Move to Jagran APP

देश भर के लिए नजीर बना उत्‍तराखंड का ये अभियान, नितिन गडकरी ने किया सम्‍मानित

अल्मोड़ा को नदी पुनरुद्धार श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ जिला घोषित करते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने कोसी पुनर्जनन समिति की टीम को राष्ट्रीय जल अवार्ड-2018 प्रदान किया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 06:41 PM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 06:41 PM (IST)
देश भर के लिए नजीर बना उत्‍तराखंड का ये अभियान, नितिन गडकरी ने किया सम्‍मानित
देश भर के लिए नजीर बना उत्‍तराखंड का ये अभियान, नितिन गडकरी ने किया सम्‍मानित

रानीखेत, जेएनएन : उत्‍तराखंड के लिए सोमवार का दिन खास रहा। गैरहिमानी नदियों को बचाने की मुहिम में दम तोड़ती कुमाऊं की जीवनदायिनी कोसी को नया जीवन देने के लिए भौगोलिक सूचना विज्ञान तंत्र (जीआइएस) की मदद से चलाए जा रहा 'पुनर्जनन महाअभियान' देश के सभी राज्यों के लिए प्रेरणा बन गया। अल्मोड़ा जनपद को नदी पुनरुद्धार श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ जिला घोषित करते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने प्रथम पुरस्कार के तौर पर कोसी पुनर्जनन समिति की टीम को 'राष्ट्रीय जल अवार्ड-2018' से सम्मानित किया। साथ ही वैज्ञानिकों व जिला प्रशासन की इस अनूठी पहल को नदी संरक्षण व जल प्रबंधन की दिशा में मिसाल करार दिया। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय की ओर से दिल्ली में सोमवार को भव्य समारोह में यह अवार्ड दिया गया।

loksabha election banner

कोसी पुनर्जनन समिति की टीम में ये रहे शामिल

कुमाऊं आयुक्त राजीव रौतेला, समिति अध्यक्ष डीएम नितिन सिंह भदौरिया, निदेशक एनआरडीएमएस एवं तकनीकी सलाहाकार वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक प्रो. जीवन सिंह रावत, तत्कालीन सीडीओ मयूर दीक्षित, मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. प्रियंका सिंह, रेंज अधिकारी संचिता वर्मा आदि।

ऐसे केंद्रीय फलक तक चमकी पहल

बीते ढाई दशक से हिमालयी राज्य में दम तोड़ती गैरहिमानी नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए शोध में जुटे जियो स्पेशल चेरप्रोफेसर (कुमाऊं विवि) प्रो. जीवन सिंह रावत ने सीएम त्रिवेंद्र रावत को रिपोर्ट सौंपी। 14 रिचार्ज जोन से निकलने वाली 21 सहायक नदियों व 1820 जलस्रोत व धारों के विलुप्त होने का खुलासा। जीआइएस के जरिये जनपद में 350 बड़े गांवों, करीब 15 कस्बे व अल्मोड़ नगर के साथ ही रामनगर बैराज केरूप में भाबर के बड़े हिस्से को सिंचाई व पेयजल मुहैया कराने वाली कोसी की थमी सांसों से रूबरू कराया। पहली बार राज्य सरकार ने कोसी व रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने को हाथ बढ़ाए। डीएम की अध्यक्षता में 'कोसी पुनर्जनन समितिÓ बनी। इसमें सिंचाई, जल, कृषि व वन समेत नौ विभागाध्यक्ष शामिल किए गए। प्रो. रावत के सुझाव पर सचिव स्तरीय तकनीकी कमेटी गठित ताकि यांत्रिक व जैविक कार्यो में पारदर्शिता रहे। बीते वर्ष हरेला पर्व पर सीएम ने महाअभियान का श्रीगणेश किया। कोसी के 14 रिचार्ज जोन पर विलुप्त होती सहायक नदियों व जलधारों को पुनर्जीवित करने को एक घंटे में करीब एक लाख पौधे लगाए। यह मुहिम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज।

जीवनदायिनी पर एक नजर

पांच दशक पूर्व कोसी 225.6 किमी लंबी थी। अब मात्र 41.5 किमी क्षेत्र में सिमटी। 21 सहायक नदियां व 97 जलधारे तथा 1820 स्रोत (बरसाती नालों समेत) तथा 49 अन्य सहायक सरिताएं लगभग विलुप्त। उत्तराखंड में उथला, पथरीला, टूटा फूटा प्रवाह क्षेत्र ही इसकी पहचान रह गई।

ऐसे सूखती गई नदी 

वर्ष 1992 में कोसी का जलप्रवाह 792 लीटर प्रति सेकंड था। बीते वर्ष कोसी न्यूनतम स्तर 48 लीटर प्रति सेकंड पर सरकी। रामनगर में सिंचाई व पेयजल को बना बैराज का जल स्तर पांच मीटर नीचे खिसका।

सालभर की मुहिम लाई रंग

सालाना 74 लाख लीटर पानी बचाने व सूख चुके 2960 हेक्टयेर कृषि भूमि को सींचने की नई उम्मीद जगी। रिचार्ज जोन पर वृहद पौधरोपण, चालखाल, खंतियां व सैकड़ों छिद्रों से वर्षाजल को भूजल भंडार तक पहुंचने में मिली मदद। कोसी का जल प्रवाह बढ़कर 55 लीटर प्रति सेकंड पहुंचा।

कोसी पुनर्जनन मुहिम सराहनीय

प्रो. किरीट कुमार, वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक जीबी पंत हिमालयन पर्यावरण शोध एवं विकास संस्थान कहा कि प्रो. जीवन सिंह रावत की कोसी पुनर्जनन मुहिम सराहनीय है। वृहद व बेहतर प्रयास है। जनसहभागिता कायम रही तो अच्छे परिणाम मिलेंगे। जलागम क्षेत्र के आसपास रहने वाले ग्रामीणों का सफलता में बड़ा हाथ रहेगा। हमारे संस्थान के वैज्ञानिक भी अगले तीन वर्षो तक जिला प्रशासन के साथ मिल कोसी के रिचार्ज जोन व महाअभियान की सफलता को मॉनीटरिंग करेगा। राष्ट्रीय जल अवार्ड मिलने पर बधाई।

मुहिम को दोगुने उत्साह के साथ मुकाम तक पहुंचाएंगे

प्रो. जीवन सिंह रावत, निदेशक एनआरडीएमएस कुमाऊं विवि ने बताया कि जीवनदायिनी कोसी हमारी मानव सभ्यता की प्रतीक है। इसे पुनर्जीवित करने के लिए जो पुनर्जनन महाअभियान चलाया गया है, निश्चित तौर पर राज्य सरकार, अल्मोड़ा जिला प्रशासन व इससे जुड़े विभागों की मदद से कामयाबी मिलेगी। मुहिम को राष्ट्रीय स्तर पर सराहाना मिली। प्रथम पुरस्कार के रूप में राष्ट्रीय जल अवार्ड मिलने से गैरहिमानी नदी को बचाने की मुहिम को दोगुने उत्साह के साथ मुकाम तक पहुंचाएंगे। जलागम क्षेत्रों के ग्रामीणों खासकर मातृशक्ति व विद्यार्थियों को भी महाअभियान का हिस्सा बनाएंगे।

यह भी पढ़ें : बंगलूरू, हैदराबाद, दिल्ली जैसे महानगरों का पैकेज छोड़ संजय ने शुरू किया ये काम

यह भी पढ़ें : नए रंग में नजर आएगा मुनस्यारी का पातलथौड़, स्कीइंग संग ईको टूरिज्म विकसित


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.