मुधमक्खियों की वंश वृद्धि में बाधक बन रही बेमौसम बारिश, शहद उत्पादन पर पड़ा असर
बेमौसम बरसात मधमक्खियों की वंशवृद्धि में बाधक बन रही है। पिछले कुछ वर्षो से फरवरी में होने वाली बारिश से मधुमक्खियों की तादाद नहीं बढऩे का सीधा असर शहद उत्पादन पर दिखने लगा है।
पिथौरागढ़, जेएनएन : बेमौसम बरसात मधमक्खियों की वंशवृद्धि में बाधक बन रही है। पिछले कुछ वर्षो से फरवरी में होने वाली बारिश से मधुमक्खियों की तादाद नहीं बढऩे का सीधा असर शहद उत्पादन पर दिखने लगा है। शहद का उत्पादन 40 कुंतल से घटकर 30 कुंतल पर आ गया है। यही स्थिति रही तो जिले के लोग डिब्बाबंद शहद पर निर्भर हो जायेंगे।
जिले में पिछले कुछ वर्षो से शहद की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन लोगों को स्थानीय स्तर पर उत्पादित होने वाला शहद नहीं मिल पा रहा है। जिले में शहद का उत्पादन सिमट रहा है। इस वर्ष जिले भर में 30 कुंतल शहद का उत्पादन हुआ। शहद उत्पादन के कारणों में आ रही गिरावट पड़ताल में कई तथ्य सामने आए हैं। इसमें सबसे बड़ा कारण मौसम बन रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में 15 फरवरी के बाद तापमान में सुधार आने लगता है। 15 फरवरी से 15 मार्च तक का समय मौन वंश में वृद्धि का रहता है। इस समय मधुमक्खियों में बकछूट होती है, लेकिन तापमान सामान्य से 10 डिग्री नीचे चल रहा है, जिससे मधुमक्खियां वंशवृद्धि नहीं कर पा रही हैं। मौसम में आ रहा परिवर्तन इसी तरह चलता रहा तो पहाड़ में शहद उत्पादन और गिरने की आशंका है।
मोबाइल टावर भी खड़ी कर रहे हैं समस्या
पर्वतीय क्षेत्रों में जगह- जगह खड़े हो रहे मोबाइल टावर भी मौन पालन पर विपरीत असर डाल रहे हैं। मोबाइल टॉवरों से निकलने वाली तरंगों से मधुमक्खियां अपने निर्धारित पथ से भटक रही हैं। जिससे उन्हें फूलों से रस लेकर अपने गंतव्य तक पहुंचने में समस्या आ रही है। मोमी पतंगा(वैक्स माउथ)बीमारी भी एक बड़ी समस्या है। जिसके प्रति मौन पालक जागरू क नहीं हैं। इस बीमारी में मौन बाक्स मेें जाल लग जाते हैं और मधुमक्खियां दम तोड़ रही हैं। इससे निपटने के लिए मौन पालकों को प्रशिक्षित किए जाने की जरूरत है।
15 फरवरी से 15 मार्च तक का समय वंशवृद्धि का
हरीश चंद्र दुबडिय़ा, मौन पालन विशेषज्ञ ने बताया कि मौसम मधुमक्खियों की वंशवृद्धि में बाधा खड़ी कर रहा है। 15 फरवरी से 15 मार्च तक का समय वंशवृद्धि का समय होता है, लेकिन इसके लिए 20 डिग्री से अधिक तापमान की जरू रत होती है। तापमान कम है, जिसके चलते दिक्कत आ रही है। वैक्स माउथ बीमारी की रोकथाम के लिए मौन पालकों को जागरू क किया जा रहा है।
जिले में शहद उत्पादन वाले प्रमुख क्षेत्र
1. पंचेश्वर घाटी
2. रामगंगा घाटी
3. काली नदी घाटी
4. गोरीछाल क्षेत्र
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