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नैनीताल हाईकोर्ट शिफ्ट करने का बार एसोसिएशन ने किया तीखा विरोध NAINITAL NEWS

नैनीताल हाईकोर्ट को शिफ्ट करने के लिए हाईकोर्ट की ओर से जनता से सुझाव मांगने का तीखा विरोध शुरू हो गया है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 05:11 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 09:45 AM (IST)
नैनीताल हाईकोर्ट शिफ्ट करने का बार एसोसिएशन ने किया तीखा विरोध NAINITAL NEWS

नैनीताल, जेएनएन : हाई कोर्ट को शिफ्ट करने के प्रत्यावेदन के आधार पर हाई कोर्ट को शिफ्ट करने के मामले में सुझाव मांगने का तीखा विरोध शुरू हो गया है। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित आम सभा में वक्ताओं ने हाई कोर्ट के इस कदम की निंदा करने के साथ ही प्रत्यावेदन देने वालों को आड़े हाथों लिया। साथ ही विभीषण तक की संज्ञा दे डाली। साफ किया कि जान देे देंगे मगर हाई कोर्ट शिफ्ट नहीं होने देंगे। यह भी जोड़ा कि यदि हाई कोर्ट को शिफ्ट करना ही है तो उत्तराखंड राज्य की परिकल्पना के अनुसार दूरस्थ पर्वतीय जिलों उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ या चमोली जिले में शिफ्ट किया जाए। 
गुरुवार को हाई कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष पूरन सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में हुई आम सभा में महासचिव जयवर्धन कांडपाल ने बिना एसोसिएशन को भरोसे में लेकर प्रत्यावेदन के आधार पर वेबसाइट में सुझाव मांगने को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। पूर्व महासचिव दुर्गा सिंह मेहता ने कहा कि राज्य बनने से पहले कौशिक समिति द्वारा उत्तराखंड की राजधानी 85 फीसद जनमत का हवाला हुए गैरसैंण बनाने का सुझाव दिया मगर आज तक राज्य की राजधानी गैरसैंण नहीं बनाई, लेकिन हाई कोर्ट को शिफ्ट करने की बहस छेड़ भ्रम फैलाया जा रहा है। पूर्व अध्यक्ष सैय्यद नदीम मून ने कहा कि संवैधानिक संस्था द्वारा उठाए गए असंवैधानिक कदम से हाई कोर्ट की साख पर बट्टा लगा है। उन्होंने शिफ्ट करने की मांग करने वालों को इलाहाबाद जाने की नसीहत भी दी। अधिवक्ता पीएस सौन ने कहा कि जान दे देंगे मगर हाई कोर्ट शिफ्ट नहीं होने देंगे। पूर्व सचिव त्रिभुवन फत्र्याल ने कहा कि हाई कोर्ट को राजनीतिक दफ्तर बना दिया गया, इसकी निंदा होनी चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता पुष्पा जोशी ने हाई कोर्ट शिफ्ट करने के प्रत्यावेदन देने को कुत्सित मानसिकता का परिचायक करार दिया। साथ ही बहस को बेहद घटिया करार दिया।
पूर्व सचिव चंद्रशेखर रावत ने माहौल खराब करने वालों का सामाजिक बहिष्कार हो। कहा कि अलग राज्य आंदोलन यातनाएं आंदोलनकारियों ने सही, मगर इलाहाबाद में उत्तराखंड हाई कोर्ट का बोर्ड लगाने वाले निजी हित के लिए हाई कोर्ट शिफ्ट करने की वकालत कर रहे हैं। अधिवक्ता सीके शर्मा ने कहा कि जिस किसी भी को हाई कोर्ट से दिक्कत है, वह इस्तीफा दे दे। अधिवक्ता योगेश पचोलिया ने कहा कि नैनीताल हाई कोर्ट राज्य का एकमात्र पहाड़ में स्थापित राज्यस्तरीय संस्थान है, इसकी शिफ्टिंग करना राज्य आंदोलन के शहीदों का अपमान है। अधिवक्ता तरुण टाकुली ने हाई कोर्ट शिफ्ट हटाने का विरोध करने के साथ ही नैनीताल में रहने के लिए किराया अत्यधिक होने तथा सीनियर अधिवक्ताओं से जूनियर को हर माह दस हजार देने का सुझाव दिया। सभा में उपाध्यक्ष श्रुति जोशी, विपुल पैन्युली, पूर्व अध्यक्ष महेंद्र पाल, एमसी पंत, ललित बेलवाल, एमसी कांडपाल, राजेश जोशी, कमलेश तिवारी, मनोज भट्ट, भुवनेश जोशी, सौरभ अधिकारी, जानकी सूर्या, गौरा देवी देव आदि  अधिवक्ता मौजूद थे। 

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