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कैलास मानसरोवर यात्रियों को इस वर्ष हवाई मार्ग से यात्रा करने की बाधा नहीं, जानिए

देश भर से आने वाले कैलास मानसरोवर यात्रियों को इस वर्ष हवाई मार्ग से यात्रा करने की बाधा नहीं रहेगी। नजंग से लखनपुर के बीच तीन किमी तक की यह सड़क तैयार हो चुकी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 10 Mar 2019 08:34 PM (IST)Updated: Sun, 10 Mar 2019 08:34 PM (IST)
कैलास मानसरोवर यात्रियों को इस वर्ष हवाई मार्ग से यात्रा करने की बाधा नहीं, जानिए
कैलास मानसरोवर यात्रियों को इस वर्ष हवाई मार्ग से यात्रा करने की बाधा नहीं, जानिए

पिथौरागढ़, जेएनएन : देश भर से आने वाले कैलास मानसरोवर यात्रियों को इस वर्ष हवाई मार्ग से यात्रा करने की बाधा नहीं रहेगी। नजंग से लखनपुर के बीच तीन किमी तक की यह सड़क तैयार हो चुकी है, जबकि मालपा में मार्ग तैयार करने का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। सड़क तैयार हो जाने पर यात्रियों को इस वर्ष हवाई मार्ग से यात्रा करने की बाधा नहीं रहेगी और न मौसम साफ होने के लिए उड़ान को लंबा इंतजार करना पड़ेगा।

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वर्ष 2017 में मालपा से लखनपुर के बीच आई भारी आपदा से आठ किमी तक का पूरा मार्ग तबाह हो गया था। मालपा में चीन सीमा को जोडऩे वाली सड़क का निर्माण चल रहा है, इसी के ठीक नीचे कैलास मानसरोवर यात्रा का पैदल पथ भी है। आपदा के चलते पैदल मार्ग पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। मार्ग ध्वस्त हो जाने से वर्ष 2018 में कैलास मानसरोवर की पैदल यात्रा नहीं हो सकी थी। यात्रियों को जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ से हेलीकाप्टरों के जरिए सीधे गुंजी पड़ाव पर उतारा गया, जहां से यात्रियों ने पैदल यात्रा शुरू  की। मौसम की खराबी के चलते पिथौरागढ़ में तैनात हेलीकाप्टर कई दिनों तक उड़ान नहीं भर पाए। यात्रियों को आठ से दस दिनों तक जिला मुख्यालय पर ही इंतजार करना पड़ा। कई बैच रद करने पड़े थे।

इस वर्ष यात्रा में यह समस्या नहीं आएगी। नजंग से लखनपुर तक सड़क का निर्माण होने के साथ ही पैदल मार्ग को भी ठीक कर लिया गया है। मालपा में काम चल रहा है। जून माह में यात्रा शुरू  होगी और इससे पहले ही मार्ग ठीक हो जाएगा। यात्रियों की पैदल यात्रा की मुराद पूरी हो जाएगी।

जून प्रथम सप्ताह से शुरू  हो जाएगी मानसरोवर यात्रा

कैलास मानसरोवर यात्रा जून प्रथम सप्ताह में दिल्ली से शुरू  होगी। यात्रा के लिए चयनित देश भर के यात्री दिल्ली में एकत्र होंगे। जहां से वे हल्द्वानी, अल्मोड़ा, बेरीनाग, डीडीहाट होते हुए धारचूला पहुंचेंगे। धारचूला से मांगती तक की यात्रा वाहनों से होगी वहां से यात्री अपनी पैदल यात्रा शुरू  करेंगे। गाला, सिर्खा, गुंजी, कालापानी, नाभीढांग पड़ाव पर रात्रि विश्राम के बाद यात्री लिपूलेख दर्रे से तिब्बत में प्रवेश करेंगे। वापसी में यात्रा धारचूला से जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ होते हुए जागेश्वर धाम को प्रस्थान करेगी। सितंबर अंत तक चलने वाली इस यात्रा में अमूमन 18 बैच भेजे जाते हैं। प्रत्येक दल में यात्रियों की संख्या 50 से 60 के बीच होती है।

आइटीबीपी ने जून माह में अधिक दल भेजे जाने का दिया है प्रस्ताव

पिछले वर्ष जून अंत और जुलाई में हुई भारी बारिश और मौसम की खराबी के चलते यात्रा प्रभावित हुई थी। इसे देखते हुए आइटीबीपी ने इस वर्ष जून माह में अधिक दल भेजे जाने का प्रस्ताव रखा है। ताकि अधिक से अधिक यात्रियों को जून माह में ही यात्रा करा ली जाए। आइटीबीपी उच्च हिमालयी क्षेत्र में यात्रियों की सुरक्षा का दायित्व संभालती है, जबकि आयोजक संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम यात्रियों के आवास, भोजन आदि के इंतजाम का दायित्व संभालता है।

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