उप्र पुलिस के सिपाही मयंक के हत्याकांड का खुलासा, दो गिरफ्तार
उप्र पुलिस कांस्टेबल मयंक की हत्या का पुलिस ने खुलासा करके दो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। हत्या की मुख्य वजह भूमि का विवाद बताया जा रहा है।
गदरपुर (ऊधमसिंह नगर) जेएनएन : उप्र पुलिस कांस्टेबल मयंक की हत्या का पुलिस ने खुलासा करके दो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। हत्या की मुख्य वजह भूमि का विवाद बताया जा रहा है। पकड़े गए दोनों आरोपितों के खिलाफ पहले भी कई मामले दर्ज हैं। वहीं, फरार आरोपितों की तलाश में पुलिस दबिश दे रही है। लेकिन परिजनों ने खुलासे को ही गलत बताकर पूरी कार्रवाई पर ही सवाल उठा दिया है। एसएसपी बरिंदरजीत सिंह ने गुरुवार दोपहर मयंक हत्याकांड का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि रामपुर जिले के बिलासपुर थाने के चंदेल गांव निवासी कांस्टेबल मयंक कटारिया की हत्या में नामजद पांच लोगों में से मनोज दुबे व बलजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है। मयंक तीन वर्ष से पीलीभीत में तैनात थे। एसएसपी के अनुसार 2005 में मयंक के पिता दयानंद ने आरोपित मनोज दुबे के पिता जनार्दन से पट्टे की करीब 1.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। यही जमीन हत्या का कारण बनी। जमीन पट्टे की होने के कारण दयानंद के नाम नहीं चढ़ पाई और मामला कोर्ट में चला गया। दो माह पूर्व मनोज दुबे की मां कांति देवी के हक में फैसला आने के बाद उन्होंने जमीन पर कब्जा ले लिया। इसमें उसकी मदद उदयवीर सिंह उर्फ सन्नी ने भी की। इस कारण उसे लगातार धमकी मिल रही थी।
सन्नी विर्क ने अपने दोस्त गौरव मिक्का उर्फ मोहित, बलजीत सिंह उर्फ जोत के साथ मनोज दुबे ने इसकी शिकायत की थी। इसपर 12 अगस्त को मनोज दुबे ने उनको उकसाया कि मयंक की हत्या नहीं की तो वह अपने दोस्तों की मदद से उनको मार देगा। इस पर उन्होंने एक वीडियो वायरल कर मयंक को चंदेला में ही मारने की धमकी भी दी। योजना के तहत 13 अगस्त को मनोज अपने साथियों के साथ खालसा ढाबे पर पहुंचा और वहां मयंक की गोली मारकर फरार हो गया। एसएसपी ने बताया कि नामजद गौरव उर्फ निक्का निवासी आवास विकास कालोनी गदरपुर सहित अन्य आरोपितों की तलाश की जा रही है। उन्हें भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
दोनों आरोपितों के खिलाफ दर्ज हैं कई मामले
एसएसपी ने बताया आरोपित मनोज दुबे एवं बलजीत सिंह का पुराना आपराधिक रिकार्ड है। मनोज के खिलाफ थाना बिलासपुर जिला रामपुर में चार मामले दर्ज हैं। इसमें फॉरेस्ट एक्ट, शस्त्र अधिनियम व हत्या का प्रयास शामिल है। दूसरे आरोपित बलजीत ङ्क्षसह के खिलाफ गदरपुर थाने में हत्या का प्रयास, केलाखेड़ा में बलवा की धाराओं में मुकदमा हुआ है।
समझौते के कई प्रयास हुए थे विफल
एसएसपी ने बताया दोनों पक्षों में समझौते को लेकर कई प्रयास किए गए। लेकिन बात नहीं बन पाई। 13 अगस्त को भी गुरबाज निवासी रजपुरा के घर पर जमीनी विवाद सुलझाने के लिए मीङ्क्षटग रखी थी, लेकिन सभी लोगों के नहीं पहुंचने पर समझौता नहीं हो पाया।
आरोपों के घेरे में गदरपुर एसओ
खुलासे को लेकर मयंक के परिजन संतुष्ट नहीं दिखे। उनका आरोप लगाया कि गदरपुर एसओ से मयंक की हत्या करने वालों के साथ खाना खा रहे एक युवक के भी शामिल होने की आशंका जताई थी, लेकिन एसओ ने उनकी नहीं सुनी। पूरे मामले में उसका जिक्र ही नहीं किया।
मनोज के साथ नहीं था भूमि विवाद
मयंक के चाचा ने खुलासे पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि मनोज दुबे के साथ कोई भूमि विवाद नहीं था। सिविल कोर्ट रामपुर में केस हारने के बाद मयंक के बड़े भाई आशू ने राजस्व कर्मी और अधिकारियों की मौजूदगी में मनोज के परिवार को भूमि सौंप दी थी। काफी समय से मनोज का परिवार जमीन जोत रहा था। ऐसे में जमीनी विवाद में हत्या की बात पूरी तरह से गलत है। पुलिस ने खुलासे के लिए खुद की कहानी गढ़ी है।
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