Rajaji National Park राजाजी नेशनल पार्क में बाघ व तेंदुए के शिकार मामले में हाईकोर्ट सख्त
हाई कोर्ट ने राजाजी नेशनल पार्क में बाघ और लेपर्ड का शिकार कर उनके अंगों को जमीन में गाड़ने के मामले में 15 अक्टूबर तक जांच रिपोर्ट सीलबन्द लिफाफे में पेश करने को कहा है।
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने राजाजी नेशनल पार्क में बाघ और लेपर्ड का शिकार कर उनके अंगों को जमीन में गाड़ने के मामले में 15 अक्टूबर तक जांच रिपोर्ट सीलबन्द लिफाफे में पेश करने को कहा है। कोर्ट ने यह निर्देश एसटीएफ की जांच अधिकारी रिद्धिमा अग्रवाल को दिए हैं।
मंगलवार को सरकार द्वारा रिपोर्ट पेश करने के लिए कोर्ट से समय मांगा गया जिसमें कोर्ट ने सरकार को तीन सप्ताह का अंतिम समय दिया गया। याचिकाकर्ता द्वारा कोर्ट को अवगत कराया गया कि एसआईटी द्वारा जांच पूरी कर ली गयी है, लेकिन वह जांच रिपोर्ट पेश नहीं करना चाहती हैं। जांच कमेटी ने अभी तक 52 लोगों से पूछताछ की जिसमें सरकारी व कई स्वतंत्र गवाह भी हैं और 18 लोग संदिग्ध के दायरे में हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई। हरिद्वार निवासी दिनेश चन्द्र पांडे ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राजाजी नेशनल पार्क में वन विभाग के उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से बाघों और तेंदुए का शिकार किया जा रहा है। उनको अंगों को भूमि में गाड़ दिया जा रहा है। 2018 में मुखबिर की सूचना पर दो लेपर्ड और दो बाघ के अंग मिले, जिनकी जांच वाइल्ड लाइफ इंस्टिट्यूट देहरादून से कराई गयी। इसकी जाँच सरकार ने आईएफएस मनोज चन्द्रन से कराई जिसमें 95 प्रतिशत जांच होने पर वन विभाग के कई बड़े अधिकारियों के नाम सामने आए । सरकार ने इन अधिकारियों को बचाने के लिए उनकी रिपोर्ट को गलत बताया और इसकी जांच दोबारा से एसटीएफ की अधिकारी रिद्धिमा अग्रवाल से कराई जा रही है।
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