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हाईकोर्ट की छूट के बाद सीबीआइ ने हरीश रावत पर दर्ज किया मुकदमा nainital news

स्टिंग मामले में सीबीआइ के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व न्यूज चैनल के संचालक उमेश शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज करने से राज्य में सियासी घमासान छिडऩे के आसार हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 09:05 AM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 09:05 AM (IST)
हाईकोर्ट की छूट के बाद सीबीआइ ने हरीश रावत पर दर्ज किया मुकदमा nainital news

नैनीताल, जेएनएन : सरकार बचाने के लिए 2016 विधायकों की कथित खरीद फरोख्त के स्टिंग मामले में सीबीआइ के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत व न्यूज चैनल के संचालक उमेश शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज करने से राज्य में सियासी घमासान छिडऩे के आसार हैं। हालांकि सीबीआइ ने हाईकोर्ट से मिली छूट के आधार मामला दर्ज किया है। इस मामले में हाई कोर्ट में पहली नवंबर को सुनवाई होनी है।

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दरअसल कांग्रेस विधायकों की बगावत के बाद 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई थी। इसी बीच दिल्ली मेें एक न्यूज चैनल संचालक उमेश शर्मा द्वारा स्टिंग जारी किया गया। जिसमें कथित तौर पर पूर्व सीएम द्वारा विधायकों की खरीद फरोख्त के लिए बातचीत की जा रही थी। सीबीआइ ने इस स्टिंग के आधार पर एफआइआर दर्ज की। राज्यपाल ने स्टिंग मामले की सीबीआइ जांच की संस्तुति भेज दी। पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हरीश रावत सरकार बहाल हो गई तो तत्कालीन वित्त मंत्री इंदिरा हृदयेश की अध्यक्षता में हुई केबिनेट बैठक में स्टिंग मामले की जांच सीबीआइ से हटाकर एसआइटी से कराने का निर्णय लिया गया तो इस निर्णय को वर्तमान कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत द्वारा याचिका के जरिये चुनौती दी गई। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री, सीबीआइ समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया था।

सीबीआइ व एसआइटी के नोटिफिकेशन की कानूनी वैधता पर निगाहें

हाल ही में हाई कोर्ट में सीबीआइ की ओर से पेश अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि सीबीआइ स्टिंग मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करना चाहती है ताकि प्राथमिकी दर्ज हो। जबकि रावत की ओर से पूर्व कानून मंत्री व वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल का कहना था कि सीबीआइ को जांच करने का अधिकार नहीं है। कहा कि चुनी हुई सरकार द्वारा सीबीआइ जांच का नोटिफिकेशन वापस लेकर जांच एसआइटी से कराने का निर्णय लिया है। रावत के अधिवक्ता ने सीबीआइ की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को अवैध करार दिया था। साथ ही कोर्ट ने सीबीआइ की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को रिकार्ड में नहीं लिया। वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद सीबीआइ जांच जारी रखने व एफआइआर दर्ज करने की छूट प्रदान की। साथ ही सीबीआइ से इस मामले में सीबीआइ जांच से हटाकर एसआइटी बनाने के नोटिफिकेशन को आधार बनाने को कहा था। अगली सुनवाई की तिथि पहली नवंबर नियत की है। अब सीबीआइ द्वारा मामला दर्ज करने के बाद पहली नवंबर को तय सुनवाई खासी अहम हो गई है। 

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