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असिस्टेेंट प्रोफेसर के 873 पदों की चयन प्रक्रिया पर लगी रोक हटी, मिलेगा नियुक्ति पत्र nainital news

हाईकोर्ट से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने असिस्टेेंट प्रोफेसर के 873 पदों की चयन प्रक्रिया पर लगी रोक हटा दी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 08:13 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 08:13 AM (IST)
असिस्टेेंट प्रोफेसर के 873 पदों की चयन प्रक्रिया पर लगी रोक हटी, मिलेगा नियुक्ति पत्र nainital news

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट से राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने असिस्टेेंट प्रोफेसर के 873 पदों की चयन प्रक्रिया पर लगी रोक हटा दी। कोर्ट के फैसले के बाद इन पदों पर चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने व कॉलेजों में तैनाती का रास्ता साफ हो गया है। साथ ही डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों की कमी का अर्से से चल रहा संकट भी बहुत हद तक दूर हो जाएगा।

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याचिकाकर्ता ने इसलिए दी थी नियु‍क्‍ति को चुनौती

दरअसल सरकार से अध्याचन मिलने के बाद राज्य लोक सेवा आयोग ने 2017-18 में उच्च शिक्षा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के 877 पदों के लिए विज्ञप्ति जारी कर चयन प्रक्रिया पूरी की गई। इसके बाद देहरादून की मधु बहुगुणा व रश्मि नौटियाल समेत अन्य ने याचिका दायर कर नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देते हुए निरस्त करने की मांग की। याचिका में कहा गया था कि यह चयन यूजीसी रेगुलेशन 2010 के अनुसार नहीं किया गया है, जबकि राज्य सरकार द्वारा यूजीसी रेगुलेशन-2016 भी लागू कर दिया है। आयोग द्वारा चयन नियमानुसार नहीं किया गया है, यूजीसी रेगुलेशन बाध्यकारी है और चयन यूजीसी के अनुसार नहीं करना अवैधानिक है। लिहाजा चयन प्रक्रिया को निरस्त किया जाए।

सरकार का पक्ष, सिर्फ शैक्षिक योग्यता के मानक को लागू किया

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सीएससी परेश त्रिपाठी का तर्क था कि राज्य सरकार ने यूजीसी रेगुलेशन में से सिर्फ शैक्षिक योग्यता के मानक को लागू किया था, शेष को स्वीकार नहीं किया था। उन्होंने यूजीसी विनियमों के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कल्याणी माधवन के मामले का हवाला देेते हुए कहा कि यूजीसी के विनियम सरकार पर तभी लागू होंगे, जब राज्य सरकार द्वारा स्वीकार हों। साथ ही यह भी कहा कि याची को चयन प्रक्रिया में भाग लेने व असफल होने के बाद नियुक्ति प्रक्रिया को चुनौती देने का अधिकार नहीं है। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद ड्राइंग व पेंटिंग के पदों को छोड़ अन्य की चयन प्रक्रिया में लगी रोक हटा दी। साथ ही नौटियाल की याचिका को खारिज कर दिया।

ड्राइंग एंड पेटिंग के चार पदों की चयन प्रक्रिया निरस्त

नैनीताल: हाई कोर्ट की खंडपीठ ने राज्य लोक सेवा आयोग की ओर से असिस्टेंट प्रोफेसर ड्राइंग एंड पेटिंग के चार पदों की पूरी चयन प्रक्रिया को निरस्त कर दिया है। अभ्यर्थी मधु बहुगुणा ने ड्राइंग पेंटिंग के पदों की चयन प्रक्रिया को चुनौती दी थी। उनकी याचिका में कहा गया था कि ड्राइंग एंड पेटिंग के पदों के लिए बने साक्षात्कार बोर्ड में कुमाऊं विवि के प्रो. शेखर जोशी का प्रतिभाग करना निजी विपक्षीगणों के चयन को दूषित करता है। इस मामले में आयोग के अधिवक्ता का तर्क था कि डॉ. जोशी का बोर्ड में होना महज इत्तफाक है। ऐसा तथ्य या सबूत याची द्वारा पेश नहीं किया गया, जिससे साबित होता हो कि डॉ. जोशी का बोर्ड में होना पक्षपातपूर्ण है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद ड्राइंग एंड पेटिंग के पदों की चयन प्रक्रिया को निरस्त कर दिया।

चयनित अभ्यर्थियों को नए साल में मिलेगी सौगात

हाई कोर्ट के फैसले के बाद डिग्री कॉलेजों में शिक्षक पद पर चयनित अभ्यर्थियों को नए साल में सौगात मिलेगी। डिग्री कॉलेज में प्राध्यापक पद के लिए चयनित अभ्यर्थी लंबे समय से नियुक्ति पत्र मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। अब जाकर उनका सपना पूरा होने को है।

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