Move to Jagran APP

एनएच-74 : हाईवे पर दौड़ रही प्रशासन की लापरवाही, निर्माण कार्य पर लगा ब्रेक NAINITAL NEWS

काशीपुर से सितारगंज एनएच 74 पर लापरवाही की गाड़ी दौड़ रही है। प्रशासन निर्माणदायी संस्था को तीन स्थानों पर भूमि उपलब्ध नहीं करा पा रहा है जिससे निर्माण पर ब्रेक लग गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 22 Jun 2019 12:59 PM (IST)Updated: Sat, 22 Jun 2019 12:59 PM (IST)
एनएच-74 : हाईवे पर दौड़ रही प्रशासन की लापरवाही, निर्माण कार्य पर लगा ब्रेक NAINITAL NEWS
एनएच-74 : हाईवे पर दौड़ रही प्रशासन की लापरवाही, निर्माण कार्य पर लगा ब्रेक NAINITAL NEWS

ऊधमसिंह नगर, जेएनएन : काशीपुर से सितारगंज एनएच 74 पर लापरवाही की गाड़ी दौड़ रही है। प्रशासन निर्माणदायी संस्था को तीन स्थानों पर भूमि उपलब्ध नहीं करा पा रहा है, जिससे निर्माण पर ब्रेक लग गया है। टोल पहले ही तीन लाख प्रतिदिन के घाटे में है। ऊपर से एक्सटेंशन ऑफ टाइम न मिलने से बैंक कर्ज देने को तैयार नहीं। एनएचएआइ में भी निर्माणदायी संस्था का 35 करोड़ से अधिक फंसा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि हाईवे का निर्माण पूरा होगा तो कैसे? काशीपुर से सितारगंज 77.200 किलोमीटर लंबे हाईवे के चौड़ीकरण का श्रीगणेश 5 मार्च  2014 को हुआ था।

loksabha election banner

अनुबंध के अनुसार निर्माणदायी संस्था गल्फार को निर्माण से पूर्व 80 फीसद जमीन खाली मिलनी चाहिए थी पर मिली सिर्फ 26 मीटर। ऐसे में 31 अगस्त 2016 तक कार्य पूरी करने की मियाद ङ्क्षखचती चली गई। जुलाई, 2017 तक कंपनी ने 65.250 किलोमीटर सड़क बनाई जो कुल प्रोजेक्ट की 84.52 थी। एनएचएआइ ने निर्माणदायी संस्था को 63.250 किलोमीटर पर टोल वसूलने की अनुमति दे दी। तब से अब तक 11.09 किलोमीटर सड़क अधूरी पड़ी है और प्रशासन निर्माणदायी संस्था को भूमि उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। साढ़े आठ किलोमीटर का गदरपुर बाईपास, चार सौ मीटर का तेल मिल एरिया, 1.4 किलोमीटर की सड़क दूधिया बाबा आश्रम से मेडिसिटी और एक किलोमीटर का काम पुलभट्टा पर रुका हुआ है। अगर प्रशासन भूमि उपलब्ध करा देता तो प्रतिदिन तीन लाख के घाटे में चल रहा टोल प्लाजा रफ्तार भरने लगता। इधर, अवधि निकलने के बाद भी काम पूरा न होने पर बैंक ने बकाया 37 करोड़ का कर्ज देने से भी इनकार कर दिया है। निर्माणदायी संस्था पहले ही 112.41 करोड़ के स्थान पर 149.41 करोड़ खर्च कर चुकी है तो ऐसे में वह आगे पैसा लगाने की हिम्मत नहीं। बैंक से कर्ज को एक्सटेंशन ऑफ टाइम की प्रति चाहिए जिसके लिए एनएचएआइ पिछले छह माह से टरका रही है। एनएचएआइ अपनी 35 करोड़ की देनदारी में भी लेटलतीफी कर रही। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर हाईवे का निर्माण कैसे पूरा होगा?

यहां से अतिक्रमण हटे, तब सड़क बने

रुद्रपुर शहर : दो कालोनी गेट, डेढ किलोमीटर पैच में 27 दुकानें, 11 भवन, दो धर्मकांटे, 265 मीटर दीवार, मेडिसिटी के पास पुल पर सर्विस लेन की स्वीकृति, केएलए के बाहर का हिस्सा

गदरपुर : 650 मीटर भूमि की अनुपलब्धता

तेल मिल : आधा भाग उत्तर प्रदेश, आधा उत्तराखंड में, तीन मंदिर, 12 इमारतें, नौ राइस मिल, एक पीपल पेड़, एक सरकारी नल

यहां फंसा है निर्माणदायी संस्था का फंड

- ईओटी न मिलने से बैंक नहीं दे रहा 37 करोड़ का कर्ज

- 11.38 करोड़ चेंज ऑफ लॉ के एनएचएआइ के पास

- एनएचएआइ को देनी है 15 करोड़ की ग्रांट

- अन्य इश्यू के 7-8 करोड़ भी एनएचएआइ के पास फंसे

पीके चौधरी, वरिष्ठ प्रबंधक, गल्फार इंजीनियङ्क्षरग लि. का कहना है कि प्रशासन हमें भूमि उपलब्ध कराए तो हमें सड़क बनाने में भला क्या दिक्कत। सड़क बनेगी तो टोल बढ़ेगा और कंपनी घाटे से उबरेगी। कंपनी को महीने में साढ़े तीन करोड़ की किश्त बैंक में भरनी पड़ती है। टोल से सिर्फ साढ़े करोड़ ही आ रहा है। ऐसे में पहले ही घाटा है, ऊपर से एनएचएआइ से ईओटी न मिलने से बैंक कर्ज नहीं दे रहे। भूमि उपलब्ध कराने के लिए हम परियोजना निदेशक से पत्राचार कर रहे हैं।

यह भी पढ़ें :  हिमालय पर ट्रैकिंग के लिए लगा प्रतिबंध हटा, मिलम ग्लेशियर तक जाने की दी अनुमति

यह भी पढ़ें : हो जाएं सावधान : सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंच रहे सेप्टिक इंसेफ्लाइटिस के मरीज NAINITAL NEWS

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.