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उत्तराखंड विधानसभा के बर्खास्त कर्मचारियों को नहीं मिली नियुक्ति, हाई कोर्ट में अवमानना याचिका, हुआ ये आदेश

Nainital High Court विधानसभा से हटाए गए भूपेंद्र सिंह बिष्ट व 13 अन्य ने अवमानना याचिका दायर कर कहा है कि कोर्ट ने बीते महीने 15 अक्टूबर को उनके निलंबन आदेश पर रोक लगा दी थी और उनको उनके पदों पर नियुक्ति देने को कहा था।

By Jagran NewsEdited By: Rajesh VermaPublished: Mon, 21 Nov 2022 05:47 PM (IST)Updated: Mon, 21 Nov 2022 05:47 PM (IST)
एकलपीठ ने अगली सुनवाई 24 नवम्बर की तिथि नियत की है।

नैनीताल, जागरण संवाददाता। Nainital High Court: कुछ महीनों पहले विधानसभा सचिवालय (Uttarakhand Vidhan Sabha Secretariat) से बर्खास्त किए गए कर्मचारियों को हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक बहाल नहीं किया गया है। इस पर हाई कोर्ट में बर्खास्त कर्मचारियों की आेर से अवमानना याचिका दाखिल की गई है, जिस पर साेमवार को सुनवाई हुई। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने अगली सुनवाई 24 नवम्बर की तिथि नियत की है।

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15 अक्टूबर को आया था हाई कोर्ट का आदेश

विधानसभा से हटाए गए भूपेंद्र सिंह बिष्ट व 13 अन्य ने अवमानना याचिका दायर कर कहा है कि कोर्ट ने बीते महीने 15 अक्टूबर को उनके निलंबन आदेश पर रोक लगा दी थी और उनको उनके पदों पर नियुक्ति देने को कहा था। इसके बावजूद विधानसभा में उनको नियुक्ति अब तक नहीं दी जा रही है।

यह है मामला

अगस्त, सितंबर के महीने में विधानसभा सचिवालय में बैकडोर से चहेतों को नौकरी देने का मामला खूब उछला था। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी की आेर से विशेषज्ञ समिति बनाकर जांच कराई गई। जांच के बाद कमेटी ने मामला सही पाया और इसकी रिपोर्ट के अाधार पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने 23 सितंबर को वर्ष 2016 से 2022 के बीच हुई 228 भर्तियों को रद्द कर दिया, जिसके बाद विधानसभा सचिवालय की ओर से कर्मचारियों को बर्खास्तगी के नोटिस जारी किए गए। इस पर हटाए गए कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।

हाई कोर्ट ने दी थी राहत

कर्मचारियों ने याचिका दायर कर कहा था कि विधानसभा में 2002 से 2015 कई पदों पर बैकडोर से भर्ती की गई थी, उनमें से सरकार ने इन नियुक्तियों को वैध मानकर उन्हें नियमित कर दिया था, परन्तु 2015 के बाद लगे कर्मचारियों की नियुक्ति को गलत मानते हुए उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश पर रोक लगा कर कर्मचारियों को राहत दी थी। अब कर्मचारी आदेश के बाद भी अभी तक नियुक्ति नहीं मिलने पर फिर हाई कोर्ट पहुंच गए हैं।


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