उत्तराखंड में 434 दवाओं की बिक्री पर हाईकोर्ट ने लगाई पूर्ण पाबंदी
हार्इ कोर्ट ने उत्तराखंड में 434 किस्म की दवाओं की बिक्री पर रोक लगा दी है। एक जनहित याचिका पर सुनवार्इ करते हुए कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।
नैनीताल, [जेएनएन] हाईकोर्ट ने युवा पीढ़ी को नशे की लत से उबारने के लिए एतिहासिक आदेश पारित किया है। कोर्ट ने केंद्रीय औषधि नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रतिबंधित 434 दवाओं की बिक्री को राज्य में पूरी तरह प्रतिबंधित करते हुए मेडिकल स्टोर में इन दवाओं के मिलने पर पुलिस की मदद से नष्टï करने अथवा कंपनी को वापस करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही सभी शिक्षण संस्थानों, निजी संस्थानों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर ड्रग कंट्रोल क्लब खोलने को कहा है। क्लब के अध्यक्ष उच्च शिक्षा निदेशक व नोडल अधिकारी विद्यालयी शिक्षा निदेशक होंगे।
सोमवार को कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शर्मा व न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में रामनगर की श्वेता मासीवाल की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि प्रदेश का युवा दिन प्रतिदिन नशे की गिरफ्त में आ रहा है। सरकार और पुलिस नशाखोरी पर अंकुश लगाने में नाकाम रहे हैं। पूर्व में एसएसपी एसटीएफ और क्षेत्रीय निदेशक नारकोटिक्स एवं ड्रग्स कंट्रोलर कोर्ट में पेश हुए थे और उन्होंने स्टाफ की कमी का हवाला दिया था।
एसएसपी एसटीएफ की ओर से बताया गया था कि नशे का कारोबार राज्य के बाहर के प्रदेशों से होता है। खंडपीठ ने इसे महत्वपूर्ण समस्या मानते हुए सभी 27 विश्वविद्यालयों, सभी एसपी-एसएसपी, सभी जिलाधिकारियों को पक्षकार बनाया था। सोमवार को खंडपीठ ने इस मामले में अहम दिशा-निर्देश दिए। कोर्ट ने निदेशक कारागार को आदेश दिया कि जो कैदी जेल में लाया जाता है, उसका नारकोटिक्स परीक्षण किया जाए, अगर किसी कैदी में नशे के लक्षण पाए जाते हैं तो उसका नशामुक्ति केंद्र में उपचार कराया जाए। जेल में बंद कैदियों का भी समय-समय पर परीक्षण भी किया जाए।
कोर्ट ने किशोर न्याय अधिनियम के दायरे का विस्तार करते हुए 18 साल से कम आयु के किशोर-बच्चों को प्रतिबंधित दवाइयां, मादक पदार्थ, ऐसेे अन्य कोई चीज, जिससे नशा होने की आशंका हो आदि की बिक्री पर रोक लगाई है। राज्य व जिलों की सीमा पर ड्रग्स की जांच के लिए सरकार तीन माह में स्पेशल टीम का गठन करे। प्रदेश के प्रत्येक जिले में नशामुक्ति केंद्र खोले जाएं और सरकार चार सप्ताह में ड्रग्स नारकोटिक्स स्क्वायड का गठन करे। नशे के तस्करों की पहचान के लिए विभागों के तालमेल से विशेष सेल का गठन करें। राज्य के सभी स्कूल-कॉलेजों में नशा उन्मूलन क्लब का गठन किया जाए। कोर्ट ने चार सप्ताह में नार्कोटिक ड्रग्स के लिए नियम बनाने व राष्ट्रीय नार्कोटिंग नीति के सभी प्रावधानों पर अमल करने के भी आदेश दिए हैं।
ये हैं कुछ खास दवाएं, जिन पर लगी पाबंदी
पैरासिटामोल, सिट्रेजिन, टेराफिनाडीन, डी-कोल्ड टोटल, सैरोडॉन, फिंसाडीन, डोवर्स पावडर, क्लाइक्लोफिन पैरासिटामोल, डोवोर्स टेबलेट, कोम्बिफ्लेम समेत अन्य।
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