छात्रवृत्ति का पैसा डकारने वाले कॉलेजों ने रकम लौटाने का दिया प्रस्ताव nainital news
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान छात्रवृत्ति का पैसा डकारने वाले कॉलेजों ने एसोशिएशन के माध्यम से कहा कि वह घोटाले की रकम लौटाने को तैयार हैं।
नैनीताल, जेएनएन : बहुचर्चित समाज कल्याण विभाग के छात्रवृत्ति घोटाला मामले में अहम मोड़ आ गया है। हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई चार नवंबर के लिए नियत की है। इस दौरान एसआइटी ने अदालत को बताया कि मामले की तेजी से जांच की जा रही है, अब तक चार समाज कल्याण अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है जबकि सरकार की ओर से बताया गया कि संयुक्त निदेशक समाज कल्याण अनुराग शंखधर के खिलाफ अभियोजन की अनुमति एसआइटी को दी जा चुकी है। कोर्ट ने कॉलेजों की एसोसिएशन की ओर से पेश अधिवक्ता ने कहा कि तमाम कॉलेज छात्रवृत्ति की रकम लौटाने को राजी हैं, इस पर कोर्ट ने कहा कि सरकार को रकम वापस करें मगर इसके बाद भी घोटाले की आपराधिक जांच जारी रहेगी।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में दून के राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिलों की एसआइटी जांच के अध्यक्ष टीसी मंजूनाथ ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच की जा रही है मगर उनका पदोन्नति का लाभ नहीं दिया जा रहा है। उनसे जूनियर अफसरों को पदोन्नति का लाभ दिया जा चुका है। कोर्ट ने इस संबंध में चार नवंबर को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। इस दौरान 11 जिलों की एसआइटी के अध्यक्ष आइजी संजय गुंज्याल ने बताया कि घोटाले की जिलास्तर पर जांच तेज की गई है। अब तक चार समाज कल्याण अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है। जांच तेजी से की जा रही है। यहां बता देंं कि दून के राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान ने जनहित याचिका दायर कर कहा था कि समाज कल्याण विभाग में 2003 से अब तक एससी-एसटी छात्रों की छात्रवृत्ति के बजट में घोटाला किया गया है। कहा कि सीएम द्वारा इसकी जांच के लिए एसआइटी का गठन किया गया था। तीन माह में रिपोर्ट मांगी थी मगर आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। यहां बता दें कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एमसी पंत ने कॉलेजों के रकम लौटाने के प्रस्ताव पर सहमति जताई है। उन्होंने दावा किया कि यदि पांच राज्यों में फैले इस घोटाले की जांच गहराई से की जा रही तो घोटाले की रकम 40 हजार करोड़ से अधिक होगी।
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