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नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक फायदा : डॉ. अमिताभ

देश के जानेमाने अर्थशास्त्री और जेएनयू में स्कूल ऑफ सोशल साइंस के डीन डॉ.अमिताभ कुन्डू का साफ तौर पर कहना है कि नोटबंदी से तात्कालिक नुकसान हुआ मगर दीर्घकालिक तौर पर अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 09 Mar 2019 08:03 PM (IST)Updated: Sat, 09 Mar 2019 08:03 PM (IST)
नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक फायदा : डॉ. अमिताभ

नैनीताल, जेएनएन : नोटबंदी को लेकर विपक्ष की लगातार आलोचना झेल रही मोदी सरकार के लिए राहत भरी खबर है। देश के जानेमाने अर्थशास्त्री और जेएनयू में स्कूल ऑफ सोशल साइंस के डीन डॉ.अमिताभ कुन्डू का साफ तौर पर कहना है कि नोटबंदी से सात-आठ माह भले ही तात्कालिक नुकसान हुआ मगर दीर्घकालिक तौर पर अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। उन्होंने महिलाओं के शहरों की ओर पलायन को सकारात्मक संकेत मानते हुए कहा कि रोजगार के पैटर्न में बदलाव हो रहा है। कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था दुनियां में तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में एक है, जहां सात फीसदी की दर से बढ़ोत्तरी होना सुखद संकेत है।

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कुमाऊं विवि के हरमिटेज भवन में 'रूरल डिस्ट्रेस इन कन्टेंपोरेरी इंडिया: इट्स इम्पलीकेशन एंड चैलेंजेजÓ विषयक सेमिनार में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे डॉ अमिताभ ने पत्रकारों के सवालों के भी जवाब दिए। उन्होंने पंचवर्षीय विकास दर में 2011-12 में तीन फीसद व 2017-18 में छह फीसद होने के आंकड़ों पर भी सवाल उठाए। बोले, एनडीए सरकार में भ्रष्टïाचार का स्तर बेहद कम है। कर्जमाफी को गलत ठहराते हुए कहा कि जिस तरह आम गरीब को हाल ही में दिए गए दस फीसद आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा, उसी तरह कर्जमाफी का लाभ भी कर्ज में डूबे किसानों को नहीं मिल रहा है। एक सवाल के जवाब में कहा कि भाजपा-कांग्रेस की आर्थिक नीतियों में अंतर बेहद कम है।

कुन्डू कमेटी की रिपोर्ट लागू करे सरकार

सच्चर कमेटी के बाद अल्पसंख्यकों की स्थिति के अध्ययन के लिए केंद्र सरकार द्वारा जेएनयू के प्रो. अमिताभ कुन्डू को कमेटी का चेयरमैन बनाया गया। कुन्डू कमेटी ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी मगर अब तक सिफारिशों को लागू नहंी किया। इस पर डॉ. अमिताभ ने कहा कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों को किसी तरह का आरक्षण देने की सिफारिश नहीं की है। बोले यूपीए सरकार ने सच्चर कमेटी की 105 में से 90 सिफारिशें स्वीकार की, मगर अब तक उनका क्रियान्वयन नहीं हो सका। जबकि एनडीए सरकार द्वारा सिफारिशें लागू करने पर विचार करने का बयान दिया गया है। बोले अल्पसंख्यकों की आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति बेहद खराब है। अनुसूचित जाति व जनजातियों से भी उनकी शैक्षणिक स्थिति बदतर है। सरकार को उनके लिए स्किल डेवलपमेंट की स्कीम बनानी होगी।

स्वच्छता को लेकर आई जागरूकता

ग्रामीण भारत में स्वच्छ भारत मिशन की सर्वे कमेटी के चेयरमैन डॉ. अमिताभ ने कहा कि मौजूदा केंद्र सरकार के कार्यकाल में स्वच्छता को लेकर जागरूकता आई है। देश की अधिकांश आबादी के लिए शौचालय निर्माण हो चुका है। यह अलग तथ्य है कि इन शौचालयों में से कितनों का उपयोग हो पा रहा है।

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