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लॉकडाउन बना लोक कला व रचनात्मकता से जुड़ने का माध्यम, ऐपण गर्ल ने शुरू की प्रतियोगिता

लॉकडाउन में घर में रहते हुए जब बंदिश महसूस हो रही है ऐसे समय में रामनगर की मीनाक्षी खाती ने समाज को लोक कला से जोडऩे की पहल की है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 24 Apr 2020 08:51 PM (IST)Updated: Fri, 24 Apr 2020 08:51 PM (IST)
लॉकडाउन बना लोक कला व रचनात्मकता से जुड़ने का माध्यम, ऐपण गर्ल ने शुरू की प्रतियोगिता
लॉकडाउन बना लोक कला व रचनात्मकता से जुड़ने का माध्यम, ऐपण गर्ल ने शुरू की प्रतियोगिता

हल्द्वानी, गणेश पांडे : लॉकडाउन में घर में रहते हुए जब बंदिश महसूस हो रही है, ऐसे समय में रामनगर की मीनाक्षी खाती ने समाज को लोक कला से जोडऩे की पहल की है। मीनाक्षी की रचनात्मक पहल को सोशल मीडिया पर खूब सराहना मिल रही है। कुमाऊं या उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि महानगरों में रहने वाले भी इस अनूठी मुहिम से जुड़ रहे हैं।

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सेल्फी विद ऐपण प्रतियोगिता

नैनीताल जिले के रामनगर की रहने वाली मीनाक्षी बीएससी की छात्रा हैं। मीनाक्षी ने लाल मिट्टी व बिस्वार (पीसे चावल से तैयार लेप) से तैयार होने वाले पारंपरिक ऐपण विधा को नेम प्लेट, चाय का कप, चाबी छल्ला, पूजा थाल, फ्लावर पॉट, पैन स्टैंड आदि पर उतारकर स्वरोजगार की संभावना को बल दिया है। सोशल मीडिया पर चर्चित हुई मीनाक्षी को ऐपण गर्ल नाम दिया जा रहा है। मीनाक्षी ने फेसबुक पेज के माध्यम से सेल्फी विद ऐपण प्रतियोगिता आयोजित की है। बाकायदा विजेताओं को ऑनलाइन माध्यम से पुरस्कार राशि दी जाएगी। 22 अप्रैल से शुरू हुई प्रतियोगिता एक मई तक चलेगी। फेसबुक में मिलने वाले लाइक, व कमेंट के आधार पर अंकों की गणना होगी।

ऐसे आया आइडिया

मीनाक्षी बताती हैं कि लॉकडाउन में प्रतियोगिता कराने का विचार आया। सोचा इससे युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति को जानने के साथ जड़ों से जुड़ाव महसूस करेगी। लॉकडाउन का कुछ सदुपयोग भी हो जाएगा। प्रतियोगियों से ऑनलाइन आवेदन मांगे और इसका अच्छा रिस्पांस भी मिल रहा है।

पारंपरिक चित्रकला है ऐपण

ऐपण कुमाऊं की पारंपरिक चित्रकला है। इसमें प्राकृतिक रंगों व गेरू एवं चावल के आटे के घोल (बिस्वार) से आकृतियां बनाई जाती हैं। धार्मिक अनुष्ठानों में व त्योहार पर घर की दीवार, देहरी, आंगन, पूजा स्थल पर मांगलिक प्रतीकों को उकेरा जाता है। इससे मिलती पारंपरिक चित्रकलाएं देश के कई हिस्सों में अन्य नामों के प्रचलित हैं।

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