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अरे ! ओडीएफ उत्‍तराखंड के इन छह जिलों में खुले में शौच, जानिए हकीकत nainital news

उत्तराखंड ओडीएफ घोषित होने वाला देश का चौथा राज्य है। कुमाऊं के छह जिलों की भूमिका इस उपलब्धि में अहम मानी गई। खासकर ऊधमसिंह नगर और नैनीताल की।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 03:38 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 03:38 PM (IST)
अरे ! ओडीएफ उत्‍तराखंड के इन छह जिलों में खुले में शौच, जानिए हकीकत  nainital news
अरे ! ओडीएफ उत्‍तराखंड के इन छह जिलों में खुले में शौच, जानिए हकीकत nainital news

हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्‍त) घोषित होने वाला देश का चौथा राज्य है। कुमाऊं के छह जिलों की भूमिका इस उपलब्धि में अहम मानी गई। खासकर ऊधमसिंह नगर और नैनीताल की। पहाड़ी जिले अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़, चम्पावत ने भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। लेकिन हकीकत में तस्‍वीर कुछ और ही दिखाई दे रही है। पैसा लेकर शौचालय न बनाने के साथ ही निर्माण में लापरवाही के तमाम मामले सामने आएं। चलिए जानते हैं जिलों की हकीकत।

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ऊधमसिंह नगर

जिला खुले में शौच से मुक्त है। सभी घरों में शौचालय निर्माण हो गया है...यह तो बात प्रशासनिक दावे की है। अब बारी हकीकत से रूबरू होने की है। जिला मुख्यालय से लेकर गांव तक करीब 20 हजार परिवार ऐसे हैं, जिन्हें अभी तक शौचालय की सुविधा नहीं मिल सकी है। ऐसे में रेल लाइन के किनारे व खेतों में खुले में शौच जाने की मजबूरी है। हालांकि नगर निकायों से लेकर स्वजल परियोजना तक के दस्तावेजों में सभी जरूरतमंदों को शौचालय उपलब्ध करा दिया गया है। 

कहां कितने बने शौचालय

ब्लॉक              शौचालय

बाजपुर             23131

गदरपुर             31190

जसपुर             25381 

काशीपुर          23402

खटीमा             39802

रुद्रपुर              29480 

सितारगंज         35342

मिशन खुशियां में नया लक्ष्य

ब्लॉक       प्रस्तावित शौचालय 

खटीमा        4131

रुद्रपुर         3118

सितारगंज      2342

अल्मोड़ा

स्वच्छ भारत अभियान को धरातल पर आकार देने के लिए जिले में अभियान चला। परिणाम भी सामने आए। मगर कुछ परिवार अब भी ओडीएफ से दूर ही हैं। रही सही कसर श्रमिक व घुमंतू परिवारों की बस्तियों ने पूरी कर दी है। ओडीएफ का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों की ओर है, मगर नदी व सड़क किनारे अस्थायी बस्तियां मुहिम को झटका दे रही हैं।  वर्ष 2012 में पूरे जिले में 1, 37, 865 परिवारों में से 76, 166 के पास शौचालय पहले से ही बने थे। 55, 207 के लक्ष्य के सापेक्ष सभी परिवारों को शौचालय मुहैया कराए जा चुके हैं। मगर तीन वर्ष पहले ही ओडीएफ घोषित सल्ट ब्लॉक के कालीगाढ़ ग्राम पंचायत की प्रधान मंजू देवी कांडपाल कहती हैं कि यहां 15 से 20 परिवार अब भी शौचालय विहीन हैं। 

नहीं बने 56 सामुदायिक शौचालय

खुले में शौच मुक्त दावे के उलट जिले में लक्ष्य के सापेक्ष 56 सामुदायिक शौचालय अभी तक नहीं बन सके हैं। ऐसे में नगर क्षेत्रों में मजदूरी के लिए पहुंचने वाले श्रमिक खुले में शौच कर ओडीएफ की मुहिम को झटका दे रहे हैं। जिला परियोजना प्रबंधन के आंकड़ों के अनुसार 220 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जाना है। इनमें से 172 तैयार किए गए हैं। 17 प्रगति पर हैं, जबकि 39 शौचालयों के निर्माण पर बजट का ब्रेक लगा है। परियोजना निदेशक नरेश कुमार ने बताया कि जो लक्ष्य था उसे पूरा कर लिया गया है। हो सकता है कुछ ब्लॉकों में नए लोग जुड़े हों, लेकिन डिमांड आने पर शौचालयों के निर्माण किए जाएंगे।

बागेश्वर

जिला ओडीएफ घोषित है, लेकिन अब भी कई परिवारों को शौचालय की दरकार है। स्वजल ने 2011 की जनगणना के अनुसार शौचालय की धनराशि आवंटित की। अब काम मनरेगा से हो रहा है। ऐसे में काम करीब ठप सा हो गया है।  जिले में अभी तक 59, 625 शौचालयों का निर्माण हो सका है। जनसंख्या ढाई लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। ऐसे में शौचालयों की अभी बड़ी संख्या में दरकार है। 

कहां कितने बने शौचालय

ब्लॉक               शौचालय

बागेश्वर             24,986

गरुड़               16,725

कपकोट            17,914

गांव की ग्राउंड रिपोर्ट

ग्राम प्रधान परीक्षित खेतवाल ने बताया कि नवीन पिता महेश राम, आशा देवी पत्नी हरीश राम, मंजू  आर्या पत्नी नरेंद्र कुमार, पुष्पा देवी पत्नी नवीन लाल के अभी तक शौचालय नहीं बने हैं। शहर से इस गांव की चार किमी दूरी है। यहां करीब दस फीसद लोगों के पास अब भी शौचालय नहीं है। शौचालय निर्माण के लिए 2003 में पांच सौ रुपये की धनराशि प्रदान की गई। क्रमश: 1200, 2200, 2700, 3700, 5100 और अब यह लागत 12 हजार रुपये हो गई है। डीडी पंत, सीडीओ, बागेश्वर ने बताया कि संयुक्त परिवार अलग होने के कारण नए परिवार बढ़ रहे हैं। जनवरी से स्वजल का काम पूरा हो गया है। अब नए परिवारों के शौचालय मनरेगा के तहत बनाए जाएंगे। खुले में कोई भी शौच नहीं कर रहा है और शौचालयों की जीओ टैगिंग भी पूरी हो गई है।

पिथौरागढ़

जिला 2017 में ही ओडीएफ घोषित हो गया, लेकिन अब भी 5190 परिवार शौचालय विहीन हैं। ऑनलाइन आवेदन किया गया है। 3811 का जियोटैग भी हो गया है। 1171 को प्रोत्साहन धनराशि उपलब्ध करा दी गई, लेकिन शौचालय निर्माण रफ्तार नहीं पकड़ सकी। ऐसे में यहां आज भी लोग खुले में शौच के लिए मजबूर हैं।  खुले में शौच मुक्त कराने के लिए वर्ष 2012-13 में सर्वे किया गया था। पूरे जिले में 30 हजार परिवार शौचालय विहीन मिले। प्रशासन ने 2017 तक शेष शौचालयों के निर्माण का दावा कर जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया। दोबारा छूटे परिवारों का सर्वे किया गया। आठ ब्लॉकों के 5190 परिवार शौचालय विहीन मिले। 

सुस्त रफ्तार, बुरा हाल

ब्लॉक             शौचालय    जीओ टैग   

बेरीनाग          720          584

धारचूला         625          391

डीडीहाट          524          512

गंगोलीहाट      666          397

कनालीछीना    336          231

मूनाकोट        793          451

मुनस्यारी       729          692

विण              797          593

गोपाल गिरि गोस्वामी , जिला विकास अधिकारी, प्रभारी परियोजना अधिकारी स्वजल पिथौरागढ़ ने बताया कि लाभार्थी वर्ष 2012 के सर्वे में छूटे हैं। सर्वे के बाद अलग मकान बना कर रहने से यह स्थिति बनी है। इन परिवारों को मनरेगा के तहत शौचालय निर्माण के लिए भुगतान किया जा रहा है। 

चम्पावत

स्वच्छ भारत मिशन के तहत जिला दो साल पूर्व ओडीएफ घोषित कर दिया गया, लेकिन आज भी गांवों में सभी के पास शौचालय नहीं बने हैं। वर्ष 2014 में स्वजल परियोजना ने ग्राम पंचायतों के माध्यम से जो शौचालय बनवाए, उनमें भी अनियमितता सामने आई। यहां अब भी 3072 परिवारों को शौचालय का भुगतान नहीं हुआ है। यूसुफ बिलाल, प्रभारी परियोजना प्रबंधक, स्वजल का कहना है कि जिले के ओडीएफ घोषित होने के बाद शौचालय के लिए जो आवेदन आ रहे हैं, वे संयुक्त परिवार से अलग हुए लोगों के हैं। ऐसे में जिन परिवारों को शौचालय का भुगतान नहीं हुआ है, उन्हें केंद्र से धनराशि मिलते ही कर दिया जाएगा।

2014 के बाद कहां बने कितने शौचालय 

चम्पावत        6,198

लोहाघाट        9,884

बाराकोट        5,393

पाटी            10,608

हल्द्वानी

पूरे कुमाऊं की शान हल्द्वानी शहर में ओडीएफ रिकॉर्ड कुछ सही नहीं है। सरकारी दावे के मुताबिक नगर निकाय में कोई भी व्यक्ति खुले में शौच नहीं करता। कागजी दावों से धरातल के सच की तरफ रुख करें तो तस्वीर हकीकत को आईना दिखाने वाली है। ऐसी तस्वीर, जिससे हर कोई मुंह मोडऩा पसंद करेगा। मंगलवार को दैनिक जागरण टीम ने वार्ड-14 के जवाहर नगर का रुख किया। जमीनी हकीकत दंग करने वाली मिली। 

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