बकाया मामले में पूर्व मुख्यमंत्रियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
हाई कोर्ट ने बकाया किराया मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी व विजय बहुगुणा की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है।
By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 05 Jul 2019 07:04 PM (IST)Updated: Fri, 05 Jul 2019 09:06 PM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट ने बकाया किराया मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी व विजय बहुगुणा की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है। दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अलग-अलग कारण गिनाते हुए बकाया किराया जमा करने में असमर्थता जताई है। पूर्व सीएम बहुगुणा ने पुनर्विचार याचिका में कहा है कि वह बॉम्बे हाई कोर्ट के जज के साथ ही सांसद, विधायक रह चुके हैं, लिहाजा उनकी सेवाओं को ध्यान में रखा जाए। जबकि पूर्व सीएम कोश्यारी ने खुद की खराब माली हालत का हवाला देने के साथ ही कहा है कि उन्हें इस मामले में सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रूरल लिटिगेशन केंद्र देहरादून की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा आवास समेत अन्य सुविधाएं दिया जाना गलत है। जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं, उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूला जाना चाहिए। पूर्व में कोर्ट पूर्व मुख्यमंत्रियों को झटका देते हुए बकाया किराया जमा करने का आदेश पारित कर चुका है। उस फैसले के खिलाफ दो पूर्व सीएम द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर की गई। सरकार द्वारा कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में बताया कि पांच पूर्व सीएम पर सुविधाओं का दो करोड़ 85 लाख बकाया है। सरकार की ओर से बताया गया कि पूर्व सीएम निशंक पर 40.95 लाख, बीसी खंडूड़ी पर 46.59 लाख, विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख, भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख जबकि दिवंगत पूर्व सीएम एनडी तिवारी पर 1.13 करोड़ बकाया है। कोर्ट ने चार पूर्व सीएम से बकाया वसूलने जबकि दिवंगत एनडी तिवारी की संपत्ति से वसूलने का आदेश पारित किया था।
शुक्रवार को खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने कहा कि पूर्व सीएम बहुगुणा द्वारा खुद के हाई कोर्ट का जज, सांसद-विधायक रहे होने की दलील गलत है। कहा कि विधायक तो हॉस्टल में रहते हैं बंगले में नहीं। उधर याचिकाकर्ता संस्था के अनुमान के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्रियों पर सुविधाओं का बाजार दर के हिसाब से बकाया करीब 16 करोड़ है। याचिका में भी बकाया बाजार दर के हिसाब से वसूलने की मांग की गई है।
शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में रूरल लिटिगेशन केंद्र देहरादून की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकार द्वारा आवास समेत अन्य सुविधाएं दिया जाना गलत है। जब से पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी भवन का प्रयोग कर रहे हैं, उनसे उक्त अवधि के दौरान का किराया वसूला जाना चाहिए। पूर्व में कोर्ट पूर्व मुख्यमंत्रियों को झटका देते हुए बकाया किराया जमा करने का आदेश पारित कर चुका है। उस फैसले के खिलाफ दो पूर्व सीएम द्वारा पुनर्विचार याचिका दायर की गई। सरकार द्वारा कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट में बताया कि पांच पूर्व सीएम पर सुविधाओं का दो करोड़ 85 लाख बकाया है। सरकार की ओर से बताया गया कि पूर्व सीएम निशंक पर 40.95 लाख, बीसी खंडूड़ी पर 46.59 लाख, विजय बहुगुणा पर 37.50 लाख, भगत सिंह कोश्यारी पर 47.57 लाख जबकि दिवंगत पूर्व सीएम एनडी तिवारी पर 1.13 करोड़ बकाया है। कोर्ट ने चार पूर्व सीएम से बकाया वसूलने जबकि दिवंगत एनडी तिवारी की संपत्ति से वसूलने का आदेश पारित किया था।
शुक्रवार को खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के अधिवक्ता कार्तिकेय हरिगुप्ता ने कहा कि पूर्व सीएम बहुगुणा द्वारा खुद के हाई कोर्ट का जज, सांसद-विधायक रहे होने की दलील गलत है। कहा कि विधायक तो हॉस्टल में रहते हैं बंगले में नहीं। उधर याचिकाकर्ता संस्था के अनुमान के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्रियों पर सुविधाओं का बाजार दर के हिसाब से बकाया करीब 16 करोड़ है। याचिका में भी बकाया बाजार दर के हिसाब से वसूलने की मांग की गई है।
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