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कश्मीरी अखरोट से किसानों की आमदनी सुधरने की आशा

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है। अब जिले के तमाम इलाकों में कश्मीरी अखरोट लगाने की मुहिम शुरू की जा रही है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 29 Dec 2018 06:45 PM (IST)Updated: Sun, 30 Dec 2018 11:38 AM (IST)
कश्मीरी अखरोट से किसानों की आमदनी सुधरने की आशा
कश्मीरी अखरोट से किसानों की आमदनी सुधरने की आशा

बागेश्वर, जेएनएन : किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया है। अब जिले के तमाम इलाकों में कश्मीरी अखरोट लगाने की मुहिम शुरू की जा रही है। उत्तराखंड वन संसाधन प्रबंध परियोजना ने आधा दर्जन गांवों को गोद लिया है। अलबत्ता अखरोट से किसानों की आॢथकी सुधारने के प्रयासों को धरातल पर उतारा जा रहा है। जिले की भौगोलिक परिस्थिति कश्मीरी अखरोट के लिए अच्छी मानी जा रही है। उच्च हिमालय की तलहटी में बसे गांवों में कश्मीरी प्रजाति का अखरोट पैदा होने की प्रबल संभावना है। यहां पहले से भी अखरोट पैदा हो रहा है। उत्तराखंड वन संसाधन प्रबंध परियोजना ने ऐसे गांवों की मिट्टी का परीक्षण भी किया है और किसानों का चयन भी कर लिया है। यदि यहां कश्मीरी अखरोट पैदा करने में किसानों को सफलता मिली तो उनकी आॢथकी में सुधार होने की प्रबल संभावनाएं व्यक्त की जा रही हैं।

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वन पंचायतों का चयन : वन पंचायत अमोली, बोहाला, बंजा, देवतोली, रमाड़ी, बड़ी पन्याली को कश्मीरी अखरोट से लहलहाने की तैयारी  में वन संसाधन परियोजना है।

एक पेड़ से लक्ष्य : मार्केङ्क्षटग स्पेशियलिस्ट गोपाल ङ्क्षसह बिष्ट ने बताया कि एक अखरोट की पेड़ से प्रतिवर्ष 15 से 20 किग्रा उपज होने की संभावना व्यक्त की गई है। सेंट्रल इंस्टीट््यूट आफ टेंपरेट हाॢटकल्चर किसानों को प्रशिक्षण भी देगा। बागेश्वर के उप प्रभागीय वनाधिकारी बीएस शाही ने बताया कि वन एवं परियोजना र्किमयों को पेड़ों के रोपण से लेकर बड़ा होने तक सही देखरेख करने के निर्देश भी दिए   हैं। निश्चित तौर पर कश्मीरी अखरोट जिले के ग्रामीण क्षेत्र के आॢथक विकास में सफल बनेगा।

जाने अखरोट के बारे में : अखरोट एक पर्णपाती वृक्ष है जिसकी ऊंचाई लगभग 30-35 मीटर तक हो जाती है। इसके पत्ते 15 से 35 सेटीमीटर लंबे होते हैं। इसका फल कठोर, गुठलीदार होता है। ये दो प्रकार के होते हैं कागजी और कठोर। इसमें से कागजी अखरोट आसानी से टूट जाता है। इसमें सितम्बर-अक्टूबर में फल लगाते हैं। रोपने के बाद इसके फल प्राप्त करने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है इसमें 8-10 साल का समय लग जाता है। देश में अखरोट की सबसे ज्यादा पैदावार कश्मीर में होती है। यहां पैदा होने वाले अखरोट की किस्म भी सबसे अच्छी होती है।  अखरोट एक बहुउपयोगी वृक्ष है। यह खाने के लिए प्रयोग तो होता ही है। इसकी लकड़ी भी बहुत उपयोगी होती है। इसके लगभग सभी अंग औषधि के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।

अखरोट के लाभ :

- अखरोट रस में मधुर, पुष्टिकारक, पित्तश्लेष्मा की वृद्धि करने वाला, बलवर्धक, हृदय के लिए हितकर तथा क्षयरोग, रक्त विकार एवं दाह को शांत करने वाला होता है। इसकी गिरी बुद्धिवर्धक होती है।

- कब्ज दूर करने के लिए अखरोट का तेल 20-40 मिलीलीटर दूध के साथ नियमित रूप से लेना चाहिए। इससे खुल कर दस्त होता है और कब्ज की परेशानी दूर होती है।

- गले के घावों को दूर करने के लिए कच्चे अखरोट के सिरके या काढ़े से गरारे करने चाहिएं। नासूरों के इलाज के लिए अखरोट की गिरी को मोम या मीठे तेल में पकाकर नासूरों पर लगाना चाहिए।

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