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Uttarakhand के 200 गांवों के लोगों की सड़क छह महीने के लिए बंद, 15 नवंबर को हुआ था भारी भूस्खलन

Kathgodam Hairakhan Road हैड़ाखान से लेकर रीठासाहिब तक करीब 200 गांवों के लोगों का संकट दूर होने में लंबा वक्त लगेगा। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि करीब छह माह का वक्त तो विस्तृत सर्वे में लग जाएगा। उसके बाद ही स्थायी समाधान की दिशा में बढ़ा जाएगा।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraPublished: Sun, 04 Dec 2022 01:00 PM (IST)Updated: Sun, 04 Dec 2022 01:00 PM (IST)
Uttarakhand के 200 गांवों के लोगों की सड़क छह महीने के लिए बंद, 15 नवंबर को हुआ था भारी भूस्खलन
Kathgodam Hairakhan Road : 15 नवंबर को भारी भूस्खलन की वजह से हैड़ाखान रोड बंद हो गई थी।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : Kathgodam Hairakhan Road : हैड़ाखान से लेकर रीठासाहिब तक करीब 200 गांवों के लोगों का संकट दूर होने में लंबा वक्त लगेगा। 15 नवंबर को भारी भूस्खलन की वजह से हैड़ाखान रोड बंद हो गई थी।

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लोनिवि के सड़क से मलबा हटाने का काम पूरा करने की वजह से उम्मीद जगी थी कि जल्द स्थायी ट्रीटमेंट को लेकर काम शुरू होगा, मगर अब विभागीय अधिकारियों का कहना है कि करीब छह माह का वक्त तो विस्तृत सर्वे में लग जाएगा। उसके बाद ही स्थायी समाधान की दिशा में बढ़ा जाएगा।

भूगर्भीय सर्वे में पहाड़ी के कमजोर होने की बात सामने आई

सड़क के निरीक्षण को पहुंचे लोनिवि के प्रमुख अभियंता अयाज अहमद ने पत्रकारों से वार्ता के दौरान यह बात कही। काठगोदाम से दो किमी आगे जाने के बाद सड़क भूस्खलन की वजह से बंद हो गई।

सड़क का 380 मीटर हिस्सा मलबे से पटा पड़ा था। जिसे बीते शुक्रवार दोपहर तक लोनिवि ने हटा दिया, मगर संकट यह है कि पानी रिसाव व भूगर्भीय सर्वे में पहाड़ी के कमजोर होने की बात सामने आई थी। ऐसे में अब भी भूस्खलन होने का डर बना हुआ है।

पूर्व में विभाग ने टीएचडीसी की टीम को भी बुलाया था। जिसके बाद विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि पहले मलबा हटेगा। उसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू होगी। अब सड़क के निरीक्षण को पहुंचे प्रमुख अभियंता अयाज अहमद ने साफ कहा है कि पहाड़ी खिसकने का सिलसिला अब भी जारी है। इसलिए किसी प्रमुख संस्था से इस जोन का अध्ययन कराने की जरूरत है। इस काम में 6-7 माह का वक्त भी लग सकता है।

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वन भूमि वाले विकल्प पर गंभीरता की जरूरत

भूस्खलन की वजह से सड़क का 380 मीटर हिस्सा नीचे चला गया। कुछ हिस्से में मलबे के ऊपर रोड बची है। ऐसे में ग्रामीणों की समस्या को देखते हुए वन भूमि वाले विकल्प पर गंभीरता से गौर करना होगा। प्रभावित क्षेत्र से पहले 2.2 किमी का एलाइनमेंट लेकर सड़क को दूसरे छोर पर जोड़ना होगा। इसमें वन भूमि की जरूरत पड़ेगी। प्रमुख अभियंता ने विभागीय अधिकारियों को इस सर्वे के लिए भी कहा।

पैदल और बाइक से न निकले, जोखिम पड़ सकता है भारी

लोनिवि ने क्षतिग्रस्त सड़क से मलबा हटा लिया है, लेकिन भूस्खलन को देखते हुए लोगों से अपील की है कि वाहन तो दूर यहां से पैदल भी न निकलें। क्योंकि, कमजोर पहाड़ी से मलबा कभी भी आ सकता है, लेकिन इस अपील का असर नहीं पड़ रहा है। लोग पैदल और बाइक-स्कूटी लेकर निकल रहे हैं। इस दौरान दोपहिया वाहन फंसते भी नजर आए। यह जोखिम जान पर भारी पड़ सकता है।

ग्रामीण बोले, आंदोलन की जरूरत

लंबे समय तक सड़क न खुलने की जानकारी मिलते ही ग्रामीणों में भी मायूसी छा गई। उनका कहना है कि रौशिल-जमरानी वैकल्पिक मार्ग से सफर करना मुश्किल हो रहा है। विजयपुर-ओखलढूंगा मार्ग की स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं हो सकी। यहां मशीन मलबे को हटाने में जुटी है। ऐसे में ग्रामीणों का कहना है कि पुराने मार्ग को ही जल्द सुधारा जाए। वरना आंदोलन किया जाएगा।


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