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कुमाऊं मंडल के भूकंप की मॉनीटरिंग करेगा कुमाऊं विश्‍वविद्यालय nainital news

भारत सरकार मिशन मोड प्रोग्राम के अंतर्गत हिमालय क्षेत्र की भूगर्भीय हलचलों को डेटाबेस जुटा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 09:43 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 09:43 AM (IST)
कुमाऊं मंडल के भूकंप की मॉनीटरिंग करेगा कुमाऊं विश्‍वविद्यालय nainital news

नैनीताल, किशोर जोशी : भारत सरकार मिशन मोड प्रोग्राम के अंतर्गत हिमालय क्षेत्र की भूगर्भीय हलचलों का डेटाबेस जुटा रही है। इसके तहत हिमालय रीजन में छोटे-बड़े भूकंप का डाटा रिकॉर्ड करने के लिए अत्याधुनिक मशीनें व सिस्टम स्थापित किया जा रहा है। कुमाऊं मंडल में आने वाले भूकंप की मॉनीटरिंग का जिम्मा कुमाऊं विश्‍वविद्यालय के भूगर्भ विज्ञान विभाग को दिया गया है। जबकि गढ़वाल मंडल में वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून मॉनीटरिंग कर रहा है।

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हिमालयी राज्य उत्तराखंड भूगर्भीय दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। खासकर सीमांत क्षेत्र पिथौरागढ़, चम्पावत, बागेश्वर, गढ़वाल में चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी के इलाके में भूगर्भीय हलचलें खतरा बनी हुई हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से कुमाऊं में मुनस्यारी, धारचूला, चमोली के भराड़ीसैंण, धौलछीना (अल्मोड़ा) व चम्पावत में  भूकंपमापी यंत्र लगाए गए हैं। परियोजना के तहत मंत्रालय ने छह और भूकंपमापी यंत्र स्थापित करने के लिए 1.80 करोड़ की परियोजना मंजूर की है। इसमें एक करोड़ की लागत से अत्याधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी, जिनके रिकॉर्ड से भूकंप का डाटा तैयार किया जाएगा। परियोजना के मुख्य अन्वेषक व कुमाऊं विवि आइयूएससी के निदेशक प्रो. राजीव उपाध्याय ने बताया कि परियोजना की नोडल एजेंसी कुमाऊं विवि को बनाया गया है। भूकंपमापी केंद्र से प्राप्त डेटा को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के साथ साझा किया जाएगा। भूकंपमापी यंत्र को इलेक्ट्रानिक सोलर पैनल से बिजली का प्रवाह होगा तो यह 24 घंटे काम करता रहेगा। प्रो. केएस राणा, कुलपति, कुमाऊं विवि ने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय से प्रोजेक्ट मंजूर होना बड़ी उपलब्धि है। भूगर्भ विज्ञान विभाग सेंटर फॉर एक्सीलेंस के साथ ही विवि की पहचान है। दूसरे विभाग भी शोध परियोजनाओं का नोडल बनें, इस दिशा में कारगर प्रयास होंगे।

मेन सेंट्रल थ्रस्ट में रोज आते हैं भूकंप

कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले में नेपाल-चीन व तिब्बत सीमा से मेन सेंट्रल थ्रष्टï गुजरती है। इसकी वजह से धारचूला-मुनस्यारी क्षेत्र में रोज 50-100 छोटे-मोटे भूकंप आते रहे हैं। प्रो. उपाध्याय के मुताबिक हिमालय क्षेत्र के कुल ढाई हजार किमी एरिया मेें चार थ्रस्ट है, जिसमें मेन सेंट्रल थ्रस्ट सबसे अधिक संवेदनशील है। बर्फीले पहाड़ का इलाका ग्रेट हिमालय कहा जाता है। निम्न हिमालय को उच्च हिमालय मेें जोडऩे वाली दरार मेन सेंट्रल थ्रस्ट कहलाती है। यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, हिंदूकुश की पहाडिय़ों तक है। नेपाल में भूकंप इसी थ्रस्ट की हलचल से आया था।

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