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ठिठुरती ठंड में युवाओं की ये टीम भरती है गरीबों का पेट, जानिए इनके बारे में

रोटी बैंक से जुड़े युवा खाना बांटते हैं। इस काम का सिलसिला पिछले 85 दिनों से चल रहा है। मौके पर मिले लोगों को भोजन कराने के बाद टोली दूसरी जगह चल देती है।

By Edited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 09:00 AM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 08:32 PM (IST)
ठिठुरती ठंड में युवाओं की ये टीम भरती है गरीबों का पेट, जानिए इनके बारे में

हल्द्वानी, जेएनएन : रात नौ बजे..रोडवेज के पास कुछ लोग अलाव से खुद को गर्म करने की कोशिश में जुटे दिखे। इस बीच स्कूटी-बाइक में एकदम से युवाओं की टीम पहुंचती है, जिन्हें देख वहां खड़े रिक्शा चालक और आसपास मजदूरी कर गुजर-बसर करने वालों के चेहरे खिल जाते हैं।
रोटी बैंक से जुड़े युवा एक-एक कर सभी को खाना बांटना शुरू कर देते हैं। इस नेक काम का सिलसिला पिछले 85 दिनों से चल रहा है। मौके पर मिले लोगों को भरपेट भोजन कराने के बाद टोली दूसरी जगह चल देती है। जेल रोड स्थित एचपी गैस एजेंसी के दफ्तर में काम करने वाले मुखानी निवासी युवा हेमंत राजपूत ने रोटी बैंक की शुरुआत अकेले की थी। शाम को अपने घर पर भोजन बनाकर वे किराया का ऑटो लेकर खाना बांटने निकल पड़ते थे। शुरू में लोगों ने उनका उपहास भी उड़ाया। बाद में सोशल मीडिया पर रोटी बैंक की चर्चा होने पर उनके जैसे कुछ ओर युवा भी साथ आ गए।
हेमंत ने बताया कि जब उन्होंने इस बाबत सोचा था तब शीशमहल निवासी सुमन पाठक व कुसुमखेड़ा निवासी चेतन कपिल सबसे पहले मदद को आगे बढ़े। जिनका साथ आज भी जारी है। अब टीम रोज रात खाना लेकर कालाढूंगी तिराहा, रोडवेज के बाहर व परिसर के बाद रेलवे स्टेशन व छतरी चौराहे पर निकलती है। इन जगहों पर रात को बेसहारा व जरूरतमंद का डेरा होता है। जिनकी आंखे भूख लगते ही सड़क पर रोटी बैंक को खोजती है। हेमंत ने बताया कि उनके पिता स्व. रामनाथ जरूरतमंदों को भोजन जरूर करवाते थे। सालों पहले उनकी मौत हो गई। वहीं मुबंई में नौकरी करने के दौरान उन्होंने फुटपॉथ पर पुराने असहाय लोगों को देखकर भी हल्द्वानी में लोगों की सेवा करने की सोची। और रोटी बैंक खुल गया।

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इनसे चलता है रोटी बैंक
शैलेंद्र सिंह दानू, पंकज कुमार, नीरज दानी, ओम जोशी, मनोज मेलकानी, कपिल परगांई, मनोज नेगी, चंद्रशेखर परगांई, राजू फत्र्याल, दिनेश लोशाली आदि।

छह बजे बाद घर का किचन बन जाता होटल
हेमंत राजपूत व शैलेंद्र सिंह दानू ने बताया कि खाना रात को बांटा जाता है। अगर दिन में किसी जगह कोई समारोह आयोजित होता है। वहां बचा खाना मंगवाया जाता है। नेक काम की शहर में इतनी चर्चा हो चुकी है कि लोग खुद संपर्क करते हैं। अगर छह बजे तक कहीं से व्यवस्था नहीं होती तो सभी अपने-अपने घरों में ताजा खाना बनाने में जुटते हैं। सब्जी, दाल, रोटी, चावल हर चीज की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है। लोगों को दिया जाने वाला भोजन ताजा हो। इस बात का खास ध्यान दिया जाता है।

यह प्रयास भी है सराहनीय
सप्ताह में एक बार हल्द्वानी ऑनलाइन संस्था द्वारा भी मदद की जाती है। हर कुरीती के खिलाफ चलाते अभियान टीम से जुड़े युवा हल्द्वानी में अलग-अलग जगहों पर रहते हैं। रोटी बैंक के अलावा नशे के खिलाफ अभियान, स्वच्छता के प्रति जागरूक करने को लेकर भी इनके द्वारा लोगों को जागरूक किया जाता है। शहर के अधिकांश सामाजिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम में इनकी भागीदारी सराही जाती है। शुरुआत में काफी दिक्कत आई। कुछ ने मजाक भी बनाया तो कुछ साथ भी खड़े रहे। आज रोटी बैंक कई बेसहारा का सहारा बन चुका है। लगातार बेहतर करने का प्रयास जारी रहेगा।

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