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संस्कृति विभाग की पहल : राज्य की परंपरा व संस्कृति को बचाएगी गुरुओं की फौज NAINITAL NEWS

राज्य की लोककलाओं लोकगीतों वाद्ययंत्रों के संरक्षण व परपंरा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति विभाग ने पहल तेज कर दी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 02:36 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 02:36 PM (IST)
संस्कृति विभाग की पहल : राज्य की परंपरा व संस्कृति को बचाएगी गुरुओं की फौज NAINITAL NEWS

ऊधमसिंह नगर (गरमपानी) जेएनएन : राज्य की लोककलाओं, लोकगीतों, वाद्ययंत्रों के संरक्षण व परपंरा को बढ़ावा देने के लिए संस्कृति विभाग ने पहल तेज कर दी है। इसके तहत प्रदेश भर के 17 शिक्षकों को छह माह का प्रशिक्षण देकर पारंगत बनाया गया है। ये गुरुजन अब गुरु-शिष्य परंपरा के तहत प्रदेश भर में अभियान चलाकर लोगों को सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानकारी देंगे और उभरते कलाकारों को दक्ष बनाएंगे। आदिकाल से ही अनुसूचित जाति, जनजाति के लोग लोककलाओं, नृत्य, लोकगीत, लोकगाथाओं व वाद्ययंत्रों के वाहक रहे हैं। विभिन्न अनुष्ठानों, त्योहारों, मेले, उत्सवों में अपनी कला से ये लोगों का मनोरंजन करते रहे हैं। इसी के संरक्षण, संवर्धन तथा भावी पीढ़ी को प्रशिक्षण देने तथा लोककला व पारंपरिक वेशभूषा व वाद्ययंत्रों आदि को संजोकर रखने के लिए संस्कृति विभाग ने यह पहल की है।

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गुरु संगतकर्ता लगाएंगे कार्यशाला

प्रदेश भर के विभिन्न जिलों से चुने गए गुरुजनों को प्रतिमाह तीन हजार व उनके साथ संगतकर्ता को दो हजार रुपये मानदेय भी दिया जाएगा। जिन क्षेत्रों में ये कार्यशाला लगाएंगे, वहां 15 शिष्य होने आवश्यक होंगे।

ये है गुरुओं की फौज

गुलाब राय (हरिद्वार) हरीश लाल व अब्बल राम (चमोली), सुत्ता लाल (पौड़ी गढ़वाल), मनोज कुमार (पिथौरागढ़), देवेंद्र कुमार व बची राम (अल्मोड़ा), प्रेम पंचौली, प्यारेलाल व हरिलाल (उत्तरकाशी), नवीन राम (चंपावत), उमेश कुमार, जितेंद्र (रुद्रपुर), छिद्दोवंती (खटीमा), मणि लाल भारती, शांति वर्मा व कबीरदास (देहरादून)। बीना भट्ट, निदेशक, संस्कृति विभाग देहरादून का कहना है कि विलुप्त होती संस्कृति व परंपरा बचाने के लिए बेहतर प्रयास किए जा रहे हैं। आने वाले समय में लोककलाओं, लोकगीतों व वाद्ययंत्रों को लोग समझें, इसके लिए गुरु-शिष्य परंपरा के तहत योजना शुरू की गई है।

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