Move to Jagran APP

क्या आपने उड़ती गिलहरी देखी है? इन वादियों में चले आएं, मिलेगी गर्मी से राहत और उड़ती गिलहरी का नजारा भी

देवलसारी रेंज (टिहरी) के बाद अब पर्यटन नगरी रानीखेत के जंगलात में दुर्लभ किस्म की उडऩ गिलहरी (फ्लाइंग स्क्वैरल) दिखी है। पर्यावरण विशेषज्ञ इसे जैवविविधता के लिए शुभ संकेत बता रहे।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 09:27 AM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 09:21 AM (IST)
क्या आपने उड़ती गिलहरी देखी है? इन वादियों में चले आएं, मिलेगी गर्मी से राहत और उड़ती गिलहरी का नजारा भी
क्या आपने उड़ती गिलहरी देखी है? इन वादियों में चले आएं, मिलेगी गर्मी से राहत और उड़ती गिलहरी का नजारा भी

रानीखेेत, दीप सिंह बोरा : क्या आपने कभी उड़ती गिलहरी देखी है? क्या आप देखना चाहते हैं? क्या आप चिलचिलाती गर्मी में ठंडी वादियों का लुत्फ लेना चाहते हैं? दो अलग तरह के प्रश्न और दोनों का एक ही उत्तर हो सकता है और वह होगा हां भई हां... तो फिर इन दोनों के लिए आपको अलग-अलग जगह जाने की जरूरत भी नहीं है। हसीन वादियों में गर्मी से राहत और उड़ती गिलहरी दोनों आपको मिल सकती हैं उत्तराखंड में अल्मोड़ा जिले रानीखेत में। जी हां रानीखेत में! बांज और देवदार के जंगलों के बीच बसे रानीखेत में प्राकृतिक सुंदरता का अदभुत नजारा दिखता है और यहां आप उड़ती गिलहरी भी देख सकते हैं।

loksabha election banner

पर्यावरण, वन्यजीव एवं प्रकृति प्रेमियों के लिए यह बेहत सुखद खबर है। उत्तराखंड में देवलसारी रेंज (टिहरी) के बाद अब पर्यटन नगरी रानीखेत के जंगलों में भी दुर्लभ किस्म की उड़न गिलहरी (फ्लाइंग स्क्वैरल) दिखी है। पर्यावरण विशेषज्ञ इसे जैव-विविधता के लिए शुभ संकेत बता रहे हैं। तो उत्साहित वन विभाग इस विलक्षण प्रजाति के वासस्थल को चिह्नित कर संरक्षण की योजना बनाने जा रहा है। पर्वतीय वादियों में उड़न गिलहरी की कितनी प्रजातियां रह गई हैं, इस पर बाकायदा शोध की भी तैयारी है। 

मेहमान व मेजबान परिंदों से गुलजार बर्ड वॉचिंग के लिए मुफीद रानीखेत के मिश्रित वन क्षेत्र उड़ने वाली गिलहारी को भी रास आने लगे हैं! नगर व आसपास के जंगलों में उड़ान भरती दुर्लभ गिलहरी की मौजूदगी कुछ यही संकेत दे रही। समुद्रतल से 1824 मीटर की ऊंचाई पर चिलियानौला रोड व ठंडी सड़क से लगे बांज, काफल, देवदार व चीड़ के मिश्रित सघन जंगलों में फ्लाइंग स्क्वैरल (पेटौरिस्टाइनी) वन्यजीव प्रेमियों के लिए अजूबा बनी हुई है।

वन विभाग के विशेषज्ञ कहते हैं, उड़न गिलहरी बिल्कुल विलुप्त तो नहीं, लेकिन विलुप्ति की कगार पर है। उन्होंने इसे जैवविविधता के लिहाज से बेहद सुखद बताया। डीएफओ कुबेर सिंह बिष्ट ने कहा, पूरे भारत में उड़ने वाली गिलहरियों की 12 प्रजातियां हैं। रानीखेत व कुमाऊं में कितनी हैं, इस पर शोध की जरूरत है।

ऐसे कैद हुई कैमरे में 
हालिया नेचर फोटोग्राफर कमल गोस्वामी के साथ जागरण टीम ने देर रात नगर के समीपवर्ती चलियानौला रोड व ठंडी सड़क पर एकाएक उड़ान भरता जीव देखा। अचरज के बीच उसके बारे में जानने की जिज्ञासा दोगुनी हो गई। बीती सोमवार देर रात दोनों स्थानों का दोबारा जायजा लेने पर रहस्यमय जीव का दीदार फिर हुआ। एक क्लिक पर यह जीव बेहद फुर्ती के साथ उड़ चला। दूर आंखें चमकीं तो सधे हुए कदमों से करीब पहुंचे तो जमीन पर बैठा यह जीव बड़ी तेजी से चीड़ के पेड़ पर चढ़ा। फिर बाजुओं से पैर तक छत्रीनुमा खाल को फैला कर हवा में उड़ता हुआ 10-15 मीटर दूर पेड़ से जा चिपका। उड़ने की गति इतनी तेज कि कैमरे में कैद न किया जा सका। हालांकि जमीन पर बैठे, उड़ान की तैयारी व दूसरे पेड़ पर मजबूत पकड़ के साथ कैमरे में कैद कर लिया गया। 

...और आखिर में हो गई शिनाख्त 
सुप्रसिद्ध नेचर फोटोग्राफर, स्टेट वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी कमेटी सदस्य पद्मश्री अनूप साह ने इसकी पहचान उड़ने वाली गिलहरी के रूप में की। उन्होंने नैनीताल के बाज बहुल जंगलों में भी इसकी मौजूदगी का दावा किया। 

तीन वर्ष पूर्व टिहरी में दिखी थी 
वर्ष 2016 में समुद्रतल से 6500 फीट की ऊंचाई पर स्थित देवलसारी रेंज (टिहरी) में पहली बार दिखी थी उड़न गिलहरी। 

उड़ती नहीं, शानदार छलांग लगाती है 
उड़न गिलहरी उड़ान नहीं भरती, बल्कि शानदार छलांग लगाती है, जो बहुत रोमांचित करती है। उसके शरीर में दाएं बाएं बाजुओं से पिछले दोनों पैरों तक पर्देदार लचीली त्वचा होती है। ऊंचे स्थान से छलांग लगाने पर यह त्वचा छाता की तरह फैल जाती है और पैराग्लाइडर की तरह यह दुर्लभ गिलहरी काफी दूरी तक उड़ान भरती दिखती है। खास बात यह है कि छत्रीनुमा त्वचा की मदद से वह काफी देर तक हवा में खुद को रोककर सुरक्षित स्थान का मुआयना कर लेती है।

यह भी पढ़ें : एक हाथी को बचाने के लिए 174 दिन से से चल रही कवायद, अब तक लाखों रुपए हो चुके खर्च

दो गिलहरी मेरे घर पर पली हैं
पद्मश्री अनूप साह, सदस्य स्टेट वाइल्ड लाइफ एडवाइजरी कमेटी उत्तराखंड ने बताया कि नैनीताल में उड़न गिलहरी के दो बच्चे मेरे घर पर पले। बेहद मित्रवत हो जाती हैं। बड़ी होने पर उन्हें जंगल में छोड़ दिया। कत्थई रंग की फ्लाइंग स्क्वैरल तो कॉमन हैं, पर ग्रे कलर की दुर्लभ हो गई है। रानीखेत के जंगलों में इनका दिखाई देना वाकई सुखद है। 

डीएफओ ने कहा यह शोध का विषय है
कुबेर सिंह बिष्ट, डीएफओ अल्मोड़ा ने बताया कि यह अद्भुत है। उड़ने वाली गिलहरी विलुप्ति की कगार पर है। यमुनोत्री में मैंने काफी पहले देखी थी। रानीखेत में जिस जगह यह देखी गई, उसे चिह्नित कर पता लगाएंगे कि इनकी संख्या कितनी है। यह शोध का विषय भी है। इन्हें संरक्षित करेंगे। उस स्थान को वनाग्नि व शिकार से बचाया जाएगा। 

यह भी पढ़ें : धान का विकल्‍प बन रही है मक्‍के की खेती, पानी भी बच रहा, किसानों की अर्थिक सेहत भी सही


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.