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Uttarakhand Open University 5th Convocation : किसी ने गांधी-माओ तो किसी ने हिमालय पर किया शोध

उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षा समारोह में 11 शोधार्थियों को कुलाधिपति ने पीएचडी की उपाधि प्रदान की।

By Edited By: Published: Wed, 04 Dec 2019 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 04 Dec 2019 09:40 AM (IST)
Uttarakhand Open University 5th Convocation : किसी ने गांधी-माओ तो किसी ने हिमालय पर किया शोध
Uttarakhand Open University 5th Convocation : किसी ने गांधी-माओ तो किसी ने हिमालय पर किया शोध

हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के पांचवें दीक्षा समारोह में 11 शोधार्थियों को कुलाधिपति ने पीएचडी की उपाधि प्रदान की। दिल्ली, देहरादून से आए इन शोधार्थियों ने गांधी-माओ, प्रोफेशनल स्ट्रेस, क्रेडिट रिस्क मैनेजमेंट जैसे विषयों पर शोध पूरा किया है।

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देहरादून निवासी राजेंद्र सिंह कोहली ने स्टडी ऑफ प्रोफेशनल स्ट्रेस एंड स्प्रिचुअल इंटेलीजेंस बिटवीन गवर्नमेंट कॉरर्पोरेट एग्जक्यूटिव विषय पर शोध पूरा किया। नैनीताल बैंक के पूर्व उपाध्यक्ष दीप चंद्रा का शोध मैनेजमेंट साइंस में क्रेडिट रिस्क मैनेजमेंट एंड फाइनेंशियल परफारमेंस ऑफ बैंक विषय पर आधारित रहा। इस शोध के लिए उन्होंने ए केस ऑफ नैनीताल बैंक का अध्ययन किया। 1979 में एमफिल बीच में ही छोड़ने के बाद करीब 40 साल बाद उन्हें पीएचडी की डिग्री मिली है। इसके अलावा जर्नलिज्म विषय पर शोध पूरा करने वाले हरीश लखेड़ा को भी पीएचडी की उपाधि मिली। लखेड़ा दिल्ली में पत्रकार हैं। वह अब तक तीन किताबें लिख चुके हैं। जिनमें से एक किताब स्मृतियों का हिमालय भी है। मूल रूप से रानीखेत निवासी भुवन चंद्र तिवारी वर्तमान में दिल्ली के एक स्कूल में प्रवक्ता हैं। उनका शोध शिक्षाशास्त्र विषय पर आधारित रहा। वे वर्ष 1997 से पीएचडी के लिए प्रयासरत थे।

मूल रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी डॉ. कुमार नलिन का शोध गांधी और माओवाद एक तुलनात्मक अध्ययन विषय पर आधारित रहा। डॉ. नलिन ने बताया कि वह वर्तमान में दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाते हैं। उनके एक मित्र ने उन्हें यूओयू से पीएचडी करने का सुझाव दिया था। इंस्प्रेशन कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन की शिक्षिका प्रमिला सुयाल ने शिक्षाशास्त्र विषय को शोध का आधार बनाया। वह वर्तमान में हल्द्वानी के गोरापड़ाव क्षेत्र में रहती हैं।

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