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लॉकडाउन में हल्द्वानी में करीब एक अरब का लीसा डंप, वन विभाग रोज छिड़क रहा पानी

लॉकडाउन के चक्कर में हल्द्वानी में करीब एक अरब का लीसा डंप पड़ा है। तपती गर्मी में लीसे जैसे ज्वलनशील पदार्थ की सुरक्षा को लेकर स्टाफ अलर्ट है।

By Edited By: Published: Tue, 26 May 2020 03:44 AM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 11:46 AM (IST)
लॉकडाउन में हल्द्वानी में करीब एक अरब का लीसा डंप, वन विभाग रोज छिड़क रहा पानी
लॉकडाउन में हल्द्वानी में करीब एक अरब का लीसा डंप, वन विभाग रोज छिड़क रहा पानी

हल्द्वानी, जेएनएन : लॉकडाउन के चक्कर में हल्द्वानी में करीब एक अरब का लीसा डंप पड़ा है। नीलामी नहीं होने से माल गोदाम से नहीं उठ सका। तपती गर्मी में लीसे जैसे ज्वलनशील पदार्थ की सुरक्षा को लेकर स्टाफ अलर्ट है। दिन में तीन बार टीनों पर पानी की बौछार मारी जाती है। संभावना है कि अगले महीने डिपो से माल की निकासी होनी शुरू हो जाएगी।

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उत्तराखंड में लीसे के चार सबसे बड़े केंद्र है। नरेंद्रनगर, टनकपुर, सुल्ताननगरी व हनुमानगढ़ी। जंगलों में चीड़ के पेड़ से निकासी के बाद यहां डंप किया जाता है। कुमाऊं में लीसे का बड़ा कारोबार है। इसका इस्तेमाल तारपीन तेल बनाने, कांच, कागज, कपड़ा आदि उद्योगों में भी किया जाता है। वर्तमान में सुल्ताननगरी डिपो और हनुमानगढ़ी डिपो में मिलाकर अस्सी हजार कुंतल लीसा डंप पड़ा है।

जिसकी कीमत एक अरब के आसपास है। लॉकडाउन के बाद से बिलकुल भी निकासी नहीं हो सकी। वहीं, गर्मियों में सुरक्षा को लेकर चिंता भी बनी हुई है। सुल्तानगनरी डिपो इंचार्ज हरीश चंद्र पांडे ने बताया कि एक दिन में तीन बार पानी का छिड़काव किया जाता है। हाइड्रेंट व स्प्रिंकल सिस्टम की मदद से स्टाफ गोदाम में नमी बनाने का प्रयास करता है। ताकि आग की स्थिति पैदा न हो।

दो साल में दो लाख कुंतल माल बिका

वन विभाग के मुताबिक लीसा की नीलामी को लेकर लगातार प्रयास किया जा रहा है। पिछले दो साल में सुल्ताननगरी व हनुमानगढ़ी से करीब दो लाख कुंतल माल की बिक्री भी की गई। अफसरों के मुताबिक स्थिति सामान्य होते ही नीलामी शुरू कर दी जाएगी।

पुराने माल का दाम कम

लीसा खरीदने वाले व्यपारी फ्रेश माल की डिमांड करते हैं। इसी वजह से पुराने माल की कीमत कम हो जाती है। कुंतल के हिसाब से रेट तय होता है। अधिकांश माल दिल्ली को सप्लाई होता है। वहां से दूसरी जगह डिमांड के हिसाब से चेन जुड़ती जाती है। डीएफओ नैनीताल टीआर बीजूलाल ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से माल डिपो में डंप है। सुरक्षा को लेकर पूरी तरह से सतर्क है। उम्मीद है कि अगले महीने स्टाक कम होगा।

बेहद उपयोगी है लीसा

चीड़ के पेड़ों से निकलने वाले लीसे का मुख्य उपयोग तारपीन का तेल बनाने में होता है। इसके अलावा कॉस्मेटिक उत्पादों के साथ ही अन्य कई उत्पादों में इसका इस्तेमाल किया जाता है।

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