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बाघ को मारने या पकड़ने के लिए एनटीसीए को सूचित करना जरूरी NAINITAL NEWS

अब आबादी में घुसे आदमखोर बाघ को पकडऩे या मारने के फैसले से पहले एनटीसीए को भी इस बारे में सूचित करना होगा। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जा सकेगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 21 Sep 2019 09:07 AM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 08:07 PM (IST)
बाघ को मारने या पकड़ने के लिए एनटीसीए को सूचित करना जरूरी NAINITAL NEWS

रामनगर, जेएनएन : देश में बाघों के संरक्षण को लेकर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने एक और नया कदम उठाया है। अब आबादी में घुसे आदमखोर बाघ को पकडऩे या मारने के फैसले से पहले एनटीसीए को भी इस बारे में सूचित करना होगा। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की जा सकेगी। जंगल से सटे गांवों में अक्सर मानव और वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं सामने आती रहती हैं। जंगल से आकर कई बार बाघ आबादी में घुस जाते हैं और इंसानों पर भी हमला कर देते हैं। ऐसे में अब तक टाइगर रिजर्व व वन विभाग के अधिकारियों को स्थिति के अनुसार बाघ को पकडऩे अथवा मारने की अनुमति राज्य के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक से लेनी होती थी। लेकिन अब एनटीसीए ने सभी राज्यों के टाइगर रिजर्व के अधिकारियों व राज्य के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक को नई गाइड लाइन जारी कर दी है।

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एनटीसीए के सदस्य सचिव अनूप कुमार नायक की ओर से नई गाइड लाइन जारी की गई है। जिसमें कहा गया है कि अब बाघ को पकडऩे के लिए ट्रेंकुलाइज करने अथवा मारने जैसे कोई भी निर्णय लेने से पहले एनटीसीए को सूचित करना होगा। यानी कोई भी कार्रवाई से पहले एनटीसीए की अनुमति जरूरी होगी। एनटीसीए यह नया आदेश कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में भी पहुंच गया है। कार्बेट के निदेशक राहुल ने बताया कि एनटीसीए की नई गाइड लाइन जारी हुई है। जिसमें अब बाघ के संबंध में कोई भी कार्रवाई से पहले एनटीसीए को भी सूचित करना होगा। उन्होंने कहा कि सीटीआर के रेंजों को भी इस आदेश से अवगत करा दिया गया है।

अब चुनौती भी कम नहीं

रामनगर : भले ही नई गाइड लाइन से बाघों को और सुरक्षा मिलेगी लेकिन इससे धरातल पर कई चुनौतियां भी बढऩा लाजमी हैं। कई बार बाघ के हमले में जनहानि की घटना से आक्रोशित लोगों का वन विभाग पर बाघ को पकडऩे का काफी दबाव रहता है। ऐसे में विभागीय अधिकारी बाघ को आदमखोर घोषित करने व पकडऩे के संबंध में राज्य के मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक से लिखित आदेश ले लेते हैं। लेकिन नई गाइड लाइन जारी होने के बाद अब एनटीसीए से भी अनुमति लेने में समय लगेगा। जिसका आक्रोश मौके पर वनाधिकारियों व कर्मचारियों को झेलना पड़ेगा। ऐसे में एनटीसीए के इस नियम से वन विभाग की मुश्किलें बढऩा तय माना जा रहा है। निदेशक सीटीआर राहुल ने बताया कि एनटीसीए की गाइड लाइन प्राप्त हुई है। नई गाइड लाइन के मुताबिक बाघ को पकडऩे, ट्रैंकुलाइज करने, पिंजरे में डालने या मारने के लिए अब एनटीसीए की अनुमति जरूरी है।

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