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Uttarakhand Open University 5th Convocation : पर्वतारोही लवराज और विद्या दत्त शर्मा को दी मानद उपाधि

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय से मानद उपाधि हासिल करने के बाद पंडित विद्या दत्त शर्मा ने कहा कि मुफ्तखोरी और अकर्मण्यता पहाड़ को खा रही है। लोग मुफ्त में चीजें बटोरना चाह रहे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 10:48 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 10:48 AM (IST)
Uttarakhand Open University 5th Convocation : पर्वतारोही लवराज और विद्या दत्त शर्मा को दी मानद उपाधि
Uttarakhand Open University 5th Convocation : पर्वतारोही लवराज और विद्या दत्त शर्मा को दी मानद उपाधि

हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षा समारोह में राज्यपाल व कुलाधिपति बेबी रानी मौर्य ने शिक्षा को मूल्यपरक व रोजगारपरक बनाए जाने पर जोर दिया। कहा कि सभी विश्वविद्यालयों को उद्योग जगत से संवाद कर नए रोजगारपरक पाठ्यक्रम सृजित करने चाहिए। इस दौरान उन्होंने सत्र 2017-18 व 2018-19 के 22, 659 विद्यार्थियों व 11 शोधार्थियों को उपाधि प्रदान की। साथ ही 48 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक से नवाजा। साथ ही पिथौरागढ़ के पर्वतारोही पद्मश्री लवराज धर्मशक्तू व पंडित विद्या दत्त शर्मा (उनियाल) को मानद उपाधि भी प्रदान की।

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मंगलवार को तीनपानी स्थित विश्वविद्यालय परिसर में कुलाधिपति का कुमाऊं के पारंपरिक छोलिया नृत्य से स्वागत किया गया। शोभायात्रा के साथ मंच पर पहुंचीं कुलाधिपति ने समारोह में पंडित विद्या दत्त शर्मा व लवराज धमशक्तू को मानद उपाधि प्रदान करने के बाद कहा कि इन दोनों विभूतियों का जीवन हम सबके लिए प्रेरणादायक है। कृषि क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले पं. शर्मा ने सिद्ध किया है कि पलायन की मार झेल रहे पहाड़ में दृढ़ इच्छाशक्ति से खुशहाली लौटाई जा सकती है। जबकि लवराज के प्रयास हमें हर परिस्थिति से लडऩा सिखाते हैं। साथ ही पर्यावरण संरक्षण की सीख भी देते हैं। उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि हम विश्वविद्यालयों के कैंपस को नशामुक्त करने, ग्रीन व क्लीन बनाने के लिए प्रयासरत हैं। कुलपति प्रो. आपीएस नेगी ने विश्वविद्यालय की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की। संचालन कुलसचिव भरत सिंह ने किया। इस मौके पर कुलपति कुमाऊं विवि प्रो. केएस राणा, उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. एससी पंत, डीएम सविन बंसल, पूर्व प्रभारी उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. बीएस बिष्ट आदि शामिल रहे।

पहाड़ को खा रही मुफ्तखोरी व अकर्मण्यता : पं. शर्मा

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय से मानद उपाधि हासिल करने के बाद पंडित विद्या दत्त शर्मा ने कहा कि मुफ्तखोरी और अकर्मण्यता पहाड़ को खा रही है। लोग मुफ्त में चीजें बटोरना चाह रहे हैं। मेरा खुद का गांव जहां पहले 50 परिवार रहा करते थे, अब वहां महज 15 परिवार रह गए हैं। पौड़ी गढ़वाल जिले के सांगुड़ा गांव निवासी पंडित शर्मा ने कहा कि मैंने जलीय आवश्यकता की प्रतिपूर्ति के लिए वर्ष 1976 में 15 फीट गहरी खाई खोदकर वर्षा जल टैंक का निर्माण कराया। यहां मैंने अपने माता-पिता की स्मृति में मोतीबाग नाम का उद्यान विकसित किया। इसके बाद बंजर भूमि पर सेब, आडू, नींबू समेत सगंध औषधीय पौधों का बाग लगाया। वर्ष 1975 में लघु उद्यम के रूप में मधुवटी की स्थापना की। बताया कि मेरी जीवन यात्रा व श्रम साधना पर आधारित एक लघु फिल्म मोतीबाग बनाई गई। जिसे जून 2019 में केरल में लघु फिल्म समारोह में पहला स्थान मिला। इसी फिल्म को अब ऑस्कर पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। पं. शर्मा ने कहा कि उद्यमियों को भूमि उपलब्ध कराई जाए तो हालात बेहतर बन सकते हैं।

 

पंचाचूली को देखकर मिली पहाड़ चढऩे की प्रेरणा : लवराज

'हमारे गांव से पंचाचूली पर्वत साफ दिखाई देता है। इसकी चोटी से हल्का धुआं निकलता रहता है। बचपन में हमारे बड़े-बुजुर्ग बताते थे कि जब भगवान पंचाचूली पर्वत पर पूजा करने जाते हैं, तब ये धुंआ उठता है। उस समय सोचता था कि काश मैं भी वहां तक पहुंच पाता। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान मैने पर्वतारोहण शुरू किया। सही मायनों में पंचाचूली तक पहुंचने की ललक ही थी, जिसने मुझे सात बार एवरेस्ट की चोटी फतह करने में मदद की।' यह बात मंगलवार को उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षा समारोह में मानद उपाधि से नवाजे गए पद्मश्री लवराज सिंह धर्मशक्तू ने दैनिक जागरण से कही। पिथौरागढ़ जिले की मुनस्यारी तहसील के बोना गांव निवासी लवराज ने कहा कि पर्वतारोहण का अनुभव बढ़ा तो पर्यावरण का भी ख्याल आया। सोचा इसकी शुरुआत क्यों न पर्वत से ही की जाए। हिमालय को स्वच्छ रखने की मुहिम के तहत मैंने बीएसएफ की मदद से एवरेस्ट के उच्च स्थलीय कैंपों में छोड़ा गया 700 किलो कचरा हटाया। इस दौरान कई बार मृत पर्वतारोहियों की लाशें भी मिली, जिन्हें भी नीचे लाया गया। लवराज कहते हैं कि अब हिमालय में कचरा बेहद कम हो गया है। चीन भी हिमालय को साफ करने में योगदान दे रहा है।

कुलाधिपति स्वर्ण पदक

ममता कठायत-योग एंड नेचुरोपैथी

दीपा पुनेठा-एमएससी बॉटनी

दीक्षांत कुमार-एमए योग

विश्वविद्यालय स्वर्ण पदक

अवदेश बिजल्वाण-एमए हिस्ट्री

दीपा पुनेठा-एमएससी बॉटनी

दीपाली मेहता-बीए

धमेंद्र कुमार-बीएड विशेष शिक्षा

ममता कठायत-योग एंड नेचुरोपैथी

पूजा रानी-एम पॉलीटिकल साइंस

पूर्वा समैया-एमए सोशलॉजी

शीतल सिंह-एमबीए

शिव कुमार शर्मा-एमए संस्कृत

शिवानी कोटनाला-बीएड विशेष शिक्षा

सोनल सुब्बा-बीकॉम

सुमन नेगी-एमए एजुकेशन

सुष्मिता पोथाल-एमएसडब्ल्यू

उदिता रानी-एमए इकॉनॉमिक्स

भावना रावत-एमएससी भौतिक विज्ञान

दीक्षांत कुमार-एमए योग

मीना पलियाल-एमएससी रसायन विज्ञान

परिमुक्ता-एमए एजुकेशन

प्रज्ञा बिजल्वाण-एमए पॉलीटिकल साइंस

पूजा तिरुवा-एमए हिंदी

शालिनी सिंह-एमए सोशलॉजी

टीना घई-एमए अंग्रेजी

वंदना सती-एमएससी बॉटनी

वर्तिका शर्मा-बीकॉम

विद्या भट्ट-एमएसडब्ल्यू 

स्मृति स्वर्ण पदक

दीपा पुनेठा-एमकॉम

ममता कठायत-योग एंड नेचुरोपैथी

शालिनी सिंह-एमए सोशलॉजी

पीएचडी उपाधि धारकों की सूची

कुमार नलिन - समाज विज्ञान

राजेंद्र सिंह कोहली - प्रबंध अध्ययन एवं वाणिज्य

दीप चंद्र - प्रबंध अध्ययन एवं वाणिज्य

हरीश चंद्र लखेड़ा - पत्रकारिता एवं मीडिया अध्ययन

उमा पांडे पलडिय़ा - शिक्षा शास्त्र

भुवन चंद्र तिवारी - शिक्षा शास्त्र

प्रियंका सांगुड़ी फुलेरा - शिक्षा शास्त्र

दिनेश चंद्र कांडपाल - शिक्षा शास्त्र

मनीषा पंत - शिक्षा शास्त्र

प्रमिला सुयाल - शिक्षा शास्त्र 

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