 17 Aug 2019 07:16 PM (IST)
एनएच-74 मुआवजा घोटाला : पांच किसानों व एक अधिवक्ता को नोटिस NAINITAL NEWS
एनएच-74 मुआवजा घोटाला : पांच किसानों व एक अधिवक्ता को नोटिस NAINITAL NEWS

नैनीताल, जेएनएन : जिला जज एवं विशेष न्यायाधीश भ्रष्टïाचार निवारण राजीव खुल्बे की कोर्ट ने बहुचर्चित एनएच-74 मुआवजा घोटाला मामले में पांच किसानों समेत एक अधिवक्ता को नोटिस जारी कर 30 अगस्त को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं। उक्त आरोपितों के खिलाफ पिछले दिनों एसआइटी द्वारा आरोप पत्र दाखिल किए गए थे। जिसका एंटी करप्शन कोर्ट ने संज्ञान ले लिया है। एसआइटी ने एनएच-74 मुआवजा घोटाला मामले में किसानों समेत बिचौलियों पर शिकंजा कस दिया है। एसआइटी की रिपोर्ट के अनुसार आरोपित बलदेव सिंह पुत्र प्रीतम सिंह निवासी चीकाघाट द्वारा एक करोड़ 30 लाख, बङ्क्षरदर सिंह पुत्र दलजीत सिंह निवासी गिन्नीखेड़ा काशीपुर द्वारा 34 करोड़, नन्हे पुत्र फकीरा निवासी मठईयां केलाखेड़ा द्वारा 90 लाख, जगदीश अरोड़ा पुत्र निहाल चंद्र निवासी वार्ड नंबर एक जसपुर खुर्द काशीपुर, दिनेश कुमार पुत्र प्रताप सिंह निवासी टांडा बाजपुर द्वारा छह लाख की रकम ली गई थी तथा अधिवक्ता मो. अशरफ पुत्र मो. अनीस निवासी मोहल्ला साबिक काशीपुर, सभी निवासीगण ऊधमसिंह नगर द्वारा बतौर कमीशन सात करोड़ किसानों से प्राप्त किया था। यहां तक कि इसका लिखित इकरारनामा तक किया गया था।

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शनिवार को एंटी करप्शन कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। अभियोजन की ओर से डीजीसी फौजदारी सुशील कुमार शर्मा की ओर से बहस करते हुए कहा कि आरोपितों द्वारा बैक डेट में जमीन की 143 कराकर मुआवजा लेकर राजस्व की हानि पहुंचाई गई। इसी घोटाले में बिल्डर प्रिया शर्मा व सुधीर चावला भी आरोपित हैं। कोर्ट ने आरोपितों को नोटिस जारी करते हुए 30 अगस्त को पेश होने के निर्देश दिए हैं।

काम के बोझ से दबे डीजीसी

जिले में एंटी करप्शन कोर्ट में हाईप्रोफाइल एनएच मुआवजा घोटाला से लेकर हीनीयस क्राइम, जमानत, रिविजन फाइल करने तथा विधिक राय के लिए सिर्फ एक ही डीजीसी फौजदारी हैं। काम के बोझ की वजह से शासन को विशेष अभियोजक की तैनाती का आग्रह किया गया है। एसआइटी की ओर से भी शासन को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अब तक अमल नहीं हो सका है।

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