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वित्तीय संकट से उबरने के लिए बाजार दर से आवासों का किराया वसूलेगी नैनीताल नगरपालिका

वित्तीय संकट से जूझ रही व पांच करोड़ के कर्ज में फंसी नगरपालिका ने अब कमाई के रास्ते तलाशने को कदम बढ़ा दिए हैं। पालिका अपने आवासों का किराया अब बाजार दर पर करने जा रही है। उसने इसका खाका तैयार कर लिया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 09:25 AM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 09:25 AM (IST)
वित्तीय संकट से उबरने के लिए बाजार दर से आवासों का किराया वसूलेगी नैनीताल नगरपालिका
वित्तीय संकट से उबरने के लिए बाजार दर से आवासों का किराया वसूलेगी नैनीताल नगरपालिका

नैनीताल, जागरण संवाददाता : वित्तीय संकट से जूझ रही व पांच करोड़ के कर्ज में फंसी नगरपालिका ने अब कमाई के रास्ते तलाशने को कदम बढ़ा दिए हैं। पालिका अपने आवासों का किराया अब बाजार दर पर करने जा रही है। उसने इसका खाका तैयार कर लिया है। 

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नैनीताल नगरपालिका उत्तराखंड में मसूरी के बाद दूसरी सबसे पुरानी नगरपालिका है। पालिका ने मल्लीताल, तल्लीताल क्षेत्र में कर्मचारियों के लिए आवासों का निर्माण कराया है। इन आवासों का किराया न्यूनतम रखा गया, जो वर्तमान में अव्यावहारिक लग रहा है, जो सौ रुपये से छह हजार के बीच में है। 90 फीसद से अधिक आवासों का किराया 500 से 1000 रुपये मासिक से भी कम है।

वित्तीय संकट से जूझ रही पालिका ने कर्मचारियों के वेतन व पेंशन के लिए शासन से पांच करोड़ का ब्याजरहित ऋण लिया है, आय न होने से इसे चुकाना उसके लिए मुश्किल हो सकती है। ऐसे में पालिका मान चुकी है कि वेतन व पेंशन के लिए आय के रास्ते तलाशने ही होंगे। पालिका में ढाई सौ सेवारत व इतने ही करीब पेंशनर्स हैं। पालिका लंबे समय से किराया बढ़ाने पर विचार कर रही है, मगर बात आगे नहीं बढ़ी, मगर अब बढ़ते कर्ज व वित्तीय दिक्कतों को देखते हुए पालिका आवासों का किराया बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार करने पर वह मजबूर हुई है। 

तीन हजार रुपये मासिक होगा किराया

नई दरों के हिसाब से आवास का न्यूनतम किराया तीन हजार रुपये मासिक वसूला जाएगा। पालिका के 500 से अधिक आवास हैं। उम्मीद है इस फैसले से सालाना करीब डेढ़ करोड़ अतिरिक्त आय होगी। 

दो सौ आवासों में रहते हैं दूसरे विभागों के कर्मी

70 के दशक से बिना किराया दिए पालिका के करीब 200 आवासों में दूसरे विभागों के कर्मचारी रहते हैं। ये विभाग 70 के दशक तक पालिका का हिस्सा थे। फिर स्वतंत्र अस्तित्व के बाद भी इन आवासों पर उन्हीं विभागों के कर्मचारियों का कब्जा बना है। वह ना किराया दे रहे, ना हाउस रेंट कट रहा है। अब पालिका इन आवासों का भी किराया तय करने के साथ वसूलेगी। ईओ अशोक कुमार वर्मा ने फिलहाल इतना कहा कि पालिका आवासों का किराया वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से बाजार दर के हिसाब से तय किया जा रहा है।

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