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Swachh Survekshan 2020: हल्‍द्वानी को इंदौर से सीखनी होगी कूड़ा कम करने, राजस्व बढ़ाने की तरकीब

शहर को स्वच्छता में बेहतर पोजिशन पर लाने के लिए प्रशासनिक स्तर के साथ शहरवासियों के स्तर पर बहुत काम करने की जरूरत है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 22 Aug 2020 08:28 AM (IST)Updated: Sat, 22 Aug 2020 08:28 AM (IST)
Swachh Survekshan 2020: हल्‍द्वानी को इंदौर से सीखनी होगी कूड़ा कम करने, राजस्व बढ़ाने की तरकीब

हल्द्वानी, गणेश पांडे: स्वच्छता सर्वे 2020 में हल्द्वानी की स्थिति पिछले वर्षों की तुलना में बेहतर हुई है। 121 पायदान की छलांग लगाने वाले हल्द्वानी नगर निगम को अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। पांच साल पहले से प्रस्तावित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। यही हाल साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट का है। सरकारी फाइलों में यह प्लांट पिछले चार सालों से एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर घूमते रहा। दो साल पहले शासन से धन की स्वीकृति के बाद निगम प्रशासन इस बात को लेकर उलझा है कि प्लांट को कंपोस्ट बेस्ड बनाया जाए या फिर एजर्नी आधारित। इस मामले में पिछले दिनों कुमाऊं कमिश्नर की अध्यक्षता में गवर्निंग बाॅडी की बैठक हुई, जिसमें फैसले को अगली बैठक तक के लिए टाल दिया गया। शहर को स्वच्छता में बेहतर पोजिशन पर लाने के लिए प्रशासनिक स्तर के साथ शहरवासियों के स्तर पर बहुत काम करने की जरूरत है। स्वच्छता में चौथी बार नंबर वन रहे इंदौर से हल्द्वानी की स्थिति का तुलनात्मक अध्ययन, ताकि अपने शहर को हम और बेहतर बना सकें। 

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इंदौर की प्लानिंग और हल्द्वानी की स्थिति

:::::क्लीनिंग ::::::

इंदौर: 26 लाख की जनसंख्या में गृहिणियों ने गीले और सूखे कचरे को अलग करने की तहजीब नहीं भूली। सात हजार सफाई कर्मचारियों और 255 दरोगा व अन्य के माध्यम से सफाई कार्य किया।

हल्द्वानी: करीब चार लाख की आबादी वाले आधे शहर में सफाई कर्मचारी तक तैनात नहीं। संविदा और स्थायी मिलाकर 500 कर्मचारी कार्यरत हैं। महज दो सफाई निरीक्षक तैनात हैं। 

::::::::वेस्ट मैनेजमेंट::::: 

इंदौर: 550 कचरा वाहनों के माध्यम से रोज 275 टन गीला व 315 टन सूखा कचरा संग्रहित कर ट्रेंचिंग ग्राउंड भेजा। रोज 2.8 टन कोविड कचरा संग्रहित कर डिस्पोज करवाया गया।

हल्द्वानी: 35 कचरा वाहन पुराने निगम क्षेत्र से कूड़ा उठाते हैं। सूखा-गीला कचरा अलग-अलग उठाने की व्यवस्था नहीं। कोविड कचरा रामपुर रोड किनारे फैका निलता है।  

:::::::::ड्रेनेज:::::::: 

इंदौर: 550 वर्ग किमी क्षेत्र में रोज 722 कर्मचारी ड्रेनेज सफाई संबंधी कार्य करते रहे। 1.80 लाख ड्रेनेज चैंबर्स की निरंतर सफाई करती रही।

हल्द्वानी: नाला गैग के नाम पर 20 कर्मचारी तैनात। साठ वार्ड के क्षेत्र में कर्मचारी समय पर नहीं पहुंच पाते। नालों की सफाई हर साल सिरदर्द बनती है।  

ये चार फैक्टर भी अहम

एक-कलेक्शन: 2017 में पहली बार नंबर वन बने इंदौर के सामने हर घर से कचरा उठाने की चुनौती थी। घर-घर कूड़ा उठान शुरू किया। शहर से सार्वजनिक डस्टबिन हटाए। हल्द्वानी में आधे शहर में कूड़ा वाहन ही नहीं पहुंचते। वाहन खरीदने को मिले 5.50 करोड़ की रमक आठ माह से खाते में पड़ी है।

दो-सेग्रीगेशन: इंदौर वासियों ने 2018 में गीला सूखा कचरे को अलग-अलग देना शुरू किया। खुले में शौच मुक्त कर ओडीएफ प्लस का अवाॅर्ड जीता। हल्द्वानीवासी गीले-सूखे कचरे को अगले देने की आदत विकसित नहीं कर पाए। दोनों एक साथ ट्रंचिंग ग्राउंड में डंप होता है।

तीन-जीरो वेस्ट: 2019 में इंदौर ने 12 लाख मैट्रिक टन कचरे का पहाड़ खत्म कर सफाई में हैट्रिक लगाई। हल्द्वानी में एक ट्रंचिंग ग्राउंड पहले भर गया। 2017 में निगम को कंपोस्ट प्लांट के लिए जमीन मिली, तीन साल में वह भी कचरे के पहाड़ में तब्दील हो गया। 

चार-रेवेन्यू: 2020 में इंदौर ने कचरा शुल्क से 40 करोड़ और कचरे से कच्चा माल तैयार कर 1.5 करोड़ कमाई की। हल्द्वानी में पुराने शहर की करीब 50 फीसद आबादी ही 40 रुपये यूजर चार्ज देती है। नगर निगम कूड़ा उठान, तेल आदि का दस लाख रुपये प्रतिमाह निजी कंपनी एटूजेड को भुगतान करती है। 

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